हे मां शिप्रा… पानी में ऑक्सीजन की कमी, दम तोड़ रहीं मछलियां

गंदा पानी और कचरा बना वजह, श्रद्धालु नदी में प्रवाहित कर रहे पूजन सामग्री, जिम्मेदारों का ध्यान नहीं

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अक्षरविश्व न्यूज:उज्जैन। सप्तपुरियों में से एक अवंतिका यानी उज्जैन। जहां हर 12 साल में पुण्य सलीला मां शिप्रा के तट पर सिंहस्थ महापर्व का आयोजन होता है। मोक्षदायिनी कहलाने वाली शिप्रा इन दिनों अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है। इसमें मिल रहे नाले, प्रवाहित होती पूजन सामग्री और कचरे के कारण पानी दूषित हो गया है और ऑक्सीजन की कमी मछलियां दम तोड़ रही हैं। शनिवार को बड़ी संख्या में मछलियां मरी और पानी के ऊपर आ गईं। यह देख वहां स्नान कर रहे श्रद्धालु भी दंग रह गए। इसके बाद पानी से आ रही भयानक बदबू के चलते अधिकांश श्रद्धालुओं ने अपनी नाम पर रूमाल रख लिया तो कुछ ने इसके वीडियो बना लिए। दरअसल, मछलियों के मरने और शिप्रा के दूषित होने का यह सिलसिला नया नहीं है। जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते अक्सर यह हालात बनते रहते हैं। शिप्रा शुद्धिकरण के नाम पर कई बार धरने दिए गए, प्रदर्शन हुए, सफाई के आश्वासन दिए गए लेकिन आज तक स्थिति जस की तस है। ऐसे में श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं।

श्रद्धालुओं का बैठना मुश्किल

भगवान महाकाल के दर्शन के लिए प्रतिदिन देशभर से श्रद्धालु आते हैं जो रामघाट पर स्नान के लिए पहुंचते हैं। शनिवार को रामघाट पर मरी हुई मछलियों का ढेर लगा था जिसके चलते स्नान तो दूर श्रद्धालुओं का बैठना तक मुश्किल हो गया। ऐसे में कई श्रद्धालु वहां से निकल गए तो कुछ ने इस हालात पर गुस्सा जाहिर किया।

कान्ह का मिलना भी बड़ी वजह

इंदौर से आने वाली कान्ह नदी का गंदा पानी भी शिप्रा के प्रदूषित होने की बड़ी वजह है। यह पानी त्रिवेणी पर शिप्रा में मिलता है जिसके चलते नदी का पानी गंदा होता है। पर्व एवं त्यौहारो के मौकों पर त्रिवेणी पर मिट्टी का अस्थायी पुल बनाकर पानी रोककर जिम्मेदार कर्तव्य से इतिश्री कर लेते हैं।

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