रंग पंचमी कब? जानें इसका महत्त्व व पूजा विधि

रंग पंचमी, जिसे रंगों का त्योहार भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह त्योहार होली के बाद मनाया जाता है और इसका विशेष महत्व है। रंग पंचमी का उत्सव रंगों, खुशियों और भाईचारे का प्रतीक है। इस दिन लोग एक-दूसरे पर रंग डालते हैं, गाते-बजाते हैं और एक-दूसरे के साथ मिलकर आनंदित होते हैं। यह पर्व न केवल रंगों का उत्सव है, बल्कि यह प्रेम, एकता और सामाजिक समरसता का भी संदेश देता है। रंग पंचमी का आयोजन हर साल फाल्गुन मास की पंचमी तिथि को किया जाता है, जो होली के बाद आता है।

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रंग पंचमी पर लोग एक-दूसरे पर रंग डालते हैं और खुशियाँ मनाते हैं। इस दिन विशेष रूप से सूखा गुलाल और रंगों का उपयोग किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन देवी-देवता पृथ्वी पर आकर होली खेलते हैं। इस अवसर पर विशेष व्यंजन जैसे पूरनपोली बनाए जाते हैं। रंग पंचमी का त्योहार भाईचारे और प्रेम का प्रतीक है, जो लोगों को एकजुट करता है और आनंद फैलाता है। यह दिन न केवल रंगों का उत्सव है, बल्कि आपसी संबंधों को मजबूत करने का भी अवसर है।

रंग पंचमी 2025 कब है?
रंग पंचमी 2025 में 19 मार्च को मनाई जाएगी। यह त्योहार होली के पांच दिन बाद आता है और इसे विशेष रूप से मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, और गुजरात में धूमधाम से मनाया जाता है। रंग पंचमी का दिन रंगों के खेल का प्रतीक है

रंग पंचमी 19 मार्च 2025 शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त: दोपहर 04 बजकर 51 मिनट से 05 बजकर 38 मिनट तक।
विजय मुहूर्त: दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 54 मिनट तक।
गोधूलि मुहूर्त: शाम 06 बजकर 29 मिनट से 06 बजकर 54 मिनट तक।
निशिता मुहूर्त: रात्रि 12 बजकर 05 मिनट से 12 बजकर 52 मिनट तक।

रंग पंचमी का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रंग पंचमी के दिन देवी – देविताओं को रंग, गुलाल अर्पित करने से वो प्रसन्न होते हैं। ऐसे करने से कुंडली के दोष समाप्त हो जाते हैं और जीवन में सुख – समृध्दि आती है। माना जाता है कि होली पाँच दिन तक मनाई जाती है और यह होली का अंतिम दिन होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने राधा रानी के साथ होली खेली थी, जिसे देखने के लिए देवी-देवता भी पृथ्वी पर आए थे।

रंगपंचमी की पूजन विधि

कई लोग रंग पंचमी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। तो वहीं कई लोग इस दिन राधा रानी और श्री कृष्ण भगवान की पूजा करते हैं। इस दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान करने के बाद भगवान कृष्ण और मां राधा के सामने घी का दीपक जलाकर उन्हें लाल रंग का गुलाल अर्पित करें। कहते हैं रंगपंचमी के दिन विधिवत पूजा करने से शादीशुदा जोड़ों को सुख की प्राप्ति होती है। रंग पंचमी के दिन भगवान कृष्ण और भगवान विष्णु की पूजा में पीले रंग का इस्तेमाल जरूर करें। आप उन्हें पीले रंग के वस्त्र पहनाएं और उनके चरणों में पीले रंग का अबीर अर्पित करें। इसके अलावा मां लक्ष्मी, बजरंगबली और भैरव महाराज को लाल रंग चढ़ाएं।

देवी दु्र्गा ने किया था असुरों का वध

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार रंग पंचमी के दिन ही मां दुर्गा ने राक्षसों का वध किया था और उसके बाद अपने भक्तों के साथ विजय के प्रतीक के रुप में होली खेली थी। यही कारण है कि इस दिन को बुराई पर अच्छाई का जीत का पर्व माना जाता है।

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