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हरियाली अमावस्या की पूजा विधि व कथा

सावन के महीने में पड़ने वाली अमावस्या (Amavasya) का बहुत महत्व है. यह दिन पितरों के तर्पण के लिए खास होता है. ऐसा कहते हैं कि इस दिन किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. लेकिन यह तिथि दान-पुण्य के वास्ते और पूजा-पाठ के लिए अच्छी मानी जाती है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पितरों (Pitru) का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष मिलता है माना जाता है कि इस दिन शिव-पार्वती की पूजा करने से भक्तों को पृथ्वी पर ही स्वर्ग तुल्य फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही साल 2024 में इस दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं जिनके चलते इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। आइए ऐसे में जान लेते हैं कि अमावस्या तिथि 2024 में कब है और इस दिन दान-पुण्य के लिए शुभ समय कब रहेगा।

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हरियाली अमावस्या पर शुभ योग
साल 2024 में हरियाली अमावस्या 4 अगस्त को है। इस दिन सुबह से ही शिववास योग बन रहा है। इस योग के दौरान भगवान शिव माता गौरी के साथ रहते हैं। इस योग में शिव-पार्वती की पूजा करने से अत्यंत शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही रविवार के दिन हरियाली अमावस्या होने के कारण रवि पुष्य योग का निर्माण भी हो रहा है, क्योंकि इस दिन पुष्य नक्षत्र रहेगा। यह योग दोपहर 1 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही दोपहर 1 बजकर 26 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग भी अमावस्या तिथि के दिन रहेगा। इन शुभ योगों के चलते इस दिन पूजा-पाठ, दान और तर्पण करना बेहद शुभ माना जा रहा है।

पूजा का शुभ मुहूर्त
प्रातःकाल में पूजा दान पुण्य और तर्पण के लिए शुभ समय: अमावस्या तिथि के दिन आप सुबह 5:30 से लेकर 8:00 बजे तक भगवान शिव की पूजा के साथ ही दान-पुण्य और पितृ तर्पण कर सकते हैं। हालांकि दान के लिए यह पूरा ही दिन शुभ माना जाएगा।

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मध्याह्न में पूजा का शुभ समय: हरियाली अमावस्या के दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:00 से लेकर 12 बजकर 54 मिनट तक रहेगा इस दौरान भी आप शिव आराधना या शिव जी के मंत्रों का जप कर सकते हैं।

सायंकाल पूजा का समय: शिव पूजन के लिए सांयकाल का समय भी अच्छा माना जाता है इस दौरन आप 6:00 बजे से लेकर 7 बजकर 30 मिनट तक पूजा कर सकते हैं।

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हरियाली अमावस्या के दिन पूजा विधि

हरियाली अमावस्या के दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर लें.
स्नान के बाद साफ कपड़ें धारण कर मंदिर की सफाई करें.
मंदिर में शिव-गौरी की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए और उन्हें फूल, धूप, फल और दीप अर्पित करें.
पूजा के समय शिव-पार्वती को मालपुआ या खीर का भोग लगाएं.
शिव मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें.
अंत में शिव-गौरी के साथ सभी देवी-देवताओं की आरती करें.
इन मुहूर्तों में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करें और बेलपत्र, धतूरा, एवं पुष्प अर्पित करें।

दान पुण्य का महत्व
हरियाली अमावस्या पर दान पुण्य का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान आपको करना चाहिए। विशेष रूप से वृक्षारोपण का भी इस दिन महत्व है। पेड़ लगाने से न केवल पर्यावरण को लाभ होता है बल्कि इसे धार्मिक दृष्टिकोण से भी पुण्य फलदायी कार्य माना जाता है। पेड़ लगाकर आप आने वाली पीड़ियों को प्राकृतिक सुंदरता और सेहत का दान देते हैं।

हरियाली अमावस्या की कथा 

किसी समय एक पराक्रमी राजा अपने बेटे-बहू के साथ किसी राज्य में रहते थे। एक दिन बहू ने चोरी से मिठाई खाई और कहा कि मिठाई चूहे ने खा ली। उसी महल में एक चूहा भी रहता था। उसे ये पता चला तो उसने रानी को सबक सिखाने की सोची।

एक दिन राजा के महल में विशेष मेहमान आए, जिन्हें आलीशान कमरे में रुकवाया गया। चूहे ने बहू की साड़ी उनके कमरे में जाकर रख दी। जब राजा को इस बात का पता चला तो उसे अपनी बहू को महल से निकाल दिया।

बहू जंगल में रहती और ज्वार उगाने का काम करती। वह रोज शाम को भगवान की पूजा कर, दीपक भी जलाती। एक दिन राजा जंगल से गुजरे तो उन्हें चमकदार दीपक जलता हुआ दिखाई दिया। राजा ने सैनिकों को उस दीपक को लाने भेजा।

जब सैनिक वहां गए तो दीपक ने उन्हें बताया कि ‘मैं रानी का दीपक हूं। चूहे ने रानी की साड़ी मेहमानों के कमरें में रखी थी, जिसकी सजा रानी को मिल रही है। सैनिकों ने ये राजा को बताई। राजा ने बहू को महल में बुलवा लिया और सभी खुशी-खुशी राजमहल में रहने लगे।

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