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भस्मारती दर्शन नंदी हॉल में बैठने के 3000 और गणेश-कार्तिकेय मंडप के 1500 रुपए

समिति से अनुमति के बाद भी दलाल वसूल रहे हैं श्रद्धालुओं से रुपए, मंदिर प्रशासन मूकदर्शक

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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:शहरवासियों, जनप्रतिनिधियों और पुलिस प्रशासन के अफसरों की एक ही इच्छा रहती है कि देशभर से भगवान महाकालेश्वर के दर्शनों को पहुंचने वाले हर श्रद्धालु यहां से अच्छी स्मृतियां लेकर लौटे जिससे शहर का नाम देश विदेश में रोशन हो, लेकिन कुछ दलालों और महाकालेश्वर मंदिर को कमाई का जरिया बनाने वालों की वजह से देश भर में शहर की छवि धूमिल हो रही है। अक्षरविश्व की टीम द्वारा महाकाल मंदिर में भस्मारती, नंदीगृह से दर्शन के नाम पर चल रही दलाली का स्ट्रींग ऑपरेशन किया जिसका विवरण इस प्रकार है-

नैनीताल से दो श्रद्धालु उज्जैन दर्शन करने पहुंचे जिन्होंने भस्मारती दर्शन की इच्छा व्यक्त की।

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दोनों श्रद्धालुओं ने मंदिर समिति के नियमानुसार प्रोटोकॉल के माध्यम से भस्मारती परमिशन प्राप्त की।

सुबह 2.30 बजे दोनों श्रद्धालु मंदिर की भस्मार्ती दर्शन हेतु पहुंचे जिन्हें मंदिर परिसर में एक व्यक्ति ने रोका और बताया कि आपको इस परमिशन से सबसे पीछे कार्तिकेय मंडप में बैठकर भस्मारती दर्शन करने होगे।

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दर्शनार्थियों ने उस व्यक्ति से पूछा, आगे बैठकर दर्शन के लिये क्या करना होगा तो उसने कहा कि एक व्यक्ति के 3000 हजार इस प्रकार दो के कुल 6000 रुपये देने होंगे।

मंदिर में रुपये लेकर नहीं आने की बात दर्शनार्थियों ने कही तो उस व्यक्ति ने मोबाइल से ऑनलाइन पेमेंट डालने को कहा। जैसे ही दर्शनार्थी ने परमिशन होने के बावजूद नंदीहॉल से दर्शन की इच्छा जाहिर करते हुए उस व्यक्ति को ऑनलाइन पेमेंट किया उसने दोनों को नंदीहॉल में सबसे आगे ले जाकर बैठा दिया।

वही व्यक्ति फिर से दूसरे ग्राहक की तलाश में निकला और जिन लोगों के पास भस्म आरती की परमिशन ही नहीं थी उन्हें 1500 रुपये लेकर गणेश मंडप, कार्तिकेय मंडप तक छोड़कर आया।

रिकार्डिंग सुनकर सहायक प्रशासक ने कर्मचारी को बुलाया और श्रद्धालुओं के रुपए वापस कराये

जिन लोगों के साथ मंदिर परिसर में भस्मारती दर्शन के नाम पर 6000 रुपयों की ठगी हुई उन्होंने अक्षर विश्व के माध्यम से सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल को पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया। जूनवाल ने उक्त कर्मचारी की पहचान की और उसे प्रशासक कार्यालय में बुलाकर रुपये लेने के संबंध में पूछताछ की तो उसने ओर भी कई चौंकाने वाले खुलासे

प्रतिनिधि के सामने किये जो इस प्रकार हैं-दर्शनार्थियों से रुपये वसूलने वाले कर्मचारी की ड्यूटी व्हील चेयर चलाने के लिये लगी थी। वह अपनी ड्यूटी न करते हुए दर्शनार्थियों से दलाली कर रहा था। सहायक प्रशासक ने जैसे ही उससे रुपये लेने की पूछताछ की तो उसने बताया कि यह रुपये मेरे अकेले के नहीं हैं।

इसमें पूरा रैकेट मिला हुआ है। हर इंट्रीगेट पर रुपये देना पड़ते हैं जिसके बाद दर्शनार्थी को अंदर तक ले जाता हूं। भस्मारती दर्शन के एक व्यक्ति से 3000 हजार रुपये नंदी हॉल के लिये उसमें से 2000 रुपये 500-500 के मान से गार्डों को दिये और मुझे तो बस 1000 रुपये ही मिले। सहायक प्रशासक ने दर्शनार्थियों से लिये 6000 रुपये वापस ऑनलाइन उनके अकाउंट में ट्रांसफर करने को कहा। उसने दर्शनार्थी के रुपये वापस भी कर दिये जिसके बाद कर्मचारी को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।

इसलिए बड़े स्तर पर हो रही दलाली

यह कोई पहला या आखिरी उदाहरण नहीं कि महाकालेश्वर मंदिर में देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं के साथ अलग-अलग परमिशन, शीघ्र दर्शन, अभिषेक, पूजन आदि के नाम पर धोखाधड़ी हुई हो। अक्षरविश्व की टीम ने दलाली की मुख्य वजह जानने की कोशिश की जिसमें सामने आया कि मंदिर के विभिन्न प्रवेश द्वार पर लगे प्रायवेट कंपनी के गार्ड के बीच रोटेशन ड्यूटी नहीं होती जिस कारण एक ही जगह कई दिनों तक ड्यूटी करते हुए उक्त गार्ड दलालों के माध्यम से और स्वयं भी श्रद्धालुओं के साथ दर्शनों के नाम पर ठगी करते हैं। खास बात यह कि यह कर्मचारी नगद के अलावा ऑनलाइन पेमेंट लेने से भी नहीं डरते और इन्हें मंदिर प्रशासक या समिति का भी भय नहीं है।

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