प्रत्याशियों के नाम को लेकर अटकलें जारी

विधानसभा चुनाव की कवायद
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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:आचार संहिता लागू होने के साथ ही राज्य के विधानसभा चुनाव का श्रीगणेश हो जाएगा। इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर तो तैयारियां अंतिम दौर में हैं ही राजनीतिक दल भी कमर कस कर चुनाव मैदान में उतरने को तैयार हैं। अब सभी की निगाहें अपने क्षेत्र के दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों पर हैं। उनके नाम की अटकलों का दौर जोर पकड़ गया है।
राज्य की विधानसभा के लिए चुनाव की तारीखों की अभी घोषणा नही हुई है लेकिन चुनाव को लेकर सरगर्मी बाजार में देखी जाने लगी है। नवंबर के अंतिम सप्ताह तक चुनाव होने की संभावना है। दूसरी ओर चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों व उनके नेताओं ने भी चुनाव मैदान में उतरने की अपने स्तर पर तैयारियां कर ली हैं। यूं चुनाव में कई पार्टियों के उम्मीदवार चुनाव मैदान में अपने हाथ आजमाते रहे हैं लेकिन राज्य में मुख्य मुकाबला प्राय: दो प्रमुख पार्टियों कांग्रेस व भारतीय जनता पार्टी के बीच ही रहा है।
अत: दोनों पार्टियां अपनी रणनीति व उम्मीदवार चयन की तैयारी में जुटी हैं। भारतीय जनता पार्टी चुनाव के लिए अब तक तीन बार में अपने 79 प्रत्याशियों के नामों की घोषणा का चुकी है जिसमें उज्जैन जिले की तराना, घटिया व नागदा खाचरोद सीटों के प्रत्याशियों के नाम भी शामिल हैं। दूसरी ओर कांग्रेस ने अब तक अपने एक भी प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। जिले की सभी 7 सीटों पर कांग्रेस के संभावित प्रत्याशियों एवं भाजपा के शेष 4 सीटों के संभावित प्रत्याशियों के नामों को लेकर सरगर्मी बाजार में देखने में आ रही है।
आम जनता के बीच चर्चा में कई नाम
आम जनता के बीच भी अब संभावित उम्मीदवारों के नाम को लेकर चर्चाओं का दौर गर्म है। प्रत्येक सीट पर रोज नए-नए नाम वातावरण में सरगर्मी बढ़ा रहे हैं। प्रत्याशियों के नामों को लेकर अटकलों का यह दौर अभी कुछ दिन और जारी रहने की संभावना है। विगत चुनाव में दोनों ही पार्टियों को लगभग बराबर की सीटों पर विजय मिली थी और सरकार बनाने में मुश्किलें बढ़ गई थीं।
दोनों पार्टियां इस बार चुनाव मैदान में फूंक-फूंक कर कदम रख रही हैं। दोनों ही पार्टियों की तरफ से चुनाव लडऩे के इच्छुक उम्मीदवारों की सूची में बड़ी संख्या में नाम शामिल हैं, अत: इनमे से जिताऊ उम्मीदवार का चयन करना इन पार्टियों के लिए बड़ा मुश्किल कार्य साबित हो रहा है। भाजपा ने तो इसके लिए बाकायदा अपने स्तर पर दो से तीन बार सर्वे भी कराए हैं। जाति, वर्ग, और महिला, पुरुष व युवा के साथ जनहित के मुद्दों पर संघर्ष का ट्रेक रिकार्ड आदि सभी दृष्टिकोण से प्रत्याशी की योग्यता का आकलन किया जा रहा है।










