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UDA के थर्ड क्लास बाबू का एक और बड़ा कारनामा

 सिर्फ चाबी सौंपी थी, योजना का प्रभार लिखित में नहीं दिया

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फाइल और पंजीयन रजिस्टर रखा अपने घर

 

पोल खुली, पत्नी ने लाकर दिया रजिस्टर

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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:जेल की हवा खा रहे यूडीए के बाबू प्रवीण गहलोत का एक और चौंकाने वाला कारनामा सामने आया है। सीईओ द्वारा योजना से हटाने के बाद भी गेहलोत ने लिखित में चार्ज सौंपने की जगह दूसरे बाबू सुनील डाबर को सिर्फ चाबी सौंप दी थी। इतना ही नहीं पंजीयन रजिस्टर भी अपने घर ही रखा था। गिरफ्तारी के बाद खोजबीन हुई तो यूडीए में कार्यरत पत्नी अनुपमा ने रजिस्टर घर से लाकर दिया था। यह पूरा मामला अब जांच के दायरे में आ गया है।

यूडीए बाबू गेहलोत के कई कारनामे एक के बाद एक सामने आ रहे हैं। एलपी भार्गव नगर और महाकाल वाणिज्यिक केंद्र योजना के प्रभारी रहते बाबू गेहलोत ने कई कारनामे किए थे। दूसरा मामला बुधवार को सामने आया है, जिसमें सुदमाप्रसाद अग्रवाल के नाम से किए गए दो आवेदन में से एक को दबा दिया गया था और इसकी नोटशीट ही पुटअप नहीं की थी। गेहलोत ने केवल एक ही फॉर्म शो किया था। जांच में कई और चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।

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अब सामने आ रहा है कि गहलोत ने गिरफ्तारी से पहले बाबू सुनील डाबर को सीईओ के निर्देश पर चार्ज विधिवत नहीं सौंपा था। इस मामले में भी खेल करते हुए केवल डाबर को चाबी दे दी थी, लेकिन लिखित में कोई चार्ज नहीं दिया था। प्लॉट आवंटन में गड़बड़ी की फाइल भी गेहलोत ने यूडीए की अलमारी से निकालकर अपने घर रख ली थी। सूत्रों के अनुसार गहलोत की गिरफ्तारी से पहले जब फाइल की खोजबीन हुई तो गेहलोत ताबड़तोड़ कार में फाइल रखकर दफ्तर लाया और डाबर को सौंपी।

इस बात का जिक्र डाबर ने सीईओ को नोटशीट में लिखित रूप से दिया है कि फाइल आज ही (गिरफ्तारी वाले दिन) मुझे मिली है। इसी तरह जब डाबर से पंजीयन रजिस्टर मांगा गया तो इसकी भी खोजबीन शुरू हुई। तब गेहलोत की पत्नी अनुपमा ने घर से रजिस्टर लाकर दिया। जबकि अनुपमा के पास योजना का कोई प्रभार ही नहीं था। सूत्रों का कहना है कि डाबर ने इसको लेकर एक पत्र सीईओ को लिखा, जिसमें कहा है कि रजिस्टर आज ही मुझे अनुपमा लाकर दिया है। मामले में डाबर से संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन मोबाइल (7697753811) स्विच ऑफ रहा।

पत्नी पर मेहरबानी क्यों?

यूडीए प्रशासन ने अब तक गेहलोत की पत्नी अनुपमा पर कोई कार्रवाई नहीं की है। हालांकि मामले की जांच चल रही है, लेकिन पत्नी के भी संदेह के कटघरे में आने के बाद यूडीए में कोई कार्रवाई न होने की चर्चाएं भी हो रही हैं।

भगवान के घर देर है

यूडीए बाबू के जेल जाने के बाद कई कर्मचारी यह भी कह रहे हैं कि भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं… क्योंकि गेहलोत के संबंध पूर्व में लोकायुक्त से गहरे थे और इसका फायदा उठाकर यूडीए के कई कर्मचारियों को रिश्वतखोरी में पकड़वाया। एक के बाद एक यूडीए में हुई लोकायुक्त कार्रवाई से तब हलचल मच गई थी।

