लाइफ इंश्योरेंस लेते वक्त की जाने वाली सामान्य गलतियां, जानिए

By AV NEWS

हम में से शायद ही कोई यह स्वीकार करे तो वह जानकार है. खास तौर पर जब बात आर्थिक मामलों को लेकर की जाए तो सभी कहेंगे कि उन्हें इसकी जानकारी है और वे जानते है कि उन्हें क्या करना है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम कभी भी ग़लत निर्णय नहीं कर सकते. विशेष तौर पर यदि बात लाइफ इंश्योरेंस से जुड़ी हुई तो यह देखा गया है कि इसमें सबसे ज्यादा ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है लेकिन फिर भी न चाहते हुए भी कुछ चीजों को अनदेखा कर दिया जाता है. हालांकि, जीवन बीमा एक ऐसा साधन है जो गलतियों के लिए बहुत कम जगह छोड़ता है, क्योंकि इसका खामियाजा अक्सर आपके आश्रितों द्वारा महसूस किया जाता है.

एक रिस्क मैनेजमेंट टूल के रूप में, जीवन बीमा आपकी अनुपस्थिति में आपके प्रियजनों के वित्तीय हितों को सुरक्षित करने का प्रयास करता है और इसलिए, बड़ी या छोटी किसी भी गलती से बचना नितांत आवश्यक है. विशेषज्ञ बताते हैं कि कौन सी गलतियां है जिन्हें कई बार जानकार व्यक्ति भी कर देते है, आज यहीं जानते है.

टर्म इंश्योरेंस का महत्व नहीं समझना

लोग पैसा जमा करने और वो कैसे बढ़े बस इस पर फ़ोकस करते है. जोखिम उठाकर निवेश करने में भी नहीं हिचकिचाते है लेकिन वो टर्म इंश्योरेंस का महत्व नहीं समझना चाहते है. जबकि यह भविष्य में आपके परिवार को किसी भी तरह के आर्थिक संकट ख़ासतौर से आपके नहीं रहने के बाद नहीं होना देता. क्योंकि इस प्लान में 50 लाख से एक करोड़ रुपये का कवर लेने पर आपको महज हर महीने डेढ़ से दो हज़ार रुपये तक का प्रीमियम ही आता है. इसमें मेडिकल इमरजंसी की स्थिति में भी लमसम पे का विकल्प होता है. दस साल के लिए भी टर्म प्लान ले तो क़रीब दो-ढ़ाई लाख रुपये ही प्रीमियम होता है लेकिन उसका कवर एक करोड़ का होता है. इतना पैसा सेव करने के बाद भी यदि आपको कुछ हो जाए तो ख़ुद सोचे कि परिवार के लिए जोड़े गए 20 लाख कितना काम आएगा जबकि आप उन्हें एक करोड़ रुपये का कवर दे सकते है.

बीमा सिर्फ मौत के बाद के लिए नहीं, पहले भी काम आता है

ज़्यादातर लोगों का आज भी यही सोचना है कि बीमा का मतलब सिर्फ़ मौत हो जाने के बाद का फ़ायदा है जो परिजन को मिलता है. लेकिन ऐसा नहीं है आज ऐसी कई पॉलिसी है जो कि हर स्थिति में आपके लिए फ़ायदेमंद है अचानक नौकरी चले जाने पर भी ऐसी पॉलिसी है जो आपकी आर्थिक मदद करती है हर महीने, आपके सारे लोन व खर्चे आप उससे भर सकते है. किसी छोटे एक्सीडेंट जिसमें कोई हड्डी भी टूट जाए तो उस दौरान आपको 20 से 40 (ली गई पॉलिसी के अनुसार) हर महीने मिल सकते है. जब तक आप पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते. वहीं किसी अप्रिय स्थिति कोमा में जाने पर भी आपके परिवार को लमसम पैसा मिलता है.

प्रीमियम बचाने के लिए पूरी जानकारी न देना

यह एक बेहद आम गलती है जो अच्छे-अच्छे जानकार भी करते है और वो है पॉलिसी लेते समय प्रीमियम न बढ़ जाए इसके लिए तथ्यों को छिपाना. मसलन यदि आपको कोई बीमारी है तो कंपनी आपसे पूछ रही है तो आपका न बताना, क्योंकि उस स्थिति में प्रीमियम बढ़ सकता है. इसकी सबसे बड़ी समस्या यही है कि जब दोबारा आपको उस बीमारी से दिक्कत सामने आए तो आपको अपनी पॉलिसी का फ़ायदा नहीं मिलेगी. अतः मेडिकल हिस्ट्री को कभी नहीं छिपाना चाहिए.

अपने परिवार को न बताना

भारत में यह सामान्य तौर पर देखा गया है कि लोग पॉलिसी तो करवा लेते है लेकिन अपने परिचितों को इसकी जानकारी नहीं देते है. एक रिपोर्ट में भी यह सामने आया था बीमा क्लेम के करोड़ों रुपये बीमा कंपनियों के पास ही पड़े है क्योंकि क्लेम करने कोई नहीं आया. इसमें मैच्योर हो चुकी पॉलिसी भी होती है. ऐसा इसलिए होता है कि बीमा करवाने वाले की ओर से इसकी जानकारी परिवार को नहीं दी जाती जिसके चलते उनकी मृत्यु की स्थिति में किसी को जानकारी होती ही नहीं है.

नियमित रूप से अपनी कवर की समीक्षा न करना

जीवन बीमा को एक दीर्घकालिक समाधान मानते हुए, लोग अक्सर मानते हैं कि एक बार खरीदने के बाद, आपका उद्देश्य पूरा हो गया है. हालांकि, जैसे-जैसे आप अपने जीवन के चरणों में आगे बढ़ते हैं, आपके जीवन की वित्तीय मजबूरियां बदल जाती हैं. इसलिए, हर साल कम से कम एक बार अपने जीवन बीमा की समीक्षा करना महत्वपूर्ण है.

बीमा और अन्य प्रोडक्ट्स की तुलना करना

स्मार्ट लोग जो मुख्य गलतियां करते हैं उनमें बीमा और अन्य वित्तीय उत्पादों के बीच तुलना करना शामिल है. उदाहरण के लिए, एक फ़िक्स डिपॉजिट की तुलना अक्सर एक गारंटीकृत बीमा योजना से की जाती है. हालांकि, FD और गारंटीड प्लान एक अलग उद्देश्य पूरा करते हैं – एक बचत उत्पाद है और दूसरा धन संचय समाधान प्रदान करता है. इसी तरह, यूलिप की तुलना अक्सर एसआईपी से की जाती है. न केवल वे दोनों तुलनीय नहीं हैं, वे विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं और उनके पक्ष और विपक्ष हैं.

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