फ्रीगंज के पोर्च, हवाई निर्माण का निर्णय शासन करेगा

नगर निगम के सम्मेलन में शहर से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा हुई, कई पार्षद मजाक के मूड में थे
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सिटी बसों की बदहाली और 30 लाख के लोन पर पक्ष-विपक्ष में हुई नोक-झोंक
अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। नगर निगम का सम्मेलन, हंसी-ठिठौली, आवाजाही, नोंक-झोंक और मुद्दों पर हुई चर्चा के बीच संपन्न हुआ। नगर निगम की सिटी बसों, अतिक्रमण, फ्रीगंज पोर्च, चौड़ीकरण, जलभराव जैसे कई मुद्दे सदन में चर्चित रहे। सर्वानुमति से यह निर्णय ले लिया गया कि फ्रीगंज पोर्च और हवाई निर्माण के मामले को शासन के पास भेजा जाएगा। नगर निगम आयुक्त से कहा गया है कि फ्रीगंज क्षेत्र में अतिक्रमण बढ़ गया है। इस दिशा में कार्रवाई करना है। चतुर्थ समयमान वेतनमान दिए जाने संबंधित प्रस्ताव को सर्वानुमति से स्वीकृति दे दी गई। इमली चौराहा का नाम सत्यवादी वीर तेजाजी चौराहा एवं जिला न्यायालय से एमआर-१० फोर लेन का नामकरण विधिवेत्ता प्रताप मेहता के नाम से किए जाने संबंधित प्रकरण को सर्वानुमति से शासन को भेजने का निर्णय लिया गया है।
देवास गेट स्थित विहार लॉज टूटेगी
सदन में चर्चा के दौरान बताया गया कि देवास गेट स्थित विहार लॉज जीर्ण-शीर्ण हो गई है, उसे तोड़ा जाएगा। जिला चिकित्सालय परिसर में बोहरा वार्ड के पीछे बने सुलभ कॉम्प्लेक्स को हटाया जाएगा। बहादुरगंज स्थित खादठिया सब्जी मंडी के पास स्थित जर्जर गोडाउनों और दुकानों को तोड़ा जाएगा।
मुआवजे के मुद्दे अपनी पर राय रखी
शहर में हो रहे सडक़ चौड़ीकरण के मुद्दे पर पार्षदों ने अपनी-अपनी राय रखी। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मुआवजे को लेकर नगर निगम की स्थिति एक जैसी नहीं है। सभी के साथ न्याय होना चाहिए। जिनके मकान टूट गए हैं, उनको मुआवजा मिलना चाहिए। उन्होंने अध्यक्ष की ओर मुख़ातिब होकर कहा, इस बार रक्षाबंधन पर भाईसाहब से मुआवजा मांग लीजिए, गरीबों का भला हो जाएगा।
सिटी बसों और वेतन पर हुई चर्चा
द्वनेता प्रतिपक्ष रवि राय ने सिटी बसों का मुद्दा उठाते हुए कहा हमारे पास ५० डीजल बसें थीं। सभी बसें खोखली कर दी गई। एमआईसी से यह मुद्दा सदन में भेजा गया कि बसों पर काम करने वाले कर्मचारियों को वेतन देना है। बस कंपनी को ३० लाख का लोन दिया जाए। इस मुद्दे पर जबरदस्त बहस हुई। गब्बर कुवाल ने भी इस चर्चा में भाग लिया। उन्होंने कहा जन्म-मृत्यु कार्यालय में ८ हजार का प्रिंटर नहीं खरीदा जा रहा है। और यहां ३० लाख रुपए के लोन की बात कहीं जा रही हैं। शिवेंद्र तिवारी ने चर्चा में शामिल होते हुए कहा, आयुक्त ने प्रस्ताव भेजा था। १७ कर्मचारी नगर निगम में काम कर रहे हैं। लोन दे सकते हैं या नहीं। इस पर कानून विद् से चर्चा करना चाहिए। यदि लोन दे दिया तो वापसी की गारंटी क्या हैं? इसी बीच राय ने कहा कि पहले भी पांच करोड़ का भुगतान किया गया। अधिकारियों ने फाइल दबा दी। आखिर नगर निगम में चल क्या रहा हैं? गब्बर भाटी ने कहा कि हम पहले भी ५० लाख का लोन दे चुके हैं, क्या वापिस आया?
