जोड़ों ने साथ निभाने की कसमें खाईं, फिर शादी की रस्में निभाईं
मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत 78 जोड़े बंधे परिणय सूत्र में, हर जोड़े को 49 हजार का चेक दिया
अक्षरविश्व न्यूज|उज्जैन। अमूमन लोगों से भरे नगर निगम परिसर में रविवार को माहौल बदला-बदला सा था। एक ओर शादी के गीत गूंज रहे थे तो दूसरी ओर दाम्पत्य जीवन में बंधने वाले जोड़े अपनी तैयारियों में व्यस्त थे। वधू पक्ष बारातियों का स्वागत कर रहे थे और द्वार पर शहनाई वादक की मीठी स्वर लहरियां गूंज रही थीं। मौका था मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत आयोजित सामूहिक विवाह समारोह का जिसमें 78 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे। उन्होंने जिंदगीभर एक दूसरे का साथ निभाने का वादा किया।
आगर रोड स्थित नगर निगम मुख्यालय परिसर में सुबह 10 बजे से विवाह समारोह की शुरुआत हुई लेकिन जोड़े का आना सुबह से ही शुरुआत हो गया था। इसमें उज्जैन सहित देवास, शाजापुर, इंदौर सहित अन्य स्थानों से भी जोड़े शामिल हुए। द्वार पर पहुंचते ही वधू पक्ष ने बारातियों का स्वागत किया। अंदर प्रवेश करते ही शहनाई वादन के साथ सिंगर ज्वलंत शर्मा ने शादी के गीत गाकर समां बांध दिया। परिसर में लगे शामियाने में मेहमानों के बैठने के लिए कुर्सियों की व्यवस्था की गई थी।
सबसे पहले दूल्हा-दुल्हन ने विवाह प्रमाण पत्र के लिए कागजी कार्रवाई पूरी की, इसके बाद टोकन नंबर के हिसाब से जोड़े अपने-अपने स्थान पर पहुंचे और फिर शादी की रस्मों की शुरुआत हुई। गायत्री परिवार द्वारा विवाह संपन्न करवाया गया। विवाह की रस्में पूरी होने के बाद नवविवाहित जोड़ों को विवाह प्रमाण पत्र के साथ मुख्यमंत्री की ओर से 49 हजार रुपए की राशि के चेक भी प्रदान किए गए। आयोजन स्वच्छ भारत अभियान को ध्यान में रखते हुए जीरो वेस्ट इवेंट पर आधारित था।
पंगत की जगह बुफे
विवाह समारोह में शामिल हुए करीब ६ हजार मेहमानों के लिए बाबा उमाकांत जी महाराज जय गुरुदेव आश्रम की ओर से भोजन की व्यवस्था की गई थी। खास बात यह थी कि पंगत की जगह बुफे सिस्टम लगाया गया था। खाने बनाने से लेकर परोसने तक की पूरी व्यवस्था सेवादारों ने ही संभाल रखी थी। इस दौरान जगह नशामुक्ति का संदेश दिए स्लोगन भी लिखे गए थे।
मीनू में क्या-क्या
एक ओर शादी की रस्में निभाई जा रही थीं तो दूसरी ओर पांडाल व्यंजनों की खुशबू से महक रहा था। दूल्हा-दुल्हन सहित मेहमानों को सब्जी, पूड़ी, दाल, चावल, बेसन की चक्की और भजिए परोसे गए। इसके लिए जय गुरुदेव आश्रम से जुड़े 200 सेवादार लगे हुए थे जो उज्जैन सहित आसपास के क्षेत्रों से पहुंचे थे। उन्होंने खाना बनाया भी, परोसा भी और जो जूठन गिरी उसे साफ करने का काम भी किया।