शिवलिंग पर क्यों चढ़ाया जाता है दूध, जानिए

हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 11 मार्च 2021 को पड़ रहा है। यह दिन भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने हेतु बहुत महत्वपूर्ण रहता है। धर्म ग्रंथों में वर्णित पौराणिक कथाओं के अनुसार शिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। यही कारण है कि शिव भक्तों के लिए यह दिन बहुत महत्व रखता है। शिवरात्रि पर लोग दूध से भगवान शिव का अभिषेक करते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि शिवलिंग पर दूध क्यों चढ़ाया जाता है। तो चलिए जानते हैं शिवलिंग पर दूध चढ़ाने के पीछे की कथा।

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विष्णु पुराण में मिलने वाली कथा के अनुसार जब अमृत प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन किया गया तो इस दौरान सबसे पहले हलाहल विष की प्राप्ति भी हुई। इस हलाहल की ज्वाला बहुत ही तीव्र थी। इस जहर की ज्वाला की तीव्रता के प्रभाव से सभी देव और देत्य जलने लगे। इस विष के कारण संसार का विनाश हो सकता था, परंतु किसी में भी उस विष को सहन करने की क्षमता नहीं थी। तब सभी भगवान शिव के शरण में गए। तब इस सृष्टि को बचाने के लिए भगवान शिवजी ने इस विषय का पान कर लिया। हलाहल विष पीने के कारण उनका शरीर तपने लगा। विष का प्रभाव इतना ज्यादा था कि उनका कंठ नीला हो गया। उनके शरीर को जलन से बचाने के लिए देवताओं ने उनके ऊपर जल डालना आरंभ कर दिया, देवी गंगा पर भी इसका प्रभाव पड़ने लगा, लेकिन फिर भी उनके शरीर की तपन पर कोई ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा।

तभी सभी देवताओं ने उनसे दूध ग्रहण करने का निवेदन किया। दूध पीने से विष का असर कम हो गया और भगवान शिव के शरीर की तपन शांत हो गई। तभी से शिवजी को दूध बहुत प्रिय है। यही कारण है कि भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर दूध चढ़ाया जाता है। विष के कारण भगवान शिव का कंठ नीला होने के कारण ही उन्हें नीलकंठ कहा जाता है।

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