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9/84 महादेव : श्री स्वर्गद्वारेश्वर महादेव मंदिर

लेखक – रमेश दीक्षित

यह शिवलिंग नलिया बाखल क्षेत्र में स्थित है। इस पूर्वाभिमुख प्रवेश द्वार के अन्दर लगभग 65 वर्गफीट गर्भगृह में पीतल की जलाधारी के मध्य 10 इंच ऊंचा शिवलिंग स्थापित है, जलाधारी की निकासी उत्तर की ओर है। कोई 40 इंच चौड़ी जलाधारी पर शख उत्कीर्ण है।

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गणेशजी की संगमरमर, पार्वती व श्याम पाषाण व कार्तिकेय की प्रतिमाएं ताक में स्थित हैं। 2 फीट ऊंचा त्रिशूल है, तांबे की जलहरी है, पीतल की जलाधारी श्री रामभरोसीलाल गुप्ता व उनके परिवार द्वारा दिसंबर 2013 में बनवाई गई है। बाहर नंदीगण की दो प्रतिमाएं हैं एक खंडित व एक नई।

श्रीरुद्र ने पार्वती को स्वर्गद्वारेश्वर लिंग की कथा सुनाते हुए पार्वती को दक्ष प्रजापति के यज्ञ में शिव का अपमान होने पर यज्ञाग्नि प्रवेश का स्मरण कराया। तब तुम्हारे पिता के पक्षधरों व मेरे गणों के बीच तुमुल युद्ध हुआ। वीरभद्र के प्रहारों से इंद्र व ऐरावत आहत हुए तथा देवता विष्णु के पास पहुंचे। जब विष्णु ने सुदर्शन चक्र फेंका तो वीरभद्र ने उसे निगल लिया, तब विष्णु ने उस पर गदा प्रहार किया।

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मेरे द्वारा शूल उठाने पर वह युद्ध शांत हो गया। तदनंतर मैंने देवताओं का स्वर्ग में प्रवेश बंद करा दिया। तब इंद्र ब्रह्मलोक पहुंचे। ब्रह्मा ने उन्हें शंकर की आराधना करने का कहा तथा इंद्र को महाकाल वन भेजा तथा स्वयं महादेव द्वारा प्रतिष्ठित स्वर्गद्वारेश्वर लिंग की आराधना करने का कहा।

उस लिंग का दर्शन करते ही देवताओं के लिये स्वर्ग का द्वार खुल गया। जो मनुष्य इसका दर्शन करेगा, वह स्वर्गलोक प्राप्त करेगा, निर्भय रहेगा, उसे हजारों अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होगा तथा वह मेरे शरीर में प्रवेश करेगा। इसका स्पर्श-दर्शन, भजन-कीर्तन करने वाला स्वर्ग जाएगा।

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