शा. इंजीनियरिंग कॉलेज के पूर्व प्राचार्य के खिलाफ एबीवीपी ने खोल दिया मोर्चा

कॉलेज परिसर में तंबू तानकर शुरू की हड़ताल, कार्रवाई की मांग
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उज्जैन। शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ जेके श्रीवास्तव के खिलाफ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की महानगर इकाई ने मोर्चा खोल दिया है। परिषद के बैनर तले विद्यार्थियों ने कॉलेज कैंपेस में ही तंबू तानकर अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। इनका कहना है कि वह तभी हटेंगे, जब पूर्व प्राचार्य के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा। इस दौरान विद्यार्थियों ने भ्रष्टाचार बंद करो के नारे भी लगाए।
दरअसल शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज में लंबे समय तक डॉ. जेके श्रीवास्तव प्राचार्य पद पर थे। कुछ महीने पहले ही हाईकोर्ट से स्टे वेकेंट होने के बाद डॉ उमेश पेंढारकर को प्राचार्य बनाया गया है। करीब छह साल से ज्यादा समय से प्राचार्य रहे श्रीवास्तव के कार्यकाल को लेकर विद्यार्थी और स्टाफ पहले से ही भड़के हुए थे। नए प्राचार्य के आने के बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की महानगर इकाई ने पूर्व प्राचार्य पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए शिकायत की थी। तब उन्होंने जांच की मांग की थी। शिकायत के बाद कॉलेज प्रबंधन ने आंतरिक समिति गठित की थी और जांच कर प्रतिवेदन तकनीकी शासन को भेज दिया था। 19 सिंतबर को भेजे प्रतिवेदन पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है और इसी से एबीवीपी नाराज है।
तंबू ताना, नारे लगाए
मंगलवार को एबीवीपी के महानगर मंत्री सिद्धार्थ यादव के नेतृत्व में विद्यार्थियों ने कॉलेज परिसर में तंबू तान दिया और अनिश्चिकालीन धरने पर बैठ गए। इस दौरान उन्होंने जमकर नारेबाजी की। कॉलेज प्रबंधन की तरफ से प्राचार्य डॉ. उमेश पेंढारकर धरना स्थल पहुंचे और अनशन समाप्त करवाने की कोशिश की लेकिन विद्यार्थी नहीं माने।
जांच प्रतिवेदन भेज दिया
19 सिंतबर को ही जांच पूरी कर प्रतिवेदन शासन स्तर पर भेज दिया था। कार्रवाई वहीं से होनी है। विद्यार्थियों को यह बताया है, मगर वह नहीं मान रहे हैं।
डॉ. उमेश पेंढारकर प्राचार्य, शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज
इस संबंध में पूर्व प्राचार्य डॉ. जेके श्रीवास्तव से चर्चा की कोशिश की गई, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई। जब भी उनका पक्ष मिलेगा, आपको बता दिया जाएगा।
क्या है विद्यार्थियों के आरोप
विद्यार्थियों का कहना है कि पूर्व प्राचार्य जेके श्रीवास्तव ने छात्रहित की राशि 32 फीसदी से घटाकर सिफ 9 फीसदी कर दी।
इस राशि का उपयोग पूर्व प्राचार्य ने आउटसोर्स एजेंसी को भुगतान करने में किया । एजेंसी को हर साल १.०३ करोड़ रुपए दिए गए। चार साल में एजेंसी को 4.12 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया।
आउटसोर्स एजेंसी को हर साल 60 लाख रुपए का भुगतान होना था। एजेंसी ने सिर्फ 75 कर्मचारी तैनात किए, जबकि भुगतान 120 कर्मचारियों के मान से लिया।
इस तरह जून 2022 से सितंबर 2024 तक 1.86 करोड़ रुपए का फर्जी भुगतान लिया।
पूर्व प्राचार्य ने हॉस्टल और कॉलेज भवन की मरम्मत राशि से अपने निवास में महंगी टाइल्स लगवाई।
कॉलेज की कैंटीन करने के लिए विद्यार्थियों पर दबाव बनाया।
कॉलेज की फर्नीचर राशि से अपने घर में फर्नीचर बनवायाद्ध
सरकारी कार का निजी काम में उपयोग किया।
सरकारी आवास आउटसोर्स एजेंसी के कर्मचारियों को आवंटित किए।










