उत्तराखंड में 12 नवंबर से सिल्कयारा सुरंग के अंदर फंसे सभी 41 श्रमिकों को सफलतापूर्वक बचा लिया गया है। मंगलवार को 17 दिनों तक चले लंबे रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद सभी श्रमिक बाहर आ गए।टनल से सुरक्षित बाहर निकले मजदूरों का टनल में बने अस्थायी अस्पताल में पहले मेडिकल चेकअप हुआ। इसके बाद उनको एम्बुलेंस से 30-35 किमी दूर चिन्यालीसौड़ के अस्पताल में भर्ती किया गया था।
अब इन सभी 41 मज़दूरों को ऋषिकेश एम्स ले जाया गया है। इसके लिए सेना का चिनूक हेलीकॉप्टर बुधवार को चिन्यालीसौड़ पहुंचा था। ऋषिकेश एम्स के ट्रॉमा सेंटर में 41 मज़दूरों के लिए इंतजाम किए गए हैं। यहां पर इन वर्कर्स का आगे का मेडिकल चेकअप होगा।
बचाए गए श्रमिकों को 24 घंटे डॉक्टर्स की निगरानी में रखा गया है। अस्पताल में इलाज पर होने वाला खर्च सरकार उठाएगी। इनके अलावा मजदूरों और उनके परिजनों के खाने, रहने की भी व्यवस्था भी सरकार कर रही है।
धामी सरकार ने सभी 41 मजदूरों के लिए पेड लीव का ऐलान किया है, जिससे वह अपने परिवारों के साथ समय बिता सकें। इसके साथ ही सरकार ने इन मजदूरों को 1 लाख रुपए की आर्थिक सहायता मुहैया कराने का भी ऐलान किया है।बुधवार को मुख्यमंत्री धामी ने उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ स्वास्थ्य केंद्र में 41 मजदूरों से मुलाकात की। उन्होंने एक बयान में कहा कि सभी मजदूर स्वस्थ्य हैं उनकी मेडिकल जांच की गई है।
उन्होंने कहा कि वादे के मुताबिक, मजदूरों को 1-1 लाख रुपये के चेक दिए जाएंगे। धामी ने कहा कि मजदूर जिस एजेंसी के लिए काम कर रहे हैं, उसे मजदूरों को 15-20 दिनों के लिए घर जाने की अनुमति देने के लिए कहा गया है।
वहीं सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने में दुनियाभर के कई विशेषज्ञ शामिल थे। सबसे अहम भूमिका टनल एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स की रही। प्रो.डिक्स ऑस्ट्रेलिया से दो दिन की यात्रा कर 19 नवंबर को सिलक्यारा पहुंचे। डिक्स को इंजीनियरिंग,भूविज्ञान और जोखिम प्रबंधन में तीन दशक का अनुभव है। मंगलवार को डिक्स सुरंग के मुहाने पर बौखनाग देवता की पूजा में शामिल हुए। उनके अनुभव ने रेस्क्यू ऑपरेशन को काफी आसान कर दिया था।