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तब खादी एक विचार था और कांग्रेस विकल्प…

कांग्रेस आज-कल

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ललित ज्वेल. उज्जैन आजादी के आंदोलन के दौरान अंग्रेजों का विरोध करने का एक सशक्त माध्यम खादी पहनना भी था। खादी आजादी का एक विचार बन गई थी। इसी में डूबे कांग्रेसी सत्ता का विकल्प बन गए थे। उस जमाने में समाजवादी/लोहियावादी तथा कम्युनिस्टों पर मुठ्ठीभर लोगों का भरोसा था। अधिकांश लोगों का मानना था कि विकास का मतलब कांग्रेस है।

जिले के कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता यादों में खोते हुए बताते हैं- हम तो आजादी के बाद पैदा हुए। लेकिन आजादी कैसे मिली और आजादी के बाद कांग्रेस ने देश को कैसे आगे बढ़ाया,यह बात हमारे उस जमाने के नेता रोजाना शाम को बंद दुकानों के पटियों पर बैठकर किस्से-कहानियों के रूप में सुनाया करते थे। वह जमाना था जब किसी बच्चे के पिता को पता चलता था कि वह आरएसएस की शाखा में गया था, तो उसकी घर में जमकर कुटाई होती थी।

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कहा जाता था कि लोगों को पता चलने पर आलोचना होगी कि कांग्रेस परिवार का लड़का आर एस एस की शाखा में जाता है। लेकिन शाखाएं विस्तार लेती चली गई क्योंकि वहां प्रतिबद्धता थी और कांग्रेस पार्टी अंदर ही अंदर से खोखली होती चली गई क्योंकि नेताओं में अहम आता चला गया। कुर्सी की दौड़ ने सबको आगे रहने की होड़ में रखा और पार्टी पिछे होती चली गई। इधर आरएसएस से लोग जुड़ते चले गए। जो जुड़ा वह हमेशा के लिए उनका हो गया। न उसने सत्ता की चाह रखी और न ही अपेक्षा की। यही कारण रहा कि कांग्रेस कमजोर होती चली गई ओर संघा विचारधारा मजबूती लेती चली गई।

कांग्रेस के आजादी के पहले जन्मे वरिष्ठ बताते हैं- तब कांग्रेस की गेट मिटिंग में भी 100-200 लोग इकट्ठे  हो जाते थे लेकिन जनसंघ की चुनावी मिटिंग में 50 लोग नहीं जुटते थे। लेकिन उस समय उन 50 लोगों की उपस्थिति दरी बिछाने से उठाने तक एक जैसी रहती थी। कांग्रेस की मिटिंग में भीड़ आती-जाती रहती थी। इसका लाभ लम्बे समय बाद लेकिन तत्कालिन जनसंघ/जनता पार्टी ओर आज की भाजपा को मिलता चला गया। उस समय के नेता मानकर चलते थे कि सरकार तो कांग्रेस की ही बनना है।

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वहीं जनसंघ से लेकर भाजपा तक के सफर में जुड़े कार्यकर्ता पार्टी को सत्ता में लाने का सपना देखा करते थे। उनकी एकजुटता ने सपना सच कर दिया और कांग्रेस के नेता 2003 के बाद के चुनावों में भी अपनी निपटने/निपटाने की कला का प्रदर्शन जनता के बीच करते रहे। इसका परिणाम हुआ कि जनता का भरोसा नेताओं ने खो दिया। वे नेपथ्य में चले गए और नई पीढ़ी को कांग्रेस की विचारधारा वाली बनाने का काम हुआ ही नहीं। अब आखिरी मौका है,जब जनता के बीच कांग्रेस की उसी पुरानी विचारधारा को लाया जाए तथा गांधी ओर खादी को विचार बनाकर विकास के नए द्वार खोले जाए।
(क्रमश:)

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