कांग्रेस की जिला इकाईयों पर संकट के बादल

लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में होगा परिवर्तन
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अक्षरविश्व न्यूज . उज्जैन:अभा कांग्रेस कमेटी ने मप्र कांग्रेस की कार्यकारिणी को भंग कर भले ही यह कहा है कि जिलों की इकाईयां काम करती रहेगी, लेकिन पार्टी में आंतरिक तौर पर जिला अध्यक्षों के रिपोर्ट कार्ड की पड़ताल की जा रही है। इसके बाद संभावना व्यक्त की जा रही है कि लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस में बदलाव होगा। ऐसे में उन जिला कार्यकारिणी पद संकट के बादल है, जिनके नेतृत्व में कांग्रेस को लगातार असफलता मिली है।
विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद चंद ही दिनों में अभा कांग्रेस कमेटी ने मप्र कांग्रेस की कार्यकारिणी को भंग कर आलाकमान से अपने इरादे स्पष्ट कर दिए कि पार्टी ने लोकसभा चुनाव की तैयारी संगठन स्तर पर शुरू कर दी है। विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष को बदलने के साथ कार्यकारिणी को भंग कर संगठन में में सर्जरी शुरुआत कर दी है।
राष्ट्रीय संगठन भले ही प्रदेश कार्यकारिणी को भंग करने के बाद नेतृत्व जिला अध्यक्षों को फिलहाल पूर्व के अनुसार कार्य करने के निर्देश दिये हैं,लेकिन राष्ट्रीय नेताओं के तेवरों को देखते हुए तय माना जा रहा है कि प्रदेश संगठन का कायाकल्प करने के बाद जिला स्तर पर बदलाव किया जाएगा। यह परिवर्तन कार्यकर्ताओं को हार के सदमे से उबारने के लिए अवश्यंभावी माना जा रहा है, ताकि नए जोश और उत्साह के साथ लोकसभा चुनाव में पूरी ताकत के साथ कार्यकर्ता मोर्चा संभाल सके।
संभावना व्यक्त की जा रही है कि बदलाव से उज्जैन जिला भी अछूता नहीं रहने वाला है। पार्टी सूत्रों को कहना है कि नगर और ग्रामीण इकाई का प्रदर्शन बेहतर नहीं माना गया है। वर्तमान अध्यक्ष और कार्यकारिणी के नेतृत्व में कांगेस को पंचायत, नगरीय निकाय और विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। इसके अलवा पार्टी के विभिन्न कार्य, कार्यक्रम, गतिविधियों, आन्दोलन पार्टी का प्रदर्शन फीका रहा है। ऐसे में कांग्रेस के भीतर ही इस बात की चर्चा है कि जिला स्तर पर बदलाव से जिला भी प्रभावित होगा।
परिवर्तन से अच्छे परिणाम की उम्मीद
प्रदेश कार्यकारिणी भंग होने के बाद कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं में थोड़ी सी उम्मीद जागी है। यह परिवर्तन जिला व ब्लाक स्तर पर होने की आस लगा रहा है, क्योंकि जिले में ऐसे नेताओं के पास कमान और तमाम पद है, जिनकी न कोई नई सोच है, और न ही पार्टी को आगे बढ़ाने का कोई जज्बा है। कांग्रेस नेताओं का भी मानना है कि परिवर्तन से संगठन में नया जोश भरा जा सकता है और नई दिशा भी दी जा सकती है।









