नगर निगम की अनदेखी का शिकार दो तालाब

तालाब में काई, गंदगी और कचरे का ढेर, पौधे सूखे
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अक्षरविश्व न्यूज:उज्जैन। इंदौर रोड पर मुनिनगर के बाहर बने बरसों पुराने दो तालाब में से एक नगर निगम की अनदेखी और लापरवाही का शिकार हो रहा है। सडक़ के दोनों ओर बने यह तालाब कभी शहर की खूबसूरती बढ़ाते थे लेकिन इनमें से एक तालाब आज बदहाल है। मत्स्य विभाग के अधीन एक तालाब में मछली पालन किया जाता है लेकिन इसकी हालत इतनी खराब है कि इसके पानी में जमी काई और गंदगी देखकर लगता ही नहीं कि इसमें मछलियां पाली जाती होंगी।
पानी भी ऐसा कि मछलियां डालते ही मर जाएं। आश्चर्य की बात तो यह है कि मत्स्य पालन विभाग का दफ्तर भी इसी जगह है, लेकिन इसके जिम्मेदारों को तालाब की दुर्दशा नजर ही नहीं आ रही। इसी साइड पर लोग तालाब में कचरा न डालें इसलिए ऊपर तक जाली लगाई है और जाली पर फैंसी पौधे तथा आकर्षक बेल भी लगाई गई है लेकिन यह रखरखाव के अभाव में पूरी तरह सूख चुके हैं, नगर निगम के कर्मचारियों ने इन पौधों को पानी तक नहीं दिया गया।
सूखे हुए पौधे ऐसे ही अपनी कहानी बयां कर रहे हैं, जबकि इंदौर शहर में चौतरफा निकल रहे नालों की पचासों पुलियाअंो पर लगी जालियों में ये पौधे सदा हरे-भरे और सुसज्जित दिखाई दे सकते हैं। नगर निगम एक जाली पर लगे पौधों को नहीं संभाल पा रही है। अब दूसरी ओर के बड़े तालाब की तरफ चलें इस तालाब को तत्कालीन पार्षदों ने अपने कार्यकाल में सजाया संवारा, तैरता पुल बनवाकर तालाब के चारों तरफ वाकिंग ट्रैक भी बनवाया था साइड में एक गार्डन भी जिसमें व्यायाम उपकरण लगवाए थे।
कभी इन दोनों तालाबों में रंगीन फव्वारे चलते रहते थे जिससे पानी भी शुद्ध बना रहता था लेकिन यहां भी नगर निगम की लापरवाही से यह खूबसूरत तालाब बदसूरत ही नहीं बदबूदार भी हो चुका है। पहले शाम को आसपास की कॉलोनियों के रहवासी महिलाएं बच्चे बड़े मजे से घूमते-फिरते थे लेकिन अब वॉकिंग ट्रैक भी नहीं रहा। शासन के खुले में निरामिष सामग्री ना बेचने के आदेश को धता बताते हुए वॉकिंग ट्रैक पर ही यह सामग्री बेची जा रही है। पास में भगवान हनुमान जी और शनिदेव का मंदिर है जहां आने वाले दर्शनार्थियों की धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं।
असल में तत्कालीन पार्षद विकास को लेकर जितने सक्रिय और सजग रहते थे उन्होंने इस तालाब को इतना खूबसूरत स्वरुप दिया था उतना वर्तमान पार्षद नहीं है। रही सही कसर नगर निगम ने कर रखी है। इस वजह से पूरा वार्ड खराब है। दु:ख की बात है कि जो दो तालाब कभी शहर की खूबसूरती के गवाह थे, अब वह बदहाली का पयार्य बन गए हैं।