Advertisement

GST में अब एक और हिसाब देने का जिम्मा करदाताओं पर

जीएसटी में अब एक और हिसाब देने का जिम्मा करदाताओं पर

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

Advertisement

नहीं दी जानकारी तो डूब जाएगी रिवर्स टैक्स के्रडिट

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:जीएसटी में अब एक ओर हिसाब देने का जिम्मा कारोबारी यानी करदाताओं पर ही डाल दिया गया है। जानकारी 30 नवंबर तक नहीं दी तो रिवर्स की गई टैक्स क्रेडिट डूब जाएगी। इस संबंध में 31 अगस्त को एक एडवायजरी जारी की गई है।

Advertisement

करदाताओं से सरकार ने कहा है कि वे अस्थायी रूप से लौटाई (रिवर्स की) गई इनपुट टैक्स के्रडिट (आइटीसी) की जानकारी शासन को दें। यह वह टैक्स क्रेडिट है, जो अभी न लेकर भविष्य में करदाता क्लेम कर सकता है। नए आदेश के जरिए शासन ने खुद करदाताओं से ही जानकारी लेकर भविष्य में देने योग्य आइटीसी का हिसाब लगाने का प्रबंध तो कर ही लिया है। एक्ट में संशोधन के बगैर ही जानकारी न देने पर ऐसी आइटीसी के आगे क्लेम करने पर रोक लगाने की चेतावनी भी जारी कर दी है।

जीएसटी में किसी माल या सेवा के खरीदार उस टैक्स का इनपुट टैक्स के्रडिट (आइटीसी) हासिल कर सकते हैं, जो टैक्स उस आपूर्ति पर उन्हें माल बेचने वाले ने चुकाया है। जीएसटी के रिटर्न 2-बी में दिखने वाली आइटीसी क्रेता द्वारा हासिल करने का नियम है।

Advertisement

हालांकि इसमें कुछ शर्ते हैं, जैसे यदि क्रेता को माल या सेवा की डिलीवरी नहीं मिली, क्रेता ने 180 दिन में भुगतान नहीं किया।विक्रेता ने अपना रिटर्न और टैक्स जमा नहीं किया या इनवायस नहीं जारी हुआ, तो ऐसे मामलों में क्रेता को रिटर्न में दिख रही आइटीसी को रिवर्स करना (लौटाना) पड़ता है। अस्थायी तौर पर रिवर्स की गई इस आइटीसी को क्रेता व्यापारी उस समय क्लेम कर सकता है जब ये शर्तें पूरी हो जाएं।

कर सलाहकार पीके दास के अनुसार, अब शासन ने 31 अगस्त को एक एडवायजरी जारी की है। इसके अनुसार, व्यापारी के खाते में 31 अगस्त तक जितनी भी अस्थायी रूप से रिवर्स की गई आइटीसी है, उसकी जानकारी तय प्रारूप में 30 नवंबर तक शासन को देनी होगी। बाद में इस जानकारी में करदाता 31 दिसंबर तक तीन बार संशोधन कर सकेंगे, लेकिन जो करदाता 30 नवंबर तक पुरानी रिवर्स आइटीसी की जानकारी नहीं दे सके तो शासन मान लेगा कि उनके पास रिवर्स की गई और क्लेम करने योग्य कोई क्रेडिट शेष नहीं है। यानी भविष्य में वह ऐसी क्रेडिट क्लेम नहीं कर सकेंगे।

खुद रखना था हिसाब व्यापारियों पर बोझ

ताजा आदेश के जरिए शासन रिवर्स की गई ऐसी इनपुट टेस्ट क्रेडिट जिसे लौटाने का दायित्व शासन पर है, उसका हिसाब लगाना चाहता है। इससे व्यापारियों पर एक और औपचारिकता और कागजी कार्रवाई करने का बोझ आ गया है। जीएसटी की प्रणाली आनलाइन है, ऐसे में होना तो यह था कि शासन के पास ही व्यापारियों की ऐसी क्रेडिट का हिसाब होता। अब शासन उलटे व्यापारियों से हिसाब मांग रहा है।

गड़बड़ी करने वालों पर कार्रवाई

जानकारों के अनुसार हिसाब देने के बाद व्यवसाय के क्षेत्राधिकार के अधिकारी द्वारा अस्थायी रूप से क्लेम की जाने वाली राशि का सत्यापन किया जाएगा। गड़बड़ी करने वालों पर कार्रवाई होगी। यानी व्यापारियों से मिली जानकारी ही आगे गड़बड़ी पकडऩे के काम आएगी। हालांकि शासन ने जानकारी नहीं देने पर ऐसी आइटीसी की क्लेम पर जो रोक लगाने का निर्देश दिया है उस पर विवाद खड़ा होगा, क्योंकि बिना एक्ट में संशोधन करे किसी सर्कुलर से आइटीसी रोकने का अधिकार विभाग के पास नहीं है।

Related Articles