सवारी में महाकाल महाराज की पालकी होगी ऊंची…!

सावन सवारी का 70 साल पुराना स्वरूप वापस करने की तैयारी….
मंदिर प्रबंध समिति के बैठक में आज शाम प्रस्ताव पर होगा मंथन, वर्तमान स्थिति में नजर नहीं आती पालकी…
अक्षरविश्व न्यूज . उज्जैन: राजाधिराज महाकाल की सावन सवारी के दौरान भक्तों को आसानी से दर्शन कराने को लेकर महाकाल मंदिर प्रबंध समूति में रविवार शाम को मंथन होगा। इसमें भगवान महाकाल की पालकी की ऊंचाई बढ़ाने के प्रस्ताव पर भी मंथन कर कोई निर्णय लिया जा सकता है।
महाकाल मंदिर प्रबंध समिति की बैठक आज रविवार शाम चार बजे महाकाल महालोक परिसर स्थित कंट्रोल रूम पर बुलाई गई है। इसमें मंदिर की व्यवस्थाओं सहित दर्शनार्थियों की भीड़ को नियंत्रित करने और गर्भगृह की व्यवस्थाओं पर चर्चा होगी। समिति अध्यक्ष और कलेक्टर कुमार पुरुषित्तम सहित महापौर मुकेश टटवाल, अशासकीय सदस्य पंडित राजेंद्र शर्मा गुरु, पंडित प्रदीप पुजारी, पंडित राम गुरु और जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में सोमवार को निकलने वाली सवारी के दौरान होने वाली समस्याओं को दूर करने पर निर्णय लिए जाएंगे। पिछली सवारी में पुलिस द्वारा एक श्रद्धालु को चांटा मारने और अभद्रता करने की घटना के बाद यह बैठक आपात रूप से बुलाई गई है। इसमें पालकी की सवारी की ऊंचाई बढ़ाने का प्रस्ताव पेश किया जा सकता है। इस पर सर्वसम्मति बनने पर कोई निर्णय लिया जाएगा। इससे दर्शनार्थियों को दर्शन भी आसानी से होंगे और भक्तों के साथ अभद्रता जैसी घटनाएं भी रोकी जा सकती हैं। पुजारियों से मंदिर और सवारी की परंपराओं को लेकर भी चर्चा की जाएगी। गर्भगृह में प्रवेश को लेकर भी कोई निर्णय किए जा सकते हैं। प्रबंध समिति की बैठक के बाद भजन मंडलियों की बैठक भी होगी।
1950 में निकलने वाली सवारी के स्वरूप पर भी चर्चा संभव
बैठक में 1950 में निकलने वाली भगवान महाकाल की सवारी के प्राचीन स्वरूप पर भी चर्चा हो सकती है। 1950 में निकली सवारी का एक दुर्लभ फोटो तीसरी सवारी के बाद से सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर भी बैठक में चर्चा कर पालकी की ऊंचाई बढ़ाने के प्रस्ताव पर कोई निर्णय लिया जा सकता है।
इन तीन प्रमुख प्रस्तावों पर हो सकता फैसला
- सवारी मार्ग के बेरिकेड्स की ऊंचाई अधिक होने के कारण पालकी की ऊंचाई बढ़ाई जाए।
- पालकी को ऊंचे रथ पर विराजित कर निकाला जाए और मंदिर से रथ फिर रामघाट पर कहार पालकी को कंधे देकर उतारें और विराजित करें।
- पालकी के आसपास श्रद्धालुओं की भीड़ नियंत्रित रखी जाए। पुजारियों के अलावा अन्य कोई न चले।
भजन मंडलियों के कारण पालकी आने पर बिगड़ रही व्यवस्थाएं
- सवारी में शामिल होने वाले भक्तों के अनुसार पिछली तीन सवारी से देखा जा रहा है कि पालकी आने तक भजन मंडलियां गुदरी चौराहे पर जमा रहती हैं।
- पुलिस बेंड,सशस्त्र बल टुकड़ी आदि को भी भजन मंडलियों को किनारे कर आगे निकालना पड़ता है।
- पालकी आने तक भजन मंडलियों का कारवां चौबीस खम्बा पर ही डटा रहता है, जिससे पालकी आते ही भगदड़ की स्थिति बन जाती है।
- भजन मण्डलियों को दोपहर 3 से 3.15 के बीच चलायमान करना जरूरी है ताकि पालकी जब गुदरी पर हो तो भजन मंडलियों का अंतिम छोर कहारवाड़ी तक पहुंच जाए।
- भजन मण्डलियों के लिए एक फोर्स अलग से रखा जाए क्योंकि रस्सादल केवल सौंपी गई भजनमण्डली तक ही सीमित रह जाता है।
- मन्दिर से पालकी उठने से आधे घण्टे पहले भजनमण्डली का कारवां कहारवाड़ी मार्ग तक पहुंच जाना चाहिए।
रथ पर निकले राजा महाकाल!
वर्तमान परिस्थितियों में मंदिर के पुजारियों और श्रद्धालुओं के बीच से यह सुझाव उभरा है कि भगवान महाकाल की पालकी को रथ पर नगर भ्रमण कराया जाए। पुरानी परंपरा को बनाए रखने के लिए कहार कंधा देकर पालकी को मंदिर से रथ तक शाही सम्मान के साथ लाएं और सवारी आरंभ की जाए। रामघाट पर भी कहार कंधा देकर रथ से पालकी को गार्ड ऑफ ऑनर के साथ उतारें और इसी शाही सम्मान के साथ वापस रथ पर विराजित करें। इससे पुरानी परंपरा भी बनी रहेगी और पालकी में भगवान के दर्शन भी अच्छे से हो सकेंगे।
परंपरा भी बनी रहे और दर्शन भी सुलभ हो
राजाधिराज भगवान महाकाल की सवारी के दौरान प्राचीन परम्परा भी बनी रहे और भक्तों को आसानी से दर्शन भी हो, ऐसा वर्तमान परिस्थितियों को देख निर्णय करना चाहिए।
पंडित प्रदीप गुरु, सदस्य महाकाल मंदिर प्रबंध समिति