धोखाधड़ी मामले में एक और प्रकरण दर्ज

उज्जैन। जेल में बंद यूडीए के थर्ड क्लास बाबू (तृतीय श्रेणी कर्मचारी) की मुश्किल बढ़ गई है। बाबू के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में एक और प्रकरण दर्ज हो गया है। जेल में बंद बाबू को ट्रांजिट रिमांड 3 पर लाकर पुलिस पूछताछ करेगी।

यूडीए के तृतीय श्रेणी कर्मचारी प्रवीण गेहलोत व सर्विस प्रोवाइडर आशीष अग्रवाल के खिलाफ माधवनगर थाना पुलिस ने एक और प्रकरण दर्ज कर लिया है। इसमें दिवंगत स्वतंत्रता सेनानी अग्रवाल के नाम से फर्जी व कूटरचित दस्तावेज तैयार कर एलपी भार्गवनगर के दूसरे मकान के आवंटन के लिए आवेदन किया था।

यानी आरोपी इन्हीं दस्तावेजों का उपयोग कर एक और मकान का आवंटन करवाने के प्रयास में थे। इसके पहले 28 अप्रैल दोनों आरोपियों के खिलाफ माधवनगर पुलिस ने प्रकरण दर्ज किया था। आरोपी से पूछताछ में और भी मकान आवंटन के मामलों का खुलासा हो सकता है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि जांच में जानकारों का सहयोग लिया जा सकता है। ऐसा होने पर कई दूसरे मामलों का भी खुलासा होने की संभावना है

जब्त दस्तावेजों से सामने आया यह भी मामला

4 मई-2024 को यूडीए के सहायक संपदा अधिकारी प्रवीण दुबे ने मकान क्रमांक 8-9 व 6-20 से संबंधित दस्तावेज पेश किए, जो कि अपराध में जब्त किए हैं। पेश दस्तावेजों का अवलोकन किए जाने पर पाया कि भार्गवनगर में मकान नंबर 6-20 में भी आवेदक सुदामाप्रसाद पिता मोहनलाल अग्रवाल के नाम से आवास आवंटन आवेदन पत्र, शपथ पत्र व आय प्रमाण पत्र एवं स्वतंत्रता सेनानी का प्रमाण पत्र संलग्न किया था। आवेदन पत्र सुदामाप्रसाद अग्रवाल के नाम पर ही किया था, जबकि उनकी मृत्यु 24 मार्च-1985 को हो चुकी है।

फिर फर्जी दस्तावेजों का उपयोग किया

माधवनगर थाने के निरीक्षक राकेश कुमार भारती ने थाने में दर्ज अपराध क्रमांक 262-24 धारा 420, 467, 468 व 471, 34, 120बी भादवि की विवेचना में पाया कि एलपी भार्गव नगर आवासीय योजना में वर्ष 2012 में मकान नंबर 8-9 व 6-20 के आवंटन के लिए आवेदक सुदामाप्रसाद अग्रवाल के नाम से मूल आवेदन पत्र व उसके साथ में सलंग्न दस्तावेजों को पेश किया था। यानी दोनों मकानों के आवंटन के लिए इन्हीं फर्जी दस्तावेजों का उपयोग किया गया।

आरोपियों को जेल से लाकर करेंगे पूछताछ

धोखाधड़ी सहित पांच धाराओं में प्रकरण पुलिस ने बताया कि आरोपी आशीष व प्रवीण पिता कैलाशचंद्र गेहलोत निवासी फव्वारा चौक के खिलाफ धारा-420, 467, 468, 471 व 34 भादवि में प्रकरण दर्ज किया है। पुलिस अब इस प्रकरण में आरोपियों को जेल से लाकर पूछताछ करेगी। आरोपियों के खिलाफ पहला प्रकरण 28 अप्रैल-2024 को दर्ज किया जाकर उन्हें गिरफ्तार किया था। आरोपियों को रिमांड पर लेकर पूछताछ पूरी की जाने के बाद में जेल भेज दिया गया था।

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