Advertisement

16/84 महादेव : श्री ईशानेश्वर महादेव मंदिर

लेखक – रमेश दीक्षित

यह मंदिर मोदी की गली में पटनी बाजार से आने पर दाईं ओर श्री चैतन्य शिशु हनुमान मंदिर के पीछे की ओर स्थित है। मंदिर का प्रवेश द्वार छोटा है तथा वह पश्चिमाभिमुख है, प्रवेश द्वार बाईं ओर कार्तिक, सामने गणेश व दाईं दीवार पर पार्वती की काले पत्थर की मूर्ति है।

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

Advertisement

इसकी जलाधारी डेढ़ फीट चौड़ी है जो पीतल से ढंकी है, आसपास पुराना काला पत्थर वृत्ताकार दिखाई दे रहा है जो उसकी प्राचीनता दर्शाता है। यहां शिवलिंग पर न नाग है, न पास में त्रिशूल व डमरू। जलाधारी पर दो चक्र बने हैं। सामने बाहर नंदी विराजमान है तथा पुराना बरगद का पेड़ है जिसके नीचे प्राचीन खंडित मूर्तियां रखी हैं।

शिवलिंग की कथा-

Advertisement

पूर्व काल में तुहुण्ड नाम दैत्य ने न्दनवन, ऐरावत व अश्वरत्न उच्चै: श्रवा पर अधिकार कर लिया था। जब वहां नारद पहुंचे तो देवताओं ने उन्हें दैत्य की चेष्टाओं के संबंध में बताया। देवर्षि ने देवता, ऋषि, यक्ष, गंधर्व आदि को महाकाल वन जाकर ईशानेश्वर शिवलिंग की आराधना करने को कहा। सभी ने इस लिंग का बड़े भक्तिभाव से पूजन-अर्चन किया। जब वे उसका स्तव कर रहे थे, तब उस लिंग से धुएं से आवृत्त महाज्वाला विनिर्गत होने लगी जिससे तुहुण्ड का पुत्र दग्ध हो गया। देवताओं ने अपने अधिकार पुन: प्राप्त कर लिये तब इसका नामकरण ‘ईशान’ किया गया।

फलश्रुति-

Advertisement

जो ईशानेश्वर शिवलिंग की आराधना करेगा, उसे कीर्ति, श्री सिद्धि तथा प्रीति लाभ करेगा। वह देहांत होने पर स्वर्ग का अधिकारी होगा। इसके पूजन से सभी वर्णों के श्रद्धालु यथाभिलषित फल पायेंगे। नियमपूर्वक इसके दर्शन करने वाले को सौ जन्मों में कहीं भी कुछ हानि नहीं होगी।

Related Articles