18/84 महादेव : श्री कलकलेश्वर महादेव मंदिर

यस्य दर्शनमात्रेण कलहोनैव जायते।

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लेखक – रमेश दीक्षित

श्री कलकलेश्वर महादेव मंदिर पटनी बाजार से पश्चिम की ओर जाने वाली मोदी की गली में कुएं के पास से अंदर जाकर स्थित है। करीब 40 वर्गफीट के गर्भगृह में 5 इंच ऊंचा शिवलिंग स्थापित है जिसके चारों ओर एक लंबा नाग लिपटा हुआ है। विशेष उल्लेख्य है कि इसकी जलाधारी की ऊपनी परत पर अत्यंत कलात्मक नक्काशी की हुई है जिस पर फूल-पत्तियां आदि बनी हुई हैं ।

इस पर शंख, चक्र भी उकेरे हुए हैं। 4 फीट ऊंचे पत्थर की चौखट वाले द्वार के अंदर स्टील का ऊं है। गर्भगृह प्रवेश पर दाईं ओर पार्वती सम्मुख गणेश व बाईं ओर कार्तिकेय की प्रतिमा है। द्वार के बाहर काले पत्थर में नंदी वाहन की प्रतिमा है। यह मंदिर नि:संदेह अतिप्राचीन लगता है जैसा कि प्रवेश द्वार के दाएं-बाएं खंडित मूर्तियों से स्पष्ट है। गर्भगृह में बहुत गर्मी है, पंखा सुधरने गया है व एक ट्यूब लाइट भी बंद है।

शिवलिंग का माहात्मय-

पार्वती ने कहा मैं आपकी तरह कुटिल, क्रोधी, विषम, वृथा आचरण वाली नहीं हूं। आप मुझे कृष्णा कहते हैं किंतु आप तो स्वयं महाकाल नाम से प्रसिद्ध हैं। शिव ने भी पार्वती को मूढ़ पंडितमानिनी कहा, तुमने पार्वत्य गुण है। इन दोनों के कलह से त्रिभुवन कांपने लगा। उसकी समय वहां एक लिंग उत्थित हो गया। देवताओं ने उसका नाम कलकलेश्वर रखा।

फलश्रुति-

शिव ने उमा को बताया इस लिंग के दर्शन से गृह कलह नहीं होता। यह सर्वदु:खनाशक सभी पापों का हरण करने वाला तथा व्याधि, सर्प, अग्रि एवं चोर भय का नाशक है, यह वांछित प्रदाता है। जो भक्तिभाव से इसकी आराधना करता है उसे राक्षस, पिशाच, भूत तथा विनायक कदापि विघ्न नहीं पहुंचा सकते।

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