6/84 महादेव : श्री स्वर्णजालेश्वर महादेव मंदिर

By AV NEWS
लेखक – रमेश दीक्षित

यह मंदिर रामघाट से गुरु अखाड़ा की ओर जाने वाले सीढिय़ों के मार्ग पर ऊपर चढ़कर बांई ओर स्थित है। इस मंदिर में लगभग सवा फीट ऊंचा काले पाषाण का शिवलिंग है तथा काले ही पत्थर की जलाधारी है जो शिवलिंग का मूल रूप में दर्शन है। मंदिर में गणेशजी व पार्वती की मूर्तियां किन्तु कार्तिकेय दिखाई नहीं देते। गर्भगृह के सामने नंदी की लाल पत्थर से सुनिर्मित कलात्मक प्रतिमा है। सभी मंडप के स्तंभ मंदिर की प्राचीनता दर्शाते हैं।

स्कंद पुराण में कहा है इसके दर्शन मात्र से मानव धनवान होता है। भगवान महादेव ने पार्वती को कथा सुनाई कि एक बार मेरे वीर्यांश से स्वर्ण उत्पन्न होकर अग्नि के पुत्र रूप में विराजमान हो गया। उस स्वर्ण को प्राप्त करने के लिये देवासुर, असुरासुर, राक्षस व वेताल सभी आपस में भयानक युद्ध करने लगे।

स्वर्ण के निमित्त भीषण वध होने लगे। तब देवादि ब्रह्मा के समीप पहुंचे व स्थिति बताई। सभी मेरे पास आये। मैंने जान लिया कि अग्निपुत्र के कारण कितने प्राण गये हैं। अत: वह स्वर्ण ब्रह्मघाती हो गया। तब अग्नि मेरे पास आये व पुत्र रक्षा की प्रार्थना की।

मैंने ‘तथास्तु’ कहा व अग्निपुत्र को गोद में उठा लिया। उन्होंने उसे महाकाल वन में इस लिंग के दर्शन के लिए भेजा। इसके दर्शन से विरूप व्यक्ति भी रूपवान हो जाता है। तुम यहां सभी रत्नों के अधिपति बनोगे। विशेष बात यह है कि मानव गया में पिंडदान से जो फल लाभ करता है, इस लिंग पूजा से उसे दोगुना फल प्राप्त होता है।

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