कई लघुकथा और कविता संग्रह हो चुके हैं प्रकाशित
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन सुदामा नगर निवासी संतोष सुपेकर ऐसे साहित्य लेखक है, जो कि लघुकथा, कविता आदि लेखन के साथ ही शहर विकास के लिए केन्द्रीय मंत्री, प्रदेश के मुख्यमंत्री आदि को अभी तक कई बार पत्र लिख चुके हैं। इनमें से कई मांगें स्वीकृत हुई है। लघुकथाओं पर ऑडियो, वीडियो, नाटक, पोस्टर निर्मित। देश, विदेश की पंद्रह भाषाओं, बोलियों में इनकी लघुकथाएं, कविताएं अनूदित की जा चुकी हैं। पुस्तक ‘सातवें पन्ने की खबर’ के लिए मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी से पुरस्कृत किया गया है।
संस्था सरल काव्यांजलि के माध्यम से उज्जैन-झालावाड़ रेल लाइन के लिए केंद्रीय रेल मन्त्री और प्रधान मंत्री को ‘पोस्ट कार्ड लिखो’ अभियान अनेक बार चलाया है। 2011 में इन्होंने अपनी संस्था और मध्यप्रदेश लेखक संघ के माध्यम से उज्जैन के टॉवर चौक पर आकाशवाणी केंद्र के लिए नागरिक हस्ताक्षर अभियान चलाया और लगभग सात सौ हस्ताक्षरों से युक्त पत्र तत्कालीन सूचना मंत्री मनीष तिवारी को भेजा। इन्होंने उज्जैन में पश्चिम रेलवे ट्रेनिंग स्कूल की स्थापना के लिए और उज्जैन-झालावाड़ रेल लाइन के लिए कई रेल मंत्रियों को पत्र लिखे और मित्र साथियों से लिखवाए।
खून से लिखकर पत्र भेजे
शहर में शासकीय मेडिकल कॉलेज की स्थापना हेतु तो अनेक-अनेक पत्र संबंधितों को लिखे ही, इस हेतु पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को तो अपने साथी डॉ. संजय नागर के साथ अपने खून से भी पत्र लिखकर भेजा। उज्जैन में शासकीय मेडिकल कॉलेज स्थापना के लिए अनेक पत्र महामहिम राज्यपाल, प्रधानमंत्री और ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा अध्यक्ष तक को लिखे।
शहर में फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिए केन्द्रीय गृहमंत्री को, उज्जैन में सैनिक स्कूल को स्थापना के लिए रक्षामंत्री और मुख्यमंत्री को, बांदका स्थित अधूरे स्टील प्लांट के लिए केंद्रीय इस्पातमंत्री रामचंद्र प्रसाद सिंह, फिर नरेंद्रसिंह तोमर और फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया को, शहर में आकाशवाणी केंद्र के लिए पूर्व केंद्रीय सूचनामंत्री प्रकाश जावड़ेकर, स्मृति ईरानी, अनुरागसिंह ठाकुर को हिंदी, अंग्रेजी और मराठी भाषा में अनेक पत्र लिखे।
शहर हित में करते हैं काम
सुपेकर राजनीति के उद्देश्य से यह सब नहीं करते। वे केवल शहर हित में उज्जैन की आवाज बुलंद रखना चाहते हैं। दु:खद पहलू यह है कि आज उन्हें अपने पत्रों के नगण्य से उत्तर प्राप्त होते हैं। उनके पत्रों पर कम ध्यान दिया जाता है, फिर भी वह प्रतिबद्ध होकर उज्जैन विकास और समाज हित के लिए सजग रहकर लगातार पत्र लिखते रहते हैं।