न्यायिक सेवा परीक्षा के लिए एलएलबी में 70% अंक अनिवार्य

अभ्यर्थी को दो अर्हताओं में से किसी एक को पूरा करना अनिवार्य
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन मप्र हाई कोर्ट ने व्यवहार न्यायाधीश वर्ग दो के 138 पदों के लिए होने वाली प्रारंभिक परीक्षा के लिए विज्ञापन जारी किया है। अभ्यर्थी के लिए एलएलबी की डिग्री की न्यूनतम अर्हता के साथ इसमें दो अर्हताओं में से किसी एक को पूरा करना अनिवार्य है। इधर वकीलों का कहना है कि इन अर्हताओं की वजह से 90 प्रतिशत से ज्यादा वकील प्रारंभिक परीक्षा में शामिल ही नहीं हो सकेंगे।
जनवरी-2024 में होने वाली न्यायिक सेवा परीक्षा की न्यूनतम अर्हताओं को लेकर वकीलों की संस्था न्यायाश्रय ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा है। इसमें संस्था द्वारा अर्हताओं में संशोधन की मांग की गई है। मालूम हो कि परीक्षा में शामिल होने के लिए अभ्यर्थी को दो अर्हताओं में से किसी एक को पूरा करना अनिवार्य है।
पहली अर्हता तो यह है कि अभ्यर्थी ने एलएलबी के दौरान पहले ही प्रयास में हर सेमेस्टर में न्यूनतम 70 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हों। यानी एक भी सेमेस्टर में अभ्यर्थी को 70 प्रतिशत से कम अंक प्राप्त हुए तो वह न्यायिक सेवा परीक्षा के लिए पात्र नहीं माना जाएगा, भले ही सभी सेमेस्टरों के अंकों का औसत 70 प्रतिशत से अधिक क्यों न हो। दूसरी अर्हता है कि अभ्यर्थी को इस बात का प्रमाण देना होगा कि वह पिछले तीन वर्षों से वकालात कर रहा है। इसके लिए उसे हर वर्ष के कम से कम छह सारवान (महत्वपूर्ण) निर्णय या आदेश प्रस्तुत करने होंगे, जिसमें उसने पैरवी की हो।
अभिभाषकों का कहना-यह मुश्किल काम है
अभिभाषकों का कहना है कि दोनों ही अर्हताएं किसी भी जूनियर वकील के लिए पूरी कर पाना लगभग असंभव है। एलएलबी जैसे मुश्किल परीक्षा में हर सेमेस्टर में पहले ही प्रयास में 70 प्रतिशत अंक प्राप्त कर पाना बहुत मुश्किल है। इसी तरह एलएलबी की डिग्री प्राप्त करने के बाद तीन-चार वर्ष तो जूनियर वकील के रूप में काम करना होता है ताकि कानून की व्यावहारिक दिक्कतों को समझा जा सके। किसी भी जूनियर वकील के लिए तीन वर्ष तक हर वर्ष के छह सारवान आदेश या निर्णय अपने नाम से करवा पाना संभव नहीं।










