मोबाइल रिपेयरिंग कम पूंजी में कमाई का जरिया

By AV NEWS

कुछ लोग पढऩे में अच्छे होते हैं और उसी के बल पर अपनी मंजिल हासिल कर लेते हैं तो कुछ पढऩे में भले ही औसत दर्जे के हों, पर हाथ के हुनर के बल पर सफलता की सीढिय़ां चढ़ते चले जाते हैं। मोबाइल रिपेयरिंग एक ऐसा ही हुनर है, जिसे सीख कर चाहें तो कहीं नौकरी कर लें या फिर स्वरोजगार शुरू कर दूसरों को नौकरी दें। कैसे, बता रहे हैं।

जन संचार का माध्यम होने के कारण करीब सत्तर से अस्सी प्रतिशत लोगों की जरूरत बन चुका मोबाइल अब रोजगार के नए-नए अवसरों का जरिया भी बन गया है। मोबाइल रिपेयरिंग भी इन्हीं में से एक है। आप मोबाइल रिपेयरिंग को सफल स्वरोजगार के रूप में अपना सकते हैं। वैसे तो आप इस काम को मोबाइल मैकेनिक रख कर भी कर सकते हैं, मगर सफल स्वरोजगार के लिए आप स्वयं प्रशिक्षण लें तो बेहतर होगा।

देश के हर शहर और कस्बे में मोबाइल मैकेनिक की जरूरत है। साथ ही मोबाइल रिपेयरिंग के इंस्टीटय़ूट भी देश में काफी संख्या में मौजूद हैं, जहां से कोर्स करके आप आसानी से इस क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं। 1994 से मोबाइल रिपेयरिंग का प्रशिक्षण दे रहे आईटीआई ट्रेनिंग सेंटर के संस्थापक चिन्मय गोयल कहते हैं कि मोबाइल से संबंधित यूं तो बहुत से काम हैं, जिनमें आप करियर बना सकते हैं, लेकिन मोबाइल रिपेयरिंग एक ऐसा काम है, जो कम से कम खर्चे पर स्वरोजगार स्थापित करने में मदद तो करता ही है, साथ ही अच्छी कमाई का भी जरिया बन जाता है। इस स्वरोजगार को कैसे अंजाम दिया जा सकता है, यहां इस बारे में विस्तार से बताया जा रहा है-

कोर्स :

मोबाइल मैकेनिक या इंजीनियर बनने के लिए आपको सबसे पहले किसी अच्छे संस्थान से कोर्स करना पड़ेगा। इसके लिए आप सरकारी या प्राइवेट संस्थान का चुनाव कर सकते हैं। वैसे तो मोबाइल रिपेयरिंग में अभी तक कोई डिग्री कोर्स नहीं है, लेकिन आप किसी भी संस्थान से डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स आसानी से कर सकते हैं। सरकारी संस्थानों में अभी मोबाइल रिपेयरिंग के प्रशिक्षण की कमी है। अधिकतर संस्थानों में सर्टिफिकेट कोर्स की अवधि एक से तीन या छह महीने और डिप्लोमा कोर्स की अवधि एक वर्ष है।

प्रवेश और योग्यता :

मोबाइल रिपेयरिंग का कोर्स करने के लिए आठवीं या दसवीं पास इच्छुक अभ्यर्थी कोर्स कर सकते हैं। इसके अलावा आपको हिन्दी पढऩी-लिखनी आनी चाहिए। अंग्रेजी का ज्ञान है तो बेहतर होगा। कुछ संस्थानों में बारहवीं पास अभ्यर्थियों को ही प्रवेश दिया जाता है। कोर्स करने के लिए आप अपनी इच्छानुसार किसी भी संस्थान में जाकर दाखिला ले सकते हैं।

फीस :

अलग-अलग संस्थानों में फीस अलग-अलग है, लेकिन एक एवरेज फीस दस से पंद्रह हजार है, जिसमें कुछ संस्थान टूल किट भी उपलब्ध कराते हैं। सरकारी संस्थानों में फीस कम है। स्वरोजगार समिति में एक हजार रुपए फीस है। यह सरकारी संस्थान है, जो एक महीने का सर्टिफिकेट कोर्स कराता है। इसके लिए आपको कम से कम दो साल का दिल्ली का रेजिडेंस प्रूफ देना पड़ेगा।

स्वरोजगार के लिए जरूरी तथ्य

  • स्वरोजगार स्थापित करने से पहले आपको कुछ जरूरी बातें ध्यान में रखनी चाहिए-
  • यह काफी बारीकी वाला काम है, इसलिए बहुत ध्यान से काम करने की जरूरत होती है।
  • पार्ट्स की जानकारी के साथ आपको कंप्यूटर की जितनी अच्छी नॉलेज होगी, आप उतने ही सफल मैकेनिक होंगे।
  • मार्केट में आने वाले हर मोबाइल की जानकारी के साथ उसकी कार्य प्रणाली की जानकारी से जितने अपडेट होंगे, आप उतनी ही तरक्की कर सकेंगे।
  • जगह का चुनाव जितनी समझदारी से करेंगे, उतना बेहतर होगा।
  • ग्राहकों का विश्वास जीतने के लिए मुनासिब दामों में बेहतर सर्विस भी आपके व्यवसाय की तरक्की का कारण बनेगी।
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