20/84 महादेव : श्री प्रतीहारेश्वर महादेव मंदिर

यस्य दर्शनमात्रेण धनवानिह जायते।।

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लेखक – रमेश दीक्षित

श्री नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर से पूर्व दिशा की लगी हुई दीवार में यहां बमुश्किल 1-2 व्यक्तियों के अंदर रहने इतना 30 वर्गफीट का गर्भगृह है। गोलाकार व ऊपर से समतल लगभग 2 फीट- वृत्त में स्थित शिवलिंग पीतल की जलाधारी से आवृत है जिसे एक बड़ा नाग चारों ओर से लपेटे हुए है।

जलाधारी पर सूर्य, चंद्र व शंख उत्कीर्ण हैं। दक्षिणाभिमुख संगमरमर पर की बाएं से क्रमश: गणेश, पार्वती व नंदीगण की मूर्तियां। गणेशजी के पास त्रिशूल, डमरू व ओम चिह्न स्थित हैं। दीवारों पर प्राचीन स्तंभ प्रस्तुक खंड आदि मंदिर की प्राचीनता दर्शाते हंै।

शिवलिंग का माहात्म्य-

बृहस्पति ईश्वर से रति से निवृत होने की प्रार्थना करने हेतु सभी देवगणों के साथ मन्दराचल के द्वार पर आये। उस समय नंदी द्वार पर प्रतिहार के रूप में नियुक्त थे। तब अग्नि प्रतिहार का अतिक्रमण कर ईश्वर के कानों में कु छ कहा। तब ईश्वर बोले मैं तुम्हारा क्या कार्य करूं। तब अग्नि ने सभी का मन्तव्य बताया।

शाप से नंदी भूतल पर पतित हो गये तथा शोक से विलाप करने लगे। तब शापमुक्ति के लिये लोकपालों ने नंदी को महाकाल वन में जाकर कापालिक वेश में देव-देव की पूजा करने का कहा। पूजा करते ही लिंग से अशरीरी वाणी सुनाई पड़ी। प्रतिहारी को शापमुक्ति मिल गई। वह लिंग इसी नाम से पूजित हुआ।

फलश्रुति

जो प्रतीहारेश्वर लिंग की पूजा करते हैं उनको स्थानच्युति व वियोग की स्थिति नहीं होती। उसके सात जन्मोंं के पाप समूह नष्ट हो जाते हैं तथा समस्त कुल स्वर्ग लाभ पाता है। इसके दर्शन मात्र से मनुष्य धनवान हो जाता है।

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