प्रशासन के लिए खासी चुनौती वाली तारीख होगी 28 सितंबर

By AV NEWS

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन एक धर्म नगरी है और प्राय: सभी धर्मों के लोग यहां निवास करते हैं। सात वार, नौ त्योहार यहां की विशेष पहचान रही है। अर्थात लगभग प्रतिदिन ही कोई न कोई त्योहार का उल्लास यहां दिखाई देता है। किसी भी धर्म से जुड़ा कोई त्योहार हो, सांप्रदायिक सौहार्द यहां प्राय: बना रहता है और सभी मिलजुलकर प्रत्येक त्योहार मनाते हैं।

कई बार विभिन्न धर्मों के त्योहार साथ ही होते हैं और परस्पर सौजन्य से संपन्न हो जाते हैं लेकिन कई बार अलग-अलग धर्मों के ऐसे त्योहार एक ही समय में आ जाते हैं जब शांति और कानून व्यवस्था से जुड़े कई प्रश्न आम लोगों के मन में उभरने लगते हैं। ऐसे अवसर जिला और पुलिस प्रशासन के लिए भी खासी चुनौती वाले होते हैं।

इस बार ऐसे ही प्रश्न अनंत चतुर्दशी और ईद मिलादुन्नबी के त्योहार को लेकर उठने लगे हैं। इस माह एक ही तारीख में दोनों त्योहार होने से आम लोगों के मन में शांति और कानून व्यवस्था को लेकर कई प्रश्न खड़े हो रहे हैं। इस माह 28 सितंबर को अनंत चतुर्दशी होने से एक और गणेश विसर्जन जुलूस की धूम रहेगी वहीं दूसरी ओर ईद मिलादुन्नबी का जुलूस भी बड़े उत्साह व उल्लास के साथ निकाला जाएगा। यह दिन पुलिस प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती वाला रहेगा।

हालांकि ईद मिलादुन्नबी का जुलूस दिन में निकलता है और अनंत चतुर्दशी का मुख्य गणेश विसर्जन चल समारोह रात्रि में निकलता है। लेकिन हिंदू धर्मावलंबी सुबह से ही अपने घरों में विराजित भगवान गणेश की पार्थिव प्रतिमाओं का विसर्जन मुहूर्त के मान से करना आरंभ कर देते हैं। इसी के साथ शहर और समीपस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में जगह-जगह मंडप बना कर विराजित की गई विशाल प्रतिमाओं का विसर्जन भी चल समारोह के साथ करना आरंभ हो जाता है। चूंकि पार्थिव प्रतिमा का विसर्जन मुख्यत नदी में किया जाता है अत: शहर के प्राय: सभी स्थानों पर विराजित प्रतिमाएं नदी की ओर पहुंचती हैं।

नदी की ओर जाने का मुख्य मार्ग प्राय:

वही होता है जिस मार्ग से ईद मिलादुन्नबी का जुलूस निकाला जाता है। यह जुलूस छत्रीचौक के समीप टंकी चौक से आरंभ होकर गोपाल मंदिर से पटनी बाजार, गुदरी चौराहा, लोहे का पुल, तोपखाना, दौलतगंज चौराहा, फव्वारा चौक, एटलस चौराहा, नई सड़क, कंठाल, तेलीवाड़ा चौराहा होकर वापस टंकी चौक पहुंचता है।

ईद मिलादुन्नबी का जुलूस काफी लम्बा होता है और प्राय: सुबह करीब 9-10 बजे आरंभ होकर दोपहर 2-3 बजे तक संपन्न होता है। कई बार जुलूस 4 बजे बाद तक निकलते देखा गया है। ऐसे में इस अवधि में गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन जुलूस कैसे नदी तक पहुंच पाएंगे, यह यक्ष प्रश्न पुलिस प्रशासन के लिए खासी चुनौती वाला रहेगा।

पूर्व के अनुभवों के आधार पर प्रशासन को समय रहते दोनों धर्मों से जुड़े धर्मगुरुओं, प्रबुद्ध नागरिकों व समाज सेवियों की बैठक कर ऐसी व्यवस्था बनाने के प्रयास करना होंगे कि दोनों धर्मों के लोग अपने-अपने त्योहार शांति से मना सकें और शहर में कानून व शांति व्यस्था कायम रहे।

सौहार्द की भावना से तीज-त्योहार मनाते है

यूं सामान्यत: दोनों धर्मों के अनुयायी परस्पर शांति और सौहार्द की भावना से तीज-त्योहार मनाते हैं और शहर में शांति बनी रहती है लेकिन कुछेक अवसरों पर असामाजिक व विघ्नसंतोषी तत्व रंग में भंग डालने में कामयाब हो जाते हैं। पूर्व के वर्षों में गणेशोत्सव व मोहर्रम का पर्व साथ होने से खजूरवाली मस्जिद क्षेत्र में कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित होते देखी गई है।

फव्वारा चौक में गणेश प्रतिमा स्थापना और नवरात्रि में मां दुर्गा की प्रतिमा के विसर्जन जुलूस के दौरान सब्जी मंडी क्षेत्र में हुए विवाद के बाद शहर को कफ्र्यू तक की स्थिति का सामना करना पड़ा है। हाल ही के दिनों में बाबा महाकाल की सवारी के दौरान कथित रूप से मकान की छत से थूकने की घटना और बाद में कांग्रेस नेत्री के धरने के दौरान महाकाल सवारी निकाल कर दिखाने जैसी चुनौती की घटनाओं के चलते शहर सहित समीपस्थ ग्राम व शहरों तक में आंशिक रूप से तनाव की स्थित बनते देखी गई है।

Share This Article