59/84 महादेव : श्री सिद्धेश्वर महादेव मंदिर

By AV NEWS

धर्मार्थकामीसद्धिश्च मोक्षसिद्धिरनुत्तमा।
जायतेनात्र सन्देह: श्रीसिद्धेश्वरदश्नित्।।

(अर्थात – धर्म, अर्थ, काम सिद्धि तथा मोक्षसिद्धि- ये सब सिद्धेश्वर के दर्शन से प्राप्त हो जाती है।)

लेखक – रमेश दीक्षित

यह मंदिर पटनी बाजार के पीछे खत्रीवाड़ा की छोटी गली में लंबे सड़क स्थित है। इसके बाहर लोहे का बड़ा गेट लगा है। जिसके भीतर करीब 80 वर्ग फीट का छोटा सभामंडप है। प्रवेश द्वार के दाएं एक प्राचीन अस्पष्ट प्रतिमा है तथा बाएं काले पाषाण की एक प्राचीन मूर्ति है। 5 फीट ऊंचे प्रवेश द्वार से अंदर जाने पर 3 फीट चौड़ी पीतल की नगाकृति उत्कीर्ण जलाधारी पर 7 इंच ऊंचा लिंग प्रतिष्ठित है।

जलाधारी पर 2 शंख, सूर्य, चंद्र उत्कीर्ण हैं, समीप ही ढाई फीट ऊंचा त्रिशूल डमरू सहित गड़ा है। 50 वर्गफीट के प्राचीनता को प्रमाणित कर रहे। गर्भगृह में सम्मुख की दीवार पर ऊंचाई पर गणेश, पार्वती की मूर्तियां व एक शिवलिंग स्थापित है। बांयी और मार्बल की गणेश व कार्तिकेय की मूर्तियां हैं। प्रवेश द्वार के बाहर पश्चिमाभिमुखी होकर एक फीट ऊंची आसंदी पर काले पाषाण में सुनिर्मित नंदी की खड़ी हुई मूर्ति है, एक अन्य खड़ी मूर्ति है सांदीपनि आश्रम में।

लिंग का माहात्म्य की कथा-

महादेव देवी पार्वती से कहते हैं कि एक बार धर्मात्मा राजा अश्वशिरा के यहां कपिल और जैगिषण्य देवता मनुष्य को भवबंधन मुक्त कर समता है। तब दोनों ने नारायण रूप धारण कर राजा को चमत्कृत तो कर दिया परन्तु वह उन्हें विष्णु मानने को तैयार नहीं हुआ। यह योगीगण की माया है। तभी वहां करोड़ों कृमि कीट व पशु दिखलाई पड़े। राजा ने विस्मय से पूछा कि यह किस तप का प्रभाव है।

तब कपिल कहते हैं- है राजन! महाकालवन में कए अत्युत्तम सिद्धेश्वर नामक लिंग है, उसी के प्रभाव से यह सिद्धिलाभ किया है। वहां जाकर आप विष्णु को उसी लिंग में स्थित देखेंगे। उसके दर्शन से आपको भी सिद्धि लाभ होगा। राजा अश्वगिरा शीघ्र वहां पहुंचा तथा भक्तिपूर्वक उस लिंग का पूजन किया तब उसने वर मांगने का कहा। राजा ने जनार्दन के दर्शन लाभ का वर मांगा। लिंग ने कहा मैं ही लिंगत्व प्राप्त श्रीकृष्ण हूं। सिद्धिलाभ कर राजा भी लिंग में लय प्राप्त कर गया।

फलश्रुति –

जो भक्तिभाव से इस लिंग का दर्शन करते हैं उन्हें शाश्वती सिद्धि का लाभा होता है। अंजन, पादलेप पादुका, गुटिका खडग़ आदि की दुर्लभ सिद्धि तथा मंत्र स्पर्शोद्भवा सिद्धि सिद्धेश्वर लिंग के दर्शन से प्रापत हो जाती है।

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