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उज्जैन में बढ़ा 8% प्रदूषण

शहर की आबोहवा खराब: सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरोमेंट की अरबन लैब रिपोर्ट

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उज्जैन। केंद्र सरकार के नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एनसीएपी) में शामिल होने के बावजूद प्रदेश के सबसे बड़े तीर्थ क्षेत्र उज्जैन शहर की हवा दो साल में पहले से और ज्यादा प्रदूषित हो गई है। 2019 की तुलना में 2021 में शहर की हवा में पीएम-2.5 का स्तर 8 फीसदी बढ़ा हुआ पाया गया।

मप्र में ऐसे 7 शहर हैं, जिनमें भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, देवास, सागर और उज्जैन शामिल हैं। जिन्हें केंद्र सरकार हर साल धूल और धुआं कम करने के लिए 50 से 100 करोड़ तक ग्रांट दे रही है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरोमेंट की इकाई अरबन लैब की हाल में जारी एक रिपोर्ट में यह तस्वीर सामने आई है।

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इसमें भारत के औद्योगिक और कस्बाई शहरों की हवा में पीएम-2.5 के स्तर में बदलाव का विश्लेषण किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम का सकारात्मक असर देवास शहर में नजर आया है, यहां 2019 की तुलना में 2021 में हवा में सालाना औसत पीएम-2.5 का स्तर 6 फीसदी कम पाया गया है।

नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम में शामिल हैं मप्र के 7 शहर

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सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल (एसडीजी) में नागरिकों को सांस लेने के लिए प्रदूषण मुक्त स्वच्छ हवा उपलब्ध कराना भी शामिल हैं।

इसलिए केंद्र ने 2019 में देशभर के 103 नॉन अटेनमेंट शहरों को नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम में शामिल किया था। इन शहरों को 2 साल से हवा साफ करने के लिए केंद्रीय ग्रांट दी जा रही है।

नॉन अटेनमेंट सिटीज उन्हें कहा, जिनमें 2019 से पहले पांच वर्ष तक परिवेशीय हवा में पीएम-10, पीएम-2.5 और नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड का स्तर वायु गुणवत्ता मानकों से अधिक था।

नहीं हो रही वायु प्रदूषण की गणना

इधर शहर में इन दिनों प्रदूषण की गणना ठीक से नहीं हो पा रही है। दरअसल,नानाखेड़ा सहित अन्य स्थानों पर लगी रियल टाइम पाल्यूशन मानिटरिंग मशीन में खराबी आ गई है, जिससे वायु गुणवत्ता सूचकांक एक्यूआइ की सही गणना नहीं हो पा रही है। रियल टाइम पाल्यूशन मानिटरिंग मशीन लगने के बाद कुछ समय तक तो सब ठीक चल रहा था, लेकिन अब मशीन में खराबी आ गई है।

इसके बाद से डाटा डिस्प्ले नहीं हो पा रहा है। यही कारण है कि शहर में प्रदूषण के क्या हालात रहे, इसकी जानकारी नहीं मिल पाई।

वहीं इस स्टेशन के डाटा केन्द्रीय प्रदूषण नियत्रंण बोर्ड को भी जाते हैं। वहां पर भी डाटा नहीं पहुंच रहे हैं। हालांकि, इस संबंध में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं।

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