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5वीं और 8वीं कक्षा की वार्षिक परीक्षा पर असमंजस

कैसे होगी तैयारी: वार्षिक मूल्यांकन के लिए कोई खाका तैयार नहीं

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उज्जैन।स्कूली शिक्षा विभाग ने प्रदेश के निजी व सरकारी स्कूलों में पांचवी, आठवीं की परीक्षा बोर्ड पैटर्न पर करने का निर्णय लिया है,लेकिन शैक्षणिक कैलेंडर शेष अवधि को देखते हुए वार्षिक परीक्षा पर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

दरअसल स्कूलों में बोर्ड पैटर्न के हिसाब से परीक्षा लेने यानी वार्षिक मूल्यांकन के लिए कोई खाका तैयार नहीं किया गया। वहीं शैक्षणिक कैलेंडर की अवधि में 110 दिन ही बाकी रह जाते हैं। निजी व सरकारी स्कूलों में पांचवी, आठवीं की परीक्षा बोर्ड पैटर्न करने की घोषणा तब की गई, जब स्कूल खुले हुए 80 दिन हो चुके थे।

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जानकारों के अनुसार शैक्षणिक कैलेंडर के मुताबिक सामान्य तौर पर साल भर में 220 दिन स्कूल लगते हैं। इनमें से स्कूल खुले रहने की अवधि के 80 दिन हटाने पर कुल 140 दिन बचते हैं। इनमें भी 20 दिन रविवार और 10 दिन अन्य छुट्टी के घटा दें तो सिर्फ 110 दिन ही बाकी रह जाते हैं। इसके बाद भी स्कूलों में बोर्ड पैटर्न के हिसाब से परीक्षा लेने यानी वार्षिक मूल्यांकन के लिए कोई खाका तैयार नहीं किया गया।

गत वर्ष केवल सरकारी स्कूलों में
पिछले साल भी पांचवीं और आठवीं की बोर्ड पैटर्न पर परीक्षा ली गई थी, लेकिन यह फार्मेट सिर्फ सरकारी स्कूलों में ही लागू हुआ था। 4 सितंबर २०२२ को पांचवीं, आठवीं की परीक्षा बोर्ड पैटर्न पर लिए जाने की घोषणा की गई थी। इसके कुछ दिन बाद ही स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार ने भी यही घोषणा की थी। स्कूलों में नया शैक्षणिक सत्र 16 जून से शुरू हुआ था। इन दोनों तारीख में 80 दिन का अंतराल है।

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14 साल बाद लागू हुआ यह पैटर्न
प्रदेश में पांचवीं-आठवीं की बोर्ड परीक्षा 2007-08 में बंद कर दी गई थी। नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) लागू होने के बाद विद्यार्थियों का वार्षिक मूल्यांकन किया जाने लगा था। आरटीई के तहत किसी भी छात्र को फेल नहीं किया जा सकता था। इससे कमजोर छात्र भी पास होने लगे थे। केंद्र की अनुमति मिलने के बाद मप्र ने 2019 में आरटीई में संशोधन किया। इसके बाद पिछले साल सिर्फ सरकारी स्कूलों में परीक्षा बोर्ड पैटर्न पर ली गई थी, लेकिन इस साल इसमें प्राइवेट स्कूलों को भी शामिल कर लिया गया है।

स्कूल संचालक बोले, शुरुआत में ही लेना था यह निर्णय:

निजी स्कूल संचालक का कहना है कि बोर्ड पैटर्न परीक्षा संबंधी निर्णय सत्र की शुरुआत में हीं लिया जाना था। शैक्षणिक कैलेंडर के मुताबिक लगभग ११० दिन की अवधि शेष है। इतने कम समय में बच्चों की इस पैटर्न पर तैयारी करना संभव नहीं है। स्कूलों से परीक्षा फीस लेना भी उचित नहीं है। इधर स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बोर्ड पैटर्न पर परीक्षा लिए जाने की तैयारी पिछले साल ही कर ली थी। प्रदेश में प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है।

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