अक्षरविश्व लाइव: चरक अस्पताल में इलाज कराना है तो पंखे, पीने का पानी, बेडशीट और  कंबल साथ लाएं

By AV News

अफसरों की लापरवाही और अनदेखी के कारण शासन की हो रही छवि धूमिल….

उज्जैन। सरकार का स्वास्थ्य विभाग प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में मरीजों के स्वास्थ्य और सुविधा के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रहा है। सर्वसुविधायुक्त अस्पताल बनाए जा रहे हैं। जरूरी संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं, लेकिन चरक अस्पताल का प्रबंधन करने और कर्मचारियों पर नियंत्रण रखने वाले अफसरों की लापरवाही व अनदेखी के कारण शासन की छवि धूमिल हो रही है। हालात यह हैं कि मरीज अपने घरों से पंखे ला रहे हैं, पीने के पानी का पानी बाजार से खरीद रहे हैं और कम्बल, चादर तो मिलते ही नहीं।

यह हालात हैं चरक अस्पताल के
6 मंजिला चरक अस्पताल करोड़ों रुपए खर्च कर शासन ने यहां मरीजों की आवश्यकता और सुविधा को ध्यान में रखकर बनवाया था। 750 बिस्तरों के जिले के सबसे बड़े अस्पताल में इन दिनों हालात ठीक नहीं हैं। तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के ऊपर चल रहा है। ऐसे में मरीज और उनके परिजन को कूलर की आवश्यकता है, लेकिन यहां पंखे भी नसीब नहीं हो रहे। ठंडे पानी की स्थिति यह है कि विधायक प्रतिनिधि ने अपनी मां की स्मृति में वाटर कूलर लगवाया उसे भी भरी दोपहर में बंद कर दिया जाता है। मरीज के परिजन बाजार से 20 से 100 रुपए खर्च कर पानी खरीद रहे हैं। पलंग पर बेडशीट नहीं है, कम्बल और चादर मरीजों को घर से लाना पड़ रहे हैं।

वार्ड में हवा के लिए खुद ही पंखे ला रहे हैं परिजन।

मच्छरों से बचने का जुगाड़। गोल घेरे में पानी की बोतल।

एक नहीं कई बेड पर चादर तक नहीं है….

कहां गए पिछले साल खरीदे कूलर
पिछले वर्ष जिला चिकित्सालय के भवन नहीं टूटे थे। अस्पताल के सभी वार्ड यहीं संचालित होते थे। उस दौरान अक्षर विश्व ने मरीजों की समस्या को लेकर प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किए जिसके बाद तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ. पी.एन. वर्मा ने सभी वार्डों में मरीजों के लिए कूलर लगवाए, साफ बेटशीट, कम्बल का टेंडर हुआ और मरीजों को सफाई व गