62/84 महादेव : श्री रूपेश्वर महादेव मंदिर

By AV NEWS

सदा रूपकरं लिङ्गभुक्तिमुक्ति फलप्रदम् ।
ये पश्यन्ति वराराहे तेषांलोका: सदाऽक्षया:।।

(अर्थात्- यह लिंग सदा रूप एवं भुक्ति-मुक्ति प्रदान का तो है। जो इस लिंग के दर्शन पाते हैं, उनको अक्षय लोक की प्राप्ति होती है।)

यह अति प्राचीन मंदिर मगरमुहा से सिंहपुरी जाते हुए कुटुम्बेश्वर महादेव मंदिर के पूर्व दायीं ओर गली में स्थित है। इसका साढ़े पांच फीट ऊंचा प्रवेश द्वार पश्चिमाभिमुखी होकर लोहे का बना है। तीन सीढिय़ां उतरकर जब करीब 100 वर्गफीट के गर्भगृह में प्रवेश करने पर हम काले पाषाण व सफेद मार्बल की अनेक प्राचीन व अत्याकर्षक मूर्तियों के दर्शन करते हैं । गर्भगृह में दो लिंग के दर्शन होते हैं

1 संगमरमर की जलाधारी में सफेद उज्जवल पाषाण का 10 इंच ऊंचा वर्तुलाकार लिंग प्रतिष्ठित है, जबकि उसी के आगे 2 काले पाषाण से निर्मित 1 फीट ऊंचा लिंग प्रतिष्ठित है।

गर्भगृह में प्रवेश पर जाने से पहलेफर्श पर शिव-पार्वती की प्राचीन मूर्ति है, जबकि ताक में अवतारों की प्राचीन मूर्तियां हैं, सम्मुख कलांकित पाषाण के मध्य में चक्र निर्मित है तथा फर्श पर ही विष्णु की तथा पास में ही वहीं किसी देवी की मूर्ति स्थित है बाकी दीवार पर महिषासुर मर्दिनी देवी की एक ही सफेद पाषाण पर मध्य में ढाल, धनुष आदि आयुधों सहित अत्यंत कलात्मक एवं आकर्षक साढ़े पांच फीट ऊंची दिव्य मूर्ति स्थापित है जिसके दोनों ओर शिव-परिवार सहित ब्रह्मा, विष्णु आदि मूर्तियां उत्कीर्ण हैं।

लिंग माहात्म्य की कथा-

महादेव ने देवी पार्वती को पाद्मकल्प में पद्म राजा की कथा सुनाते हुए कहा कि राजा ने आखेट पर सहसों, वन्य जीवों का वध किया। फिर एक अत्यंत सुरम्य वन में अकेले एक आश्रम में प्रवेश किया तथा वहां एक तापसीरूपधार्णि कन्या को उसने देखा। राजा ने मुनिवर के संबंध में पूछा।

उसने कहा मैं कण्व ऋषि को पिता मानती हूं। उस मधुर भाषिणी कन्या को अपनी पत्नी बनाने का राजा ने प्रस्ताव रखा, उसने ऋषि के आने तक प्रतीक्षा करने का कहा किन्तु कन्या ने विवाह हेतु सहमति दे दी तथा राजा ने गंधर्व विधि से कन्या से विवाह कर लिया।

जब कण्व ऋषि लौटे तो उन्होंने कन्या व राजा दोनों को कुरूपता का शाप दे डाला किंतु कन्या ने कहा मैंने स्वयं इनका पतिरूप में वरण किया है। शापमुक्ति हेतु ऋषि ने दोनों को महाकालवन भेजा जहां एक रूपप्रदायक लिंग के दर्शन कर दोनों सुरूप हो गये। यह लिंग रूपेश्वर नाम से प्रसिद्ध हुआ।

फलश्रुति-

इसके दर्शन मात्र से मानव रूपवान हो जाता है। यह लिंग रूप, धन, पुत्र तथा स्वर्ग प्रदाता है। यह लिंग सर्वदा रूप एवं भुक्ति-मुक्ति प्रदान करता है। ये रूपेश्वर महादेव रूप तथा सौभाग्यप्रद हैं।

लेखक – रमेश दीक्षित

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