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मकर संक्रांति : सजा पंतग का बाजार, परंपरागत डोर तैयार करने पर जोर…

जर्मन कागज पतंगों की अधिक डिमांड:

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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:मकर संक्रांति पर पूरा पतंग बाजी के लिए शहर तैयार है। अहमदाबाद, जोधपुर, बरेली, राजकोट और जयपुर से पतंग बिकने आई हैं। सबसे ज्यादा डिमांड जर्मनी के कागज से गुजरात में बनी पतंग की है। पतंग का थोक व रिटेल कारोबार करने वाले व्यापारियों का कहना है कि इस साल अच्छा कारोबार होने की संभावना है।

 

उज्जैन में 14 जनवरी और 15 जनवरी को मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाएगा। इसके लिए बड़ी मात्रा में पतंग बिकने आई हैं। जर्मनी के राइस पेपर से गुजरात में बनने वाली पतंग के साथ ही कान बाज, इकन्ना, दुकन्ना, तिरियल, लिप्पू, काल, चील, चांद बाज, तारा, परेल, नीलम परी, डग्गा, पन्नी पर बने कार्टून, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ योगी आदित्य नाथ के फोटो वाली पतंग की डिमांड ज्यादा है।

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पतंग का कारोबार करने वालों के मुताबिक थोक और रिटेल मार्केट को मिला लें तो इस साल पिछले साल के मुकाबले 20 प्रतिशत ज्यादा पतंग और मांझा अभी तक बिक चुका है। चायना डोर में उपयोग को लेकर सख्ती के कारण परंपरागत डोर की मांग इस बार कुछ अधिक है। इस वजह से डोर बनाने का काम भी चल रहा है।

रेल लाइन के पास पतंगबाजी नहीं करें

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रेलवे ने रेल लाइन के पास पतंगबाजी नहीं करने की अपील नागरिकों से की है। रेलवे की ओर से जारी सूचना में कहा गया है कि पश्चिम रेलवे रतलाम मंडल पूरी तरह विद्युतीकृत रेल मंडल है। मंडल के जिन खंडों में दोहरीकरण, आमान परिवर्तन या नई रेल लाइन डालने का कार्य किया जा रहा है वह भी विद्युतीकरण के साथ हो रहा है। विद्युतीकृत होने के कारण रेलवे लाइनों के ऊपर 25000 वोल्ट के ओवर हेड तार लगे हुए हैं।

मकर संक्रांति और इसके आसपास के दिनों में काफी संख्या में पतंगे उड़ाई जाती है। देखने में आया है कि वर्तमान में पतंग उड़ाने के लिए मेटलिक धागे का उपयोग किया जा रहा है जिसके कारण 25000 वोल्ट के तारों के आस-पास पतंग उड़ाने से उन्हें जान लेवा झटका लग सकता है। ऐसे में रेलवे लाइनों से दूर पतंग उड़ाएं तथा त्योहार के दौरान किसी प्रकार की अप्रिय घटना से दूर रहें।

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