टॉवर चौक पर नए अंदाज में होगी अंताक्षरी फिल्म अभिनेता अन्नू कपूर संचालन करेंगे

By AV NEWS

फिल्मी गीतों के अलावा दोहे, चौपाई, श्लोक और कविताएं सुनने को मिलेंगे

11 और 12 मार्च को प्रतियोगियों के ऑडिशन होंगे

कुल 6 टीमें बनाई जाएंगी, प्रत्येक टीम में 4 प्रतिभागी होंगे

देश का कोई भी व्यक्ति अंताक्षरी में भाग ले सकता है

अक्षरविश्व न्यूज:उज्जैन। विक्रमादित्य शोध पीठ के बैनर तले विक्रमोत्सव 2024 आयोजित किया जा रहा है। इसमें विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम ३० जून तक होने वाले हैं। 13 मार्च को टॉवर चौक पर अंताक्षरी कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसका संचालन फिल्म एवं धारावाहिकों के अभिनेता अन्नू कपूर करेंगे। आयोजन को लेकर बड़े स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी गई है। शनिवार को अन्नू कपूर उज्जैन में थे। यहां वे पत्रकारों से रूबरू हुए और बड़ी देर तक विभिन्न विषयों को लेकर बतियाते रहे। प्रमुख विषय अंताक्षर आयोजन ही था।

पत्रकारों से चर्चा में उन्होंने बताया कि देश के लोगों ने टीवी पर जो अंताक्षरी कार्यक्रम देखा वह पूरी तरह फिल्मी था। इसी ने उन्हें न सिर्फ पहचान दिलाई बल्कि अन्नू कपूर को घर-घर तक पहुंचाया। किसी भी अभिनेता का इतनी जल्दी पारिवारिक हो जाना आसान नहीं था। वह कार्यक्रम ही ऐसा था जिसमें लोगों को अवसर मिलें, शोहरत मिली और हमें भी गांव-गांव, गली-गली सैर करने का मौका मिला। वैसे उनकी पहली फिल्म 1979में आई थी, जिसे राकेश रोशन ने बनाया और निर्देशित किया। फिल्म का नाम था ‘काला पत्थर’। इस फिल्म के बाद उन्होंने पलटकर नहीं देखा।

इस अंताक्षरी में नयापन होगा

अन्नू कपूर ने बताया कि टॉवर चौक पर जो अंताक्षरी होने वाली है, उसका अंदाज सबसे जुदा होगा। अमूमन अंताक्षरी में किसी शब्दों को पकडऩे के बाद फिल्मी गीत ही गाए जाते हैं, इसमें ऐसा नहीं होगा। नवाचार यह है कि प्रतियोगियों में कवि भी होंगे, जो शब्द पकडऩे के बाद कविता सुनाएंगे। कविता के विभिन्न रूप होते हैं, जैसे गज़ल, मुक्तक, शेर, रूबाई इत्यादि। यह जरूरी नहीं है कि कवि अपनी कविता ही सुनाए। किसी भी शायर की शायरी सुनाई जा सकती है। इसी प्रकार संस्कृत को जानने वाले प्रतियोगी भी इस कार्यक्रम में शामिल किए जाएंगे, वे शब्द पकडऩे के बाद श्लोक सुना सकते हैं।

प्रतियोगियों को तरन्नुम का ख्याल रखना होगा

अन्नू कपूर ने बताया कि चूंकि अंताक्षरी संगीतमय कार्यक्रम होता है, इसलिए भाग लेने वाले प्रतियोगियों को तरन्नुम का विशेष ख्याल रखना होगा। जो कविता सुनाएंगे उनके तलफगुज़ भी देखे जाएंगे। गायकों का स्वर में होना जरूरी है। कविता सुनाने वालों की कविता का वजऩ भी देखा जाएगा। इसी प्रकार जो संस्कृत के श्लोक सुनाएंगे उनका उच्चारण प्रमुख रहेगा।

गुरुकुल से परंपरा की शुरुआत हुई

अन्नू कपूर ने बताया कि अंताक्षरी कोई फिल्मी दुनिया की देन नहीं है। हमारे गुरुकुल में गुरुजी शिष्यों को बैठा कर एक शब्द दिया करते थे। उसके बाद शिष्य उसी शब्द के आधार पर शास्त्र में जो सीखा जाता था उसे सुनाते थे। इससे फायदा यह होता था कि गुरुजी को यह पता चल जाता था कि शिष्यों को जो सिखाया गया है वह उन्हें कितना याद है। उसके बाद यह परंपरा फिल्मों तक आ गई।

उज्जैन में होगा नया प्रयोग

अन्नू कपूर ने बताया कि आगामी दिनों में वे अमेरिका के दौरे पर रहेंगे। वहां कई शहरों में अंताक्षरी कार्यक्रम है। वह चाहते थे कि अंताक्षरी को लेकर ऐसा प्रयोग किया जाए जो आज तक नहीं हुआ हो। उज्जैन से बेहतर कोई शहर हो ही नहीं सकता था। लिहाज़ा इसके लिए उन्होंने विक्रमादित्य शोध पीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी से चर्चा की और अपना मंतव्य बताया। उन्हें बताया गया कि इससे अपनी भाषा का विस्तार भी होगा। वे सहमत हो गए। निर्णायक की भूमिका में कवि दिनेश दिग्गज भी रहेंगे।

दो सत्र में होगा ऑडिशन

11 एवं 12 मार्च को प्रतिभागियों के लिए ऑडिशन रखा गया है। ये ऑडिशन दो सत्र में होंगे। 12 मार्च को अंतिम राउंड में यह पता चल जाएगा कि कितने लोगों को अंताक्षरी में भाग लेने के लिए चयनित किया गया है। उन्होंने बताया कि एक शब्द पकडऩे के बाद जो रचना सुनाई जाएगी उसके लिए 100 अंक दिए जाएंगे। यदि गड़बड़ हुई तो माइनस मार्किंग भी होगी।

उज्जैन से बड़ा लगाव रहा है

अन्नू कपूर मूलत: भोपाल से हैं। पंजाबी परिवार में जन्मे अन्नू कपूर का मूल नाम अनिल कपूर है। अनिल कपूर पहले से ही फिल्मी दुनिया में मशहूर थे। नाम को लेकर भ्रम की स्थिति न हो इसलिए उन्होंने अपने नाम को छोटा कर लिया। अनिल कपूर से वे अन्नू कपूर में बदल गए। जीवन में उन्होंने बड़ा संघर्ष किया है।

संघर्ष की राह पर चलते हुए उन्होंने एनएसडी में दाखिला लिया और फिल्मों की ओर रूख किया। सभी प्रकार के रोल करने में माहिर अन्नू कपूर आज भी लोकप्रियता के शिखर पर है। इसका श्रेय वे बाबा महाकाल को देते हैं। उज्जैन से उन्हें बेहद लगाव है, यहां के लोगों का स्नेह हमेशा मिला है। उनका दावा है कि अंताक्षरी कार्यक्रम बेहद सफल होगा।

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