सोलर सब्सिडी दुरुपयोग पर अंकुश की तैयारी

अब मोबाइल और कंप्यूटर पर मिलेगी घरों में लगे सोलर पैनल की जानकारी
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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। घरों और खेतों में लगे सोलर पैनल की जानकारी अब मोबाइल और कम्प्यूटर पर देखी जा सकेगी। मप्र ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (एमपी यूवीएनएल) ने प्रदेश के एक लाख से ज्यादा सोलर सिस्टम को एक डिजिटल निगरानी प्लेटफॉर्म से जोडऩे की योजना बनाई है।

सिस्टम को विकसित करने में एक साल का समय मिलेगा। इसके बाद सारा डेटा एक क्लिक में उपलब्ध होगा। सिस्टम लागू होने के बाद हर सोलर पंप और प्लांट की स्थिति लाइव दिखेगी। कितने सिस्टम चालू हैं, कहां बिजली उत्पादन रुका है, या कौन-सा सिस्टम खराब है, यह तुरंत पता चलेगा। इससे अनावश्यक सब्सिडी का दुरुपयोग रुकेगा और निष्क्रिय या फर्जी सिस्टम की पहचान आसान होगी।
केंद्र सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने राज्यों को सोलर परियोजनाओं की निगरानी के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाने का निर्देश दिया है। इस प्लेटफॉर्म पर सारा डेटा इंटरनेट प्रोटोकॉल के जरिए सुरक्षित और लाइव उपलब्ध होगा। डेटा को जेएसओएन फॉर्मेट और औद्योगिक इंटरनेट ऑफ थिंग्स तकनीक के जरिए राज्य और राष्ट्रीय पोर्टल से जोड़ा जाएगा।
सिंगल क्लिक में जानकारी देगा सिस्टम
केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार वेब आधारित सिस्टम तैयार होगा, जो स्काडा (सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डेटा एक्विजिशन) पर काम करेगा। यह सिस्टम सोलर पंप, इन्वर्टर, एनर्जी मीटर जैसे उपकरणों की रियल टाइम जानकारी देगा। यह सिस्टम किसानों, घरेलू उपयोगकर्ताओं और अधिकारियों को एक क्लिक में सारी जानकारी देगा।
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प्रदेश के 1.15लाख सिस्टम को जोड़ेंगे
इस योजना में प्रदेश के एक लाख 15 हजार सोलर सिस्टम को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ा जाएगा। इनमें कुसुम-बी योजना के तहत लगे एक लाख सोलर पंप, कुसुम-ए और कुसुम-सी योजनाओं के 900 ग्रिड कनेक्टेड सोलर प्लांट, प्रधानमंत्री जनमन योजना के 2060 ऑफ ग्रिड सिस्टम और 12 हजार 500 सोलर रूफटॉप सिस्टम शामिल हैं।
सिस्टम ऐसे करेगा काम
इसमें डेटा लेने, प्रोसेस करने, अलार्म देने और रिपोर्ट बनाने जैसे हर काम के लिए अलग मॉड्यूल होगा। इससे जरूरत पडऩे पर केवल एक हिस्से में बदलाव होगा। डिवाइस मैनेजमेंट सोलर पंप, इन्वर्टर, मीटर को सिस्टम से जोड़ेगा। टैग प्रोसेसिंग उपकरणों का डेटा पढ़ेगा और प्रोसेस करेगा।
सिस्टम से यह होगा फायदा
रियल टाइम अपडेट – सोलर पंप के चालू या बंद होने की जानकारी तुरंत सिस्टम में दर्ज होगी।
खराबी का अलर्ट- अगर बिजली उत्पादन रुकता है या कोई खराबी होती है तो तुरंत अलर्ट मिलेगा।
डेटा रिकॉर्ड – महीने भर में कितनी बिजली बनी, पंप कितने घंटे चला, इसका पूरा हिसाब रखा जाएगा।
क्लासिफिकेशन – डेटा को जिला, संभाग और विभाग के हिसाब से ऑटोमैटिकली व्यवस्थित किया जाएगा।
पारदर्शिता- सिस्टम की हर गतिविधि रिकॉर्ड होगी, जिससे फर्जीवाड़ा रुकेगा।
तुरंत सूचना- किसानों को खराबी की जानकारी तुरंत मिलेगी।
सब्सिडी पर नजर – अनावश्यक सब्सिडी का दुरुपयोग बंद होगा।
नीति निर्माण – लाइव डेटा से सरकार को नीतियों बनाने में मदद मिलेगी
बचत और दक्षता- सिस्टम की बेहतर निगरानी से लाखों रुपये की बचत होगी।
मोबाइल एप- किसानों और उपयोगकर्ताओं को सोलर सिस्टम की जानकारी देगा। रिपोर्ट मैनेजर दिन, सप्ताह, महीने की रिपोर्ट तैयार करेगा।
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