नोटिस पर नोटिस… निगम नहीं दे रहा जांच रिपोर्ट

इश्कबाज पीयूष भार्गव मामला: लगातार गैर हाजिर होने से स्वत: निरस्त होगी संविदा नियुक्ति!

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उज्जैन। नगर निगम के इश्कबाज कार्यपालन यंत्री पीयूष भार्गव के विरुद्ध जांच रिपोर्ट अब तक पुलिस के पास पहुंच नहीं सकी है, जबकि पुलिस थाने से निगम प्रशासन को नोटिस पर नोटिस दिए जा चुके हैं। आरोपी भार्गव संविदा पर पदस्थ है और लगातार गैरहाजिर रहने पर संविदा नियुक्ति स्वत: निरस्त हो सकती है। मामले में निगम अधिकारी भी कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं।

रिटायरमेंट के बाद निगम में संविदा पर नियुक्त किए गए कार्यपालन यंत्री पीयूष भार्गव को पॉवरलेस किया जा चुका है और सिंहस्थ कार्यों के प्रोजेक्ट भी जोनल अधिकारी सोहन मैदावाला को सौंपे जा चुके हैं। निगम अधिकारियों का दावा है कि भार्गव के विरुद्ध मातहत महिला उपयंत्री के यौन शोषण आरोप की जांच विशाखा समिति द्वारा कराई जा रही है, लेकिन यह अब तक किसी निष्कर्ष पर पहुंच नहीं सकी है।

यौन शोषण का आरोप लगाने वाली उपयंत्री खुद पुलिस थाने में लिखित शिकायत दर्ज करा चुकी है। मामले की ऑडियो रिपोर्ट से भी साफ हो चुका है कि उपयंत्री के आरोप सही हैं, लेकिन निगम की जांच अब तक मामले की सचाई पता नहीं लगा सकी है। सूत्रों के अनुसार पुलिस द्वारा निगम अधिकारियों को नोटिस पर नोटिस जारी किए जा रहे, लेकिन वह न तो रिपोर्ट दे रही न कोई तारीख दे रही। इससे संदेह यह जताया जा रहा है कि जांच रिपोर्ट को रोककर भार्गव को पुलिस से बचाने के प्रयास ज्यादा किए जा रहे। निगम सूत्रों का कहना है कि पुलिस की ओर से अब तक पांच नोटिस मिल चुके हैं। इस कारण भार्गव के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी नहीं हो पा रही।

सबूत पास में तो फिर जांच रिपोर्ट में देरी क्यों?
निगम प्रशासन मामले में दोनों पक्षों के बयान ले चुका है और ऑडियो रिकॉर्डिंग के रूप में सबूत भी उसके सामने है। इतना ही नहीं खुद महिला उपयंत्री भी निगम प्रशासन को लिखित में शिकायत दर्ज करा चुकी है। इसके बाद भी कार्रवाई होना तो दूर जांच रिपोर्ट को अपने पास दबाकर बैठने से यही संदेश लोगों में जा रहा है कि निगम प्रशासन भार्गव की संविदा नियुक्त समाप्त करने की जगह बचाने में जुटा हुआ है।

इसलिए स्वत: निरस्त होगी संविदा…?
निगम के जानकारों का कहना है कि संविदा पर पदस्थ कोई अधिकारी या कर्मचारी लगातार गैरहाजिर रहता है तो उसकी पदस्थापना स्वत: निरस्त हो जाती है। इसके बाद भी भार्गव की नियुक्ति निरस्त न होने का संकेत यह है कि भार्गव की उपस्थिति कागजों पर दर्ज तो नहीं की जा रही?

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