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22/84 महादेव : श्री कर्कटेश्वर महादेव मंदिर

यस्य दर्शनमात्रेण तिर्यग्योनिर्न दृश्यते।।

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लेखक – रमेश दीक्षित

यह मंदिर ढाबा रोड स्थित श्री सत्यनारायण मंदिर के सामने घाटी पर चढ़कर दाएं मुडऩे पर पास ही दाईं ओर स्थित है। बाहरी प्रवेश द्वार के भीतर स्टील का द्वार है। 25 वर्गफीट आकार के गर्भगृह के मध्य में कोई 3 फीट चौड़ी पीतल की जलाधारी के मध्य 8 इंच ऊंचे शिवलिंग को नाग आवेष्टित किए है। जलाधारी की जल निकासी के पास काले पत्थर के नंदी विराजमान हैं। दीवारों के ताक में बाएं गणेश, मध्य में पार्वती की काले पत्थर की प्राचीन मूर्ति तथा एक ओर संगमरमर की पार्वती की प्रतिमा है।

माहात्म्य की कथा-

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महादेव कहते हैं पूर्वकाल में बृहत कल्प में धर्ममूर्ति नाम का तेजस्वी राजा अपनी अलोकसामान्या रूपवती पत्नी के साथ रहता था। उसके पुरोहित वसिष्ठ से उत्तम रानी प्राप्त होने का कारण पूछा। वसिष्ठ ने कहा आप पूर्व जन्म में वेद निंदक, अत्यंत क्रोधी थे तथा बहुविध नरक यातनाएं भोगी।

आपको कर्कट (केकड़ा) के रूप में महाकाल वन विख्यात शिव सरोवर में गिराया, जहां जो जपा जाता है, होम किया जाता है, अक्षय हो जाता है। एक बार आपको कौए ने चोंच में दबाकर शिव के सम्मुख गिरा दिया, आपको तत्क्षण कर्कट देह से मुक्ति मिल गई। स्थान के प्रभाव से आपने दिव्य देह धारण कर लिया। इस लिंग के प्रभाव से यह संभव हुआ, अत: यह लिंग जगत में कर्कटेश्वर लिंग के नाम से पूजा जाएगा।

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फलश्रुति-

जो इस लिंग की पूजा करेगा, वह पृथ्वी पर दीर्घकाल पर्यंत भोगकर अंत में परमगति पाएगा। इसके दर्शन से तिर्यक् योनि नहीं मिलती। अष्टमी तथा चतुर्दशी के दिन नियमपूर्वक कर्कटेश्वर के दर्शन करने से मुनष्य तेजस्वी सार्वकामिक विमान
पर बैठक अपनी २१ पीढ़ी के साथ शिवलोक जाते हैं।

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