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विधायक जैन की नाराजगी बरकरार कल फिर जाएंगे तीर्थ यात्रा पर

भाजपा द्वारा बिना बताए टिकट काटने का दर्द नहीं हो रहा दूर

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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन भाजपा द्वारा उज्जैन उत्तर विधानसभा से इस बार टिकट न देने से नाराज विधायक पारस जैन का सोमवार को शहर लौट आए, लेकिन उनकी पार्टी से उनकी नाराजगी अभी दूर नहीं हो सकी है। वे वापस उज्जैन से बाहर तीर्थ यात्रा पर रहेंगे। इसकी उन्होंने तैयारी कर ली है।

जैन ने कल सोशल मीडिया पर अपना पत्र जारी किया था, जिसमें यह दर्द।खुलकर बयां किया था कि टिकट नहीं मिलने का उनको मलाल नहीं, लेकिन एक बार उनसे पूछ लिया जाता तो दु:ख नहीं होता। सोमवार को वे मोहनखेड़ा तीर्थ से वापस लौटे और अपने निवास पर माता पूजन किया। वे आज शाम या कल वापस तीर्थ यात्रा पर जाने की तैयारी कर रहे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि उनका दर्द अभी दूर नहीं हुआ है। कुछ दिन वे शहर से दूर रह सकते हैं।

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दरअसल, टिकट की घोषणा होने से पहले तक जैन को पार्टी नेताओं की ओर से यही भरोसा दिलाया जाता रहा कि उनको टिकट दिया जा रहा है, वे तैयार रहें, लेकिन एनवक्त पर उनका टिकट कट गया और प्रदेश सह कोषाध्यक्ष अनिल जैन कालूहेड़ा को मौका मिल गया।

नवमी पूजन के लिए आया हूं…

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जैन ने अक्षरविश्व से चर्चा में बताया कि वे नवमी पूजन के लिए घर आए हैं। इसके बाद वापस मोहनखेड़ा तीर्थ जाने की तैयारी है। उन्होंने कहा सोशल मीडिया के माध्यम से उन्होंने जो बात कही उसमें गलत कुछ भी नहीं है।

निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे पोरवाल

उज्जैन। कांग्रेस के पुराने कार्यकर्ता भरत पोरवाल कांग्रेस से बगावत करके 28 अक्टूबर को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना पर्चा दाखिल करेंगे। उन्होने दावा किया कि उन्हे सर्व समाज का समर्थन प्राप्त है। वे संतो से लेकर सामाजिक/राजनीतिक क्षेत्र तक अपना होमवर्क पूरा कर चुके हैं। अक्षरविश्व’ से सिधी चर्चा में उन्होने बताया कि वे प्रारंभ से ही कांग्रेसी हैं। कांग्रेस के लिए पूरे जीवन काम किया।

यहां तक कि जिला पंचायत में कांग्रेस का बोर्ड तक बनवाया। भाजपा से सिधी लड़ाई लड़ी। दु:ख व्यक्त किया कि जिन्होने भी कांग्रेस से बगावत करके चुनाव लड़ा,उन सभी को पार्टी ने पिछले 10 सालों में टिकट दी। जबकि मैं कांग्रेस में रहकर टिकट मांग रहा था और पार्टी ने मुझे दरकिनार कर दिया। श्री पोरवाल ने चर्चा में आरोप लगाया कि अब उज्जैन दक्षिण से दो यादव चुनाव मैदान में हैं।

मतदाता कन्फ्यूज्ड है कि किस यादव को वोट दे। ऐसे में उनकी दावेदारी जीत लेकर आएगी। उन्होने किसी बड़े नेता को फोन नहीं किया और किसी का उनके पास फोन नहीं आया। यदि पंचक नहीं होता तो अभी फार्म भर देता। कांग्र्रेस को यदि टिकट सामान्य वर्ग से देना थी तो अजीतसिंह को देते।

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