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हाथरस हादसे के बाद उज्जैन में बढ़ी चिंता

संतों और विद्वानों का कहना- भीड़ और टोने टोटकों से बचें, सरकार भी करे रोकथाम

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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:उत्तरप्रदेश के हाथरस में भोलेबाबा के सत्संग कार्यक्रम के अंत में मची भगदड़ के बाद उज्जैन में श्रावण माह में निकलने वाली महाकाल सवारियों के दौरान भीड़ प्रबंधन को लेकर प्रबुद्धजन चिंतित हैं तो साधु संतों का कहना है कि टोने टोटके से लोगों को बचना चाहिए और सरकार को भी इस पर रोकथाम लगानी चाहिए।

 

हाथरस में भीड़ इसलिए बेकाबू हो गई थी, क्योंकि भोले बाबा के अनुयायी बाबा की एक झलक पाने के लिए उमड़ पड़े थे। उज्जैन में भगवान महाकाल की पहली सावन सवारी 22 जुलाई को निकलेगी और इस दौरान देश भर से लाखों दर्शनार्थियों के आने का अनुमान है। इस कारण शहर के लोग चाहते हैं भीड़ प्रबंधन प्रशासन द्वारा तो किया ही जाएगा, आम लोगों को भी भीड़ में सतर्कता रखना जरूरी है। अगर अनुशासन बनाए रखें और एकदूसरे का ध्यान रखें तो दुर्घटनाएं टाली जा सकती हैं।

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रक्षाबंधन पर ही सवारी का संयोग :

श्रावण मास में हर साल भगवान महाकाल की सवारी निकलती है, किंतु पहले ही दिन सोमवार होने का संयोग कम ही बनता है। इस बार रक्षाबंधन के दिन 19 अगस्त को भी सावन सवारी का संयोग बन रहा है। इसके पहले 3 अगस्त 2020 को भी यह संयोग बना था। इस कारण रक्षाबंधन के दिन भी दर्शनार्थियों की भीड़ अधिक आने की संभावना है।

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टोने टोटके और सिद्ध वस्तुओं के फेर में न पड़ें लोग :

धर्म और भक्ति के मार्ग में टोने टोटके और सिद्ध वस्तुएं बांटने का चलन बढ़ा है। इसको लेकर भी साधु संत और विद्वान चिंतित हुए हैं। महाकाल नगरी उज्जैन से यह मांग भी उठी है कि सरकार को भी इस तरह के आयोजनों पर नियंत्रण किया जाना चाहिए। शहर के विद्वानों का कहना है भीड़ में जाने से लोगों को बचना चाहिए और विवेक से काम करना चाहिए। भक्ति मार्ग में स्वयं के विचारों को परिष्कृत करने का महत्व ज्यादा है। पिछले साल कुबेरेश्वर धाम, सीहोर में कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा बांटे जाने वाले रुद्राक्ष को लेकर भीड़ उमड़ पड़ी थी और उन्हें सरकार के अनुरोध पर कार्यक्रम रोकना पड़ा था।

संतों का मत सरकार भी करे नियंत्रण

धर्म के मार्ग में कर्म का विशेष महत्व है। कथा सत्संग के माध्यम से लोगों के विचारों को परिष्कृत किया जाता है। सत्संग से व्यक्ति के भीतरस्र अच्छे विचार और सद्गुण आना चाहिए। धर्मग्रंथों में कर्म को प्रमुखता दी गई है। अर्थात अच्छे कामों से ही जीवन में सफलता मिलती है। हमारे विचार अच्छे होंगे तो कर्म भी अच्छे होंगे। शास्त्रों में अभिमंत्रित वस्तुओं और टोने टोटके का उल्लेख नहीं है। धर्म के प्रति लोगों में श्रद्धा बढऩा अच्छी बात है, लेकिन टोने टोटके के माध्यम से जीवन के लक्ष्य हासिल करने की सोच उचित नहीं। इसे प्रोत्साहन भी नहीं दिया जाना चाहिए। सरकार को भी इस मामले में नियंत्रण करना चाहिए। -महामंडलेश्वर स्वामी शांतिस्वरूपानंद जी, चारधाम आश्रम

भगवान की भक्ति करें, अच्छे कार्य करें

धर्म का मूल है अपने विचारों को परिष्कृत करना। अर्थात अच्छे गुणों को अपनाना चाहिए। एक दूसरे की सहायता की जाना चाहिए। जहां भी धर्म और सत्संग का आयोजन हों, वहां लोगों को अनुशासित रहना चाहिए।-स्वामी रंगनाथाचार्यजी, पीठाधीश्वर रामानुजकोट

तात्कालिक लाभ उचित नहीं

आजकल शॉर्टकट का समय है। लोग आज भी चमत्कार को ज्यादा पसंद करते हैं। कठोर परिश्रम की जगह लोग आसानी से अपना कार्य पूरा करना चाहते हैं। इस कमी का फायदा उठाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कर्म को प्रधानता दी है। इसलिए लोगों को अपने विवेक से काम करना चाहिए और टोने टोटके आदि से तात्कालिक लाभ से बचना चाहिए। हम अपने घर पर ताला इसलिए लगाते हैं ताकि चोरी न हो सके। अत: विवेक बुद्धि का मार्ग श्रेयस्कर है। -डॉ. बालकृष्ण शर्मा, पूर्व कुलपति विक्रम विश्वविद्यालय एवं पूर्व निदेशक सिंधिया। प्राच्यविद्या शोध संस्थान

विशेष मौकों पर भीड़ प्रबंधन आवश्यक

सावन सवारी के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ प्रति वर्ष बढ़ रही है। प्रशासन भीड़ प्रबंधन के लिए पूरा प्रयास करता है, किंतु श्रद्धालुओं को भी भीड़ प्रबंधन करने में योगदान देना चाहिए।-प्रवीण मादुस्कर, संस्थापक भस्मरमैया भक्त मंडल

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