दिया तले अंधेरा-2 : विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की प्रतिष्ठा दांव पर

दिया तले अंधेरा-2 : विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की प्रतिष्ठा दांव पर
ग्रेड में बदलाव नहीं हुआ तो डिग्री -कोर्स की वेल्यू कम होगी, फंड-डेवलपमेंट-नए पदों में भी कटौती!
उज्जैन।नैक की ग्रेडिंग में पिछडऩा विक्रम विश्वविद्यालय के लिए चिंता का कारण बन गया है। विक्रम की प्रतिष्ठा दाव पर लग गई हैं। नैक मूल्यांकन के बाद मिली बी++ ग्रेड के कारण विक्रम विश्वविद्यालय की साख प्रभावित हुई है। हालांकि कुलपति का कहना हैं कि इस ग्रेडिंग को यूजीसी में चुनौती दी जाएगी। बहरहाल यदि ग्रेड में संसोधन नहीं होता हैं, तो फंड, डवलपमेंट, नए पदों कटौती, डिग्री-कोर्स की वेल्यू कम होना तय है।
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नैक ग्रेडिंग के जरिए शिक्षण संस्थानों की सही जानकारी स्टूडेंट्स को मिलती है। जिससे उनको अपने लिए बेहतर कॉलेज चुनने में मदद मिलती है। उच्च शिक्षण संस्थाओं, विश्वविद्यालयों/ कॉलेजों का नैक से मूल्यांकन जरूरी है। इसके बिना कोई भी संस्थान सरकारी मदद नहीं पा सकता है। मदद के बगैर विकास संभव नहीं हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक वैसे भी विक्रम विश्वविद्यालय के स्टूडेंट्स के लिए नौकरी और प्लेसमेंट को लेकर हालात अच्छे नहीं माने जा रहें हैं और उसमें भी अब ग्रेड की गिरावट का मसला आ गया हैं।
बेहतर रेटिंग मिलती तो स्टूडेंट को यह होता फायदा
नैक रेटिंग से स्टूडेंट्स को संस्थान के बारे में सही जानकारी मिलती है। संस्थान के बारे में शिक्षा की गुणवत्ता, अनुसंधान, बुनियादी ढांचा और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी जानकारी हासिल करने में आसानी होती है। नैक ग्रेडिंग के जरिए छात्र उच्चशिक्षा के लिए बेहतर विश्वविद्यालय/कॉलेज तलाश कर सकते हैं। इतना ही नहीं, नैक ग्रेड प्रदत्त संस्थानों द्वारा दी जाने वाली डिग्रियों का मूल्य निर्धारित करते हैं।
यह नुकसान होगा
कुलपति ने उम्मीद नहीं छोड़ी है। उनका कहना है कि हम वापस अपील में जाकर अपनी जो उपलब्धि मूल्यांकन में छूट गई है, उसे बताकर रिपोर्ट को रिव्यू कराएंगे। इधर जानकरों का कहना हैं कि यदि रिव्यू के बाद रेटिंग अपग्रेड नहीं हुई तो विवि के साथ ही स्टूडेंट्स का बहुत अधिक नुकसान पांच सालों तक होगा। बी++ विक्रम देश श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों की गणना से बाहर रहेगा। डिग्री, मार्कशीट्स पर बी++ होने से स्टूडेंट्स को आगे की शिक्षा, नौकरी या प्लेसमेंट में कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना होगा।
इकोनॉमी गड़बड़ा सकती हैं..
ग्रेड कम होने स्टूडेंट्स का विक्रम विवि के प्रति अट्रेक्शन कम होने से एडमिशन प्रभावित होंगे। स्वभाविक हैं कम एडमिशन का असर फीस से होने वाली आय पर होगा। यूजीसी और भारत सरकार से मिलने वाले एज्युकेशन प्रोजेक्ट्स आसानी से मिलना संभव नहीं होगा। राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के लिए मिल रहे फंड/अनुदान में कटौती कर दी जाएगी। नए पदों में कटौती होगी। अव्वल तो नए कोर्सेस प्रारंभ नहीं हो सकते है और खोल भी दिए तो यूजीसी से मान्यता, नए पदों की अनुमति मिलना मुश्किल हैं।
सात साल पहले मिली थी ‘ए’ ग्रेड
बता दें कि विक्रम को 2015 को नैक मूल्यांकन के बाद ‘ए’ ग्रेड मिली थी। इसकी अवधि पांच साल थी। वर्ष 2020 में नैक मूल्यांकन होना था, लेकिन कोरोना के कारण मूल्यांकन लंबित होने से ‘ए’ ग्रेड को दो मर्तबा एक-एक साल का एक्सटेंशन मिल गया। पिछली बार विक्रम को ‘ए’ ग्रेड होने से करीब 20 करोड़ रुपए का अनुदान राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान से मिला है। इस बार नैक मूल्यांकन में विवि पुरानी ए ग्रेड भी नहीं बचा पाया, जबकि इस बार उम्मीद ए++ की थी।
कहां कमी रह गई देख रहे है- कुलपति
नैक टीम के दौरे के बाद विक्रम विश्वविद्यालय को बी++ ग्रेड मिली है। विश्वविद्यालय मात्र 0.9 अंक से पिछड़ गया है। कहां कमी रही है, इसको देख रहे है। नैक रिपोर्ट की समीक्षा कर अपग्रेडेशन की अपील करेंगे। अभी हमारे पास 45 दिन है अपील करने के लेकिन उससे पहले अपील करेंगे।
डॉ.अखिलेश कुमार पांडेय, कुलपति विक्रम विवि