VIP कल्चर को लेकर विवाद की स्थिति बनी महाकाल मंदिर में

भीड़ प्रबंधन को लेकर सवाल उठाए

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कैलाश शर्मा/ विशाल जूनवाल|उज्जैन। प्रयागराज महाकुंभ का अनुभव लेकर लौटे पुलिस एवं प्रशासन के अफसरों के दिमाग में भीड़ प्रबंधन ही छाया रहा। नतीजतन, वीआईपी, प्रोटोकॉल, पासधारियों की व्यवस्था में चूक कर गए। एक समय ऐसा भी आया कि भीड़ का दबाव बढ़ने के कारण बैरिकेड्स गिरने की नौबत आ गई और पास में खड़े मंदिर प्रशासक, एएसपी अपनी जिद पर अड़े रहे। स्थिति यह बनी की प्रदेश सरकार की कैबिनेट मंत्री परेशान हुईं, विधायक को मंदिर प्रशासक को आड़े हाथों लेना पड़ा।

महाशिवरात्रि पर्व पर आमजन को शीघ्र और सुगम दर्शन कराने के चक्कर में अफसरों ने कर्कराज पार्किंग के आगे भील समाज धर्मशाला से बैरिकेड्स लगा दिए। अफसरों ने पूर्व के शिवरात्रि पर्व पर श्रद्धालुओं के आगमन के आंकड़ों और व्यवस्थाओं का आंकलन न करते हुए पिछले दिनों प्रयागराज महाकुंभ में भीड़ प्रबंधन की सीख लेकर वहां की व्यवस्था को महाकालेश्वर मंदिर दर्शन व्यवस्था पर लागू कर दिया।

यह प्रयोग उस समय नाकाम साबित हो गया जब दर्शनों के लिए सीमित संख्या में ही लोग पहुंचे, लेकिन उन्हें मजबूरन ढाई किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। चारधाम, मानसरोवर और उसके बाद टनल पार कर तीसरे जिकजेक में वृद्धजन, महिलाओं, बच्चों को धक्के खाना पड़े तब कहीं जाकर भगवान के दर्शन हुए। बैरिकेड्स में फंसे लोगों का कहना था कि भीड़ नहीं है फिर भी इतनी दूर पैदल चला रहे हैं। श्रद्धालुओं की लाइन चारधाम से भी लगाई जा सकती थी।

परिवार के लिए पुलिस वाहन चले

मंदिर की दर्शन व्यवस्था सामान्य दिनों में क्रिस्टल कंपनी के गार्ड्स संभालते हैं। पर्व और त्यौहार के अवसर पर पुलिस यह व्यवस्था अपने हाथ में ले लेती है। इस दौरान पुलिस अफसर हों या जवान अपने परिवारजन को वीआईपी रास्ते से दर्शन कराते रहे हैं, लेकिन शिवरात्रि पर पहली बार ऐसा हुआ कि पुलिस वाहन में पुलिस परिवार के सदस्यों को बैठाकर नीलकंठ द्वार तक लाकर वीआईपी दर्शन कराए गए। खास बात यह कि ड्यूटी कर रहे पुलिसकर्मियों ने भी अपने परिचितों, दोस्तों और रिश्तेदारों को ऐसे दर्शन कराए मानो कि आज उन्हीं के लिए सारी व्यवस्थाएं बनाई गई थीं।

भीड़ बढ़ रही थी लोग परेशान थे इसलिए समझाया : मालवीय

विधायक सतीश मालवीय ने अक्षर विश्व को बताया कि नीलकंठ द्वार से वीआईपी, प्रोटोकॉल, शीघ्र दर्शन आदि को प्रवेश दिए जाने की व्यवस्था प्रशासन ने ही की थी, लेकिन मंदिर प्रशासक प्रथम कौशिक ने अचानक व्यवस्था में बदलाव कर दिया जिस कारण लोग परेशान हो रहे थे। हमारी कैबिनेट मंत्री भी भीड़ में फंस गईं और आधे घंटे तक परेशान होती रहीं। भीड़ का दबाव इतना था कि लोग बैरिकेड्स गिरा सकते थे, जबकि इस वर्ष शिवरात्रि पर भीड़ न के बराबर थी।

इस कारण प्रशासक को बताया कि आप व्यवस्था बनाने के लिए खड़े हैं या व्यवस्था बिगाड़ने के लिए। आपने ही लोगों को पास बांटे हैं फिर प्रवेश क्यों नहीं दे रहे। मंदिर में भीड़ भी नहीं है। पुलिस अफसरों ने विधायक के सामने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि प्रशासक सीनियर अफसर हैं व्यवस्था वही बना रहे हैं। विधायक मालवीय की समझाइश के बाद प्रशासक हरकत में आए। उन्होंने बैरिकेड्स हटवाए और लोगों को आगे जाने दिया।

एक घंटे तक किसी ने सुध नहीं ली: एक ओर सामान्य दर्शनार्थी बैरिकेड्स में लगकार आराम से मानरोवर की ओर बढ़ रहे थे वहीं दूसरी ओर वीआईपी, प्रोटोकॉल पासधारी अफसरों की जिद के कारण कतार बनाकर बहस करते रहे। यह स्थिति एक घंटे तक बनी रही। विधायक मालवीय ने एएसपी भार्गव और प्रशासक कौशिक को स्पष्ट कहा कि तुरंत व्यवस्था सुचारू करो वरना हादसा हो सकता है तब कहीं जाकर नीलकंठ द्वार से लोगों को प्रवेश दिया गया।

दुखी होकर गए भक्त

इंदौर पलासिया से बड़ी आस लेकर दर्शन करने आए सुरेन्द्र सिंह चौहान यहां की व्यवस्था से दुखी होकर गए। बोले, भीड़ इतनी कम थी फिर इतना लंबा चलवाने की जरूरत क्या थी। यह प्रशासन सिंहस्थ में क्या करेगा। देवास से आए सुरेन्द्र सिंह गौतम ने कहा कि हम समझ रहे थे यहां व्यवस्था बहुत अच्छी होगी।

अखबारों में पढ़ा था प्रशासन प्रयागराज से अनुभव लेकर लौटा है। यहां ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला। नानाखेड़ा से पत्नी व बच्चों के साथ शीघ्र दर्शन के पास लेकर यहां पहुंचे मनीष कुमावत ने बताया कि नीलकंठ द्वार पर गार्ड्स ने पास लेकर फाड़ दिया और सामान्य दर्शनार्थी की कतार में लगने को कहा, विरोध करने पर विवाद किया। महिदपुर निवासी वृद्ध गीताबाई ने बताया कि बेटे रामनरेश के साथ दर्शन करने आई हूं। यहां सीनियर सिटीजन को मंदिर तक पहुंचाने की कोई व्यवस्था नहीं थी। शीघ्र दर्शन पास खरीदा उसके बावजूद सामान्य दर्शनार्थियों की लाइन में दर्शन करने जा रहे हैं।

पुलिस और सुरक्षाकर्मी बोले… एसपी से बात कर लो

वीआईपी पास वाले और 250 रुपए सशुल्क दर्शन करने वाले लोग दोपहर में नीलकंठ द्वार पर पहुंचे। यहां मंदिर प्रशासक प्रथम कौशिक और एएसपी नीतेश भार्गव व्यवस्था संभाल रहे थे। अचानक अफसरों ने व्यवस्था में बदलाव कर दिया। भीड़ अधिक होने की बात कहकर इन लोगों को सीधे सामान्य दर्शनार्थियों की कतार में पहुंचाने लगे। लोगों ने इसका विरोध किया। बैरिकेड्स के पास खड़े पुलिस और सुरक्षाकर्मी बोले एसपी ने व्यवस्था बनाई है उन्हीं से बात करो। हम बैरिकेड नहीं हटाएंगे।

भीड़ बढ़ी, विवाद हुआ फिर विधायक ने संभाली कमान

नीलकंठ द्वार से सामान्य दर्शनार्थियों की कतार में वीआईपी, प्रोटोकॉल, 250 रुपए सशुल्क वाले श्रद्धालुओं को सामान्य श्रद्धालुओं की लाइन में मिलाने का विरोध शुरू हुआ। पीछे भीड़ बढ़ रही थी। सुरक्षाकर्मी लोगों से विवाद पर उतर आए। उनके पास भी फाड़ दिए। इसी भीड़ में कैबिनेट मंत्री संपतिया उइके भी फंस गईं, लेकिन प्रशासक कौशिक और एएसपी भार्गव किसी की सुनने या व्यवस्था बदलने को तैयार नहीं हुए। यह देख घट्टिया क्षेत्र के भाजपा विधायक सतीश मालवीय मैदान में उतरे।

ई-कार्ट नहीं मिली तो उखड़े

श्री महाकालेश्वर मंदिर में ई-कार्ट की सेवा दिव्यांग और सीनियर सिटीजंस के लिए है लेकिन महाशिवरात्रि पर यह वीआईपी और उनके परिवार के सदस्यों के लिए चलती रही। एक ओर तो सीनियर सिटीजंस और दिव्यांगों के लिए ई-कार्ट का इस्तेमाल करने का अनाउंसमेंट होता रहा, वहीं हकीकत में उन्हें ई-कार्ट की सेवा ही नहीं मिली। इससे कुछ सीनियर सिटीजंस नाराज नजर आए। जूनागढ़ से आए मेहुल चोटलिया ने कहा मंदिर केवल वीआईपी का रह गया है, सामान्य श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए यहां कुछ नहीं है।

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