माया को बोलने नहीं दिया तो नाराज हो गई
पार्षद माया त्रिवेदी ने कहा कि चौड़ीकरण के मुद्दे पर लोग रो रहे हैं, महिलाएं परेशान हैं, बाप दादा की विरासत का हिस्सा जा रहा है। वह अतिक्रमण नहीं है। लोगों की संपत्ति है, न्याय कीजिए। इस पर पक्ष के कुछ पार्षदों ने बीच-बीच में बोलना शुरू किया। हालात यह बने कि माया ठीक तरह से अपनी बात नहीं रख पाई। उन्होंने कहा कि शहर की यातायात व्यवस्था बिगड़ रही है। इस पर अध्यक्ष ने कहा कि आप सुझाव दीजिए, नसीहत नहीं।
आयुक्त ने बताया महापौर अध्यक्ष हैं
पक्ष-विपक्ष के पार्षदों ने बसों और ३० लाख के लोन को लेकर आयुक्त को निशाने पर लिया था। नगर निगम अध्यक्ष कलावती यादव ने आयुक्त से कहा कि वे अपना पक्ष रखें। निगम आयुक्त आशीष पाठक ने कहा कि १७ कर्मचारी नगर निगम के विभिन्न विभागों में काम कर रहे हैं। जहां तक बसों का सवाल है, तो वह नगर निगम की संस्तुति कंपनी है, महापौर जिसके अध्यक्ष हैं। बोर्ड से स्वीकृति के बाद ही इस मुद्दे को चर्चा के लिए भेजा गया है। उन्होंने कहा कि शासन द्वारा नगर निगम को १५ करोड़ का आवंटन होने वाला है। इसी बीच राय ने कहा यदि कर्मचारी नगर निगम में काम कर रहे हैं तो लोन देने की जरूरत क्या हैं, उन्हें नगर निगम की ओर से वेतन दिया जाए।
अध्यक्ष ने दी नसीहत: सदन में कई पार्षद मजाक के मूड में थे। इस कजाकिया मूड में गरिमा का हनन भी हो रहा था। तब निगम अध्यक्ष कलावती यादव ने सभी को नसीहत दी।
महापौर ने कहा- हम टैक्स दे रहे हैं
जब बस और लोन का मुद्दा ज्यादा गरमा गया तब महापौर ने कहा सिटी बस कंपनी कोई बाहर की नहीं नगर निगम की है। हम खड़ी हुई बसों का बीमा और टैक्स का भुगतान कर रहे हैं। इस संबंध में विधिसंवत्त निर्णय लिया जाए। जिन कर्मचारियों ने काम किया है, उनका क्या दोष है, उन्हें वेतन मिलना चाहिए। उन्हें वेतन कैसे मिलेगा यह सदन तय करेगा। यदि नगर निगम से वेतन देते हैं, तो कर्मचारी नगर निगम के तो नहीं हो जाएंगे। कल से वे दावा करेंगे कि हम नगर निगम के कर्मचारी है, इसलिए सोच-समझकर निर्णय लिए जाए। निगम अध्यक्ष ने कहा कि प्रस्ताव स्पष्ट नहीं है। कर्मचारी न्यायालय से जीतकर आए हैं। रजत मेहता ने कहा कि यह प्रस्ताव वापिस भेज दिया जाए। गब्बर कुवाल ने कहा कर्मचारी लेबर कोर्ट से जीतकर आए तो आयुक्त हाईकोर्ट में क्यों नहीं गए?
लोगों ने स्वेच्छा से अपने मकान तोड़े हैं
सदन में प्रकाश शर्मा, शिवेंद्र तिवारी सहित अन्य पार्षदों ने कहा कि चौड़ीकरण को लेकर विरोध जैसी स्थिति नहीं हैं। लोगों ने स्वेच्छा से अपने मकान के हिस्से तोड़े हैं। नगर निगम की ओर से नालियां बनवाई जा रही हैं। तिवारी ने मुआवजे के मुद्दे को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि १९२८ में फ्रीगंज बसाया गया था। हवाई हक देने के मामले में सदन को विचार करना है। यह मामला १९९८ से लंबित है। अनिल गुप्ता ने कहा कि हमने पार्षद होने के नाते यह मुद्दा रखा है। हम लोग यहां चाय-नाश्ता करने नहीं आते हैं। योगेश्वरी राठौर, सुशील श्रीवास, सपना सांखला ने भी सदन की चर्चा में हिस्सा लेकर अपनी बात कही।