आरटीओ की रेट लिस्ट की अनदेखी, ऑटो-ई रिक्शा चालक वसूल रहे यात्रियों से मनमाना शुल्क

By AV NEWS

प्रीपेड रसीद पर लिखे सभी हेल्पलाइन नंबर बंद

अक्षरविश्व न्यूज:उज्जैन। लोक परिवहन के साधनों का उपयोग करने वाले यात्रियों की सुरक्षा, उचित किराए और वाहन चालकों की मनमानी को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन के अफसरों द्वारा समय-समय पर नियम बनाए जाते हैं। नियमों का पालन कराने की जिम्मेदारी पुलिसकर्मियों को दी जाती है, पुलिसकर्मी फोर्स की कमी, वीआईपी ड्यूटी की बातें कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं और नियम कायदों को ताक पर रखकर वाहन चालक यात्रियों से मनमाना किराया वसूलते हैं। यह हालत पूरे शहर की है। खास बात यह कि शहर में सबसे अधिक यात्रियों का आवागमन रेलवे स्टेशन से होता है वहां पुलिस द्वारा बनाए गए प्रीपेड बूथ पर ही इतनी धांधली है तो शहर के लोग भगवान भरोसे ही ई रिक्शा, ऑटो, मैजिक में यात्रा कर रहे हैं।

यह था बूथ बनाने का मकसद

रेलवे स्टेशन पर 24 घंटे देश के अलग-अलग शहरों से ट्रेनों का आवागमन होता है। यात्रियों को यहां से अपने गंतव्य तक जाने के लिए ऑटो, ई-रिक्शा की जरूरत होती है। वाहन चालक मनमाना किराया वसूल करते थे। पुलिस प्रशासन ने इसे रोकने के लिए रेलवे स्टेशन मेनगेट ऑटो स्टैंड और मालगोदाम ऑटो स्टैंड पर प्रीपेड बूथ बनाए। शुरुआत में यहां पर यातायात पुलिसकर्मियों की अलग-अलग शिफ्ट में 24 घंटे ड्यूटी लगाई।

स्टैंड से चलने वाले प्रत्येक वाहन के चालक पहले प्रीपेड बूथ से आरटीओ द्वारा निर्धारित किराए के अनुसार रसीद बनवाते फिर सवारी को उनके बताए स्थान पर छोड़ते। इसके बाद रसीद प्रीपेड पर बताते तो उन्हें निर्धारित किराया दिया जाता था। प्रीपेड रसीद में नगर यातायात पुलिस नगर भ्रमण उज्जैन लिखकर रसीद क्रमांक, बुक नंबर, यात्री का नाम, मोबाइल नंबर, कहां से कहां तक जाना है, वाहन चालक का नाम, उसका वाहन नंबर, वाहन का प्रकार, दिनांक, समय, किराया का उल्लेख होता था।

अब यह हालत है प्रीपेड बूथ की

रेलवे स्टेशन के दोनों प्रीपेड बूथ से यातायात पुलिसकर्मियों की ड्यूटी हटा दी गई है। यहां पर प्राइवेट व्यक्ति संभवत: पुलिसमित्र सहयोग के रूप में काम कर रहे हैं। इनकी शिक्षा, काम करने की क्षमता, काम के प्रति समर्पण की कोई गारंटी नहीं है। वाहन चालकों को इनका कोई भय भी नहीं रहता।

वाहन चालक मनमानी करें तो सहयोग करने वालों के पास उन्हें रोकने का भी कोई कानूनी अधिकार नहीं है। यही कारण है कि मुफ्त में सेवा देने वाले उक्त युवकों को अपनी जिम्मेदारी का एहसास भी नहीं होता। इसका फायदा वाहन चालक उठा रहे हैं। देश के विभिन्न शहरों से आने वाले यात्रियों को किराए की जानकारी नहीं होती, वाहन चालक यात्रियों को प्रीपेड बूथ तक पहुंचने ही नहीं देते। रास्ते में ही उनसे किराया तय कर ले जाते हैं। कुल मिलाकर जिस मकसद से प्रीपेड शुरू किए गए थे वह अब खत्म हो गया है।

कैसे लें मदद

रेलवे स्टेशन से ई-रिक्शा और ऑटो चलाने वाले अधिकांश ड्राइवर का पुलिस वैरिफिकेशन नहीं है। रात के समय यदि कोई यात्री किसी भी वाहन में बैठकर शहर में पहुंचता है और उसके साथ कोई घटना होती है ऐसी स्थिति में प्रीपेड रसीद पर हेल्पलाइन नंबर 2527133, 100, 2515563, 2515565, पीबीएक्स 280 कंट्रोल रूम लिखे गए हैं।

उक्त नंबरों में सिर्फ डायल 100 ही काम कर रहा है बाकी सभी नंबर सर्विस में ही नहीं हैं। खास बात यह कि डायल 100 नंबर पूरे देश में कोई भी व्यक्ति कहीं से भी लगाकर पुलिस की मदद ले सकता है। शहर में यात्रा के दौरान वाहन चालक द्वारा मनमानी, अभद्रता या अन्य शिकायत करना हो तो उसके हेल्पलाइन नंबर जो रसीद पर अंकित हैं वह बंद हैं।

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