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मेडिकल कॉलेज 500 करोड़ रुपयों से बनेगा!

अनिवार्यता प्रमाणपत्र मिलने के बाद दिल्ली भेजा जाएगा प्रोजेक्ट

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महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के साथ मिलकर विवि प्रशासन करेगा काम

अक्षरविश्व न्यूज . उज्जैन:उज्जैन में दूसरा मेडिकल कॉलेज स्थापित करने के लिए विक्रम विश्वविद्यालय प्रशासन के सामने सबसे बड़ा संकट 500।करोड़ रुपए का फंड जुटाने का है। इसके लिए तीन स्तरों पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी है। महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के साथ मिलकर भी इस कॉलेज को संचालित करने का विचार चल रहा है। फिलहाल चिकित्सा शिक्षा विभाग से अनिवार्यता प्रमाणपत्र मिलने का इंतजार किया जा रहा है। इसके बाद प्रोजेक्ट मंजूरी के लिए दिल्ली भेजा जाएगा।

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मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए विक्रम विश्वविद्यालय प्रशासन ने कवायद तेज कर दी है। इसके लिए 35 एकड़ जमीन का चयन किया जा चुका है। कॉलेज को जल्द शुरू करने के लिए चरक हॉस्पिटल से इसे जोड़ा जाएगा। विश्वविद्यालय प्रशासन ने अनुमान लगाया है कि मेडिकल कॉलेज खोलने पर करीब 500 करोड़ रुपए का व्यय आएगा। इतनी बड़ी राशि जुटाने के लिए तीन स्तरों पर काम किया जा रहा है। पहला यह कि राज्य सरकार से इसकी राशि मिल जाए। दूसरा यह कि महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के साथ जुड़कर इसे शुरू किया जाए। महाकाल मंदिर प्रबंधन समिति के साथ संयुक्त रूप से इसे संचालित करने में आर्थिक बाधा दूर होगी और मंदिर ट्रस्ट के माध्यम से चिकित्सा सेवा बड़े स्तर पर शुरू की जा सकेगी। सूत्रों के अनुसार इस विकल्प पर अभी प्राथमिकता से विचार किया जा रहा है। तीसरे विकल्प के रूप में प्राइवेट सेक्टर से फंड जुटाया जाएगा।

मेडिकल कॉलेज शहर में खोलना सीएम डॉ. मोहन यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इस कारण भी विश्वविद्यालय की राह आसान दिखाई दे रही है। विश्वविद्यालय उज्जैन में 150 सीट का चिकित्सा महाविद्यालय शुरू करने के लिए शासन के चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त को प्रस्ताव भेजा गया था। इस पर चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त ने चार सदस्यीय समिति गठित की थी।

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5 जनवरी टीम द्वारा विश्वविद्यालय पहुंचकर अनिवार्यता प्रमाण पत्र के लिए निरीक्षण किया जा चुका है। यह प्रमाणपत्र मिलने के बाद प्रोजेक्ट तैयार कर दिल्ली में केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। टीम द्वारा जिला चिकित्सालय, चरक भवन और विश्वविद्यालय परिसर में एसओईटी तथा मानविकी भवन के पीछे 35 एकड़ जमीन और भवनों का निरीक्षण भी किया जा चुका है। निरीक्षण दल ने 800 बेड वाले जिला चिकित्सालय में ओपीडी, मेडिसिन विभाग, इमरजेंसी सुविधा, गहन चिकित्सा इकाई, मेडिकल वार्ड, आपरेशन थियेटर, चरक भवन में बच्चों एवं प्रसूताओं के लिए दी जाने वाली व्यवस्थाओं का अवलोकन भी किया था। विश्व विद्यालय के कुलपति इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। जल्द ही वे इस सिलसिले में महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष और कलेक्टर नीरज कुमार सिंह से भी चर्चा करेंगे।

मेडिकल कॉलेज शहर में खोलना सीएम डॉ. मोहन यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इस कारण भी विश्वविद्यालय की राह आसान दिखाई दे रही है। विश्वविद्यालय उज्जैन में 150 सीट का चिकित्सा महाविद्यालय शुरू करने के लिए शासन के चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त को प्रस्ताव भेजा गया था। इस पर चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त ने चार सदस्यीय समिति गठित की थी।

5 जनवरी टीम द्वारा विश्वविद्यालय पहुंचकर अनिवार्यता प्रमाण पत्र के लिए निरीक्षण किया जा चुका है। यह प्रमाणपत्र मिलने के बाद प्रोजेक्ट तैयार कर दिल्ली में केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। टीम द्वारा जिला चिकित्सालय, चरक भवन और विश्वविद्यालय परिसर में एसओईटी तथा मानविकी भवन के पीछे 35 एकड़ जमीन और भवनों का निरीक्षण भी किया जा चुका है।

निरीक्षण दल ने 800 बेड वाले जिला चिकित्सालय में ओपीडी, मेडिसिन विभाग, इमरजेंसी सुविधा, गहन चिकित्सा इकाई, मेडिकल वार्ड, आपरेशन थियेटर, चरक भवन में बच्चों एवं प्रसूताओं के लिए दी जाने वाली व्यवस्थाओं का अवलोकन भी किया था। विश्व विद्यालय के कुलपति इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। जल्द ही वे इस सिलसिले में महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष और कलेक्टर नीरज कुमार सिंह से भी चर्चा करेंगे।

500 करोड़ रुपए का खर्च संभव

मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है। इस पर करीब 500 करोड़ रुपए का खर्च अनुमानित है। महाकाल मंदिर ट्रस्ट से भी इसको लेकर चर्चा की जाएगी। महाकाल मंदिर के साथ मिलकर विश्वविद्यालय मेडिकल कॉलेज चलाने पर विचार कियांजा रहा है। प्राइवेट सेक्टर से राशि जुटाने का भी विकल्प है।
प्रो. अखिलेशकुमार पांडे, कुलपति, विक्रम विश्वविद्यालय

कवायद एक नजर में

विश्वविद्यालय की 35 एकड़ जमीन पर मेडिकल कॉलेज शुरू करने की योजना।

इसे जिला चिकित्सालय की ओपीडी से जोड़ा जा सकता। इससे तीन साल तक ओपीडी संचालित करने की बाधा दूर होगी।

चिकित्सा शिक्षा विभाग से अनिवार्यता प्रमाणपत्र मिलने के बाद प्रोजेक्ट को अंतिम रूप दिया जाएगा।

प्रोजेक्ट को दिल्ली में मेडिकल काउंसिल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।

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