AIIMS चीफ ने कहा – डेल्टा+ से सुरक्षा के लिए वैक्सीन मिक्सिंग भी विकल्प

By AV NEWS

कोरोना के ज्यादा एग्रेसिव डेल्टा और डेल्टा प्लस जैसे वैरिएंट के खिलाफ लड़ने के लिए वैक्सीनों की मिक्सिंग एक ऑप्शन हो सकती है। ये कहना है एम्स के चीफ डॉ. रणदीप गुलेरिया का। उन्होंने कहा कि ये निश्चित तौर पर एक रास्ता हो सकता है, लेकिन इस पर किसी फैसले से पहले हमें और डेटा की जरूरत होगी।

पिछले महीने सरकार ने भी कहा था कि वह वैक्सीनों के मिश्रण के विकल्प पर विचार कर रही है। नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने कहा था कि म्यूटेटेड वैरिएंट से सुरक्षा और वैक्सीन की कवरेज बढ़ाने के लिए हम ये कदम उठा सकते हैं। इस पर टेस्ट के नतीजे कुछ महीनों में आने की उम्मीद है।

 डॉ. गुलेरिया ने कहा कि शुरुआती स्टडी कहती हैं कि वैक्सीनों का मिश्रण भी एक विकल्प हो सकता है, पर अभी हमें डेटा चाहिए। कौन सा कॉम्बिनेशन अच्छा होगा, इस पर अभी रिसर्च की जरूरत है। पर हां, ये निश्चित रूप से एक संभावना है। वैक्सीनों के मिश्रण पर दूसरे देशों में भी प्रयोग किए जा रहे हैं।

डॉ. गुलेरिया ने कहा कि डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ सिंगल डोज शायद काफी नहीं होगी। रिसर्च भी कहती हैं कि सिंगल डोज 33 फीसदी तक सुरक्षा देती है। दोनों डोज देने पर 90 फीसदी तक लोग सुरक्षित होते हैं। गुलेरिया ने कहा कि ये हमारे लिए चिंता की बात है कि पहली डोज डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ शायद काफी नहीं होगी। ऐसे में हमें दूसरी डोज दिए जाने की जरूरत है। पर इसे काफी पहले दिया जाना होगा, ताकि सुरक्षा निश्चित की जा सके।

उन्होंने कहा कि अभी हमारी नजर डेल्टा वैरिएंट के नए स्ट्रेन पर बनी हुई है। हम डेल्टा प्लस वैरिएंट को काफी करीब से मॉनिटर कर रहे हैं। अभी डेल्टा प्लस उतना प्रभावी नहीं है, पर डेल्टा वैरिएंट है। हमें डेल्टा प्लस को सतर्क रहकर ट्रैक करने की जरूरत है। इसकी जीनोम सीक्वेंसिंग की जरूरत है ताकि पता चल सके कि ये हमारी आबादी पर किस तरह असर कर रहा है।

पहली: द लैंसेट जर्नल में पिछले महीने एक ब्रिटिश स्टडी पब्लिश हुई थी। इसमें पहले लोगों को एस्ट्राजेनिका यानी कोवीशील्ड की डोज दी गई। इसके बाद दूसरी डोज फाइजर की दी गई थी। इसके कुछ समय के लिए साइड इफेक्ट हुए थे, पर ये बेहद हल्के थे। हालांकि, इसके प्रभाव पर अभी डेटा मिलना बाकी है।

दूसरी: इससे पहले स्पेन में हुई स्टडी में सामने आया था कि कोवीशील्ड और फाइजर की डोज मिक्स करने पर ये सुरक्षित और प्रभावी पाई गई थीं।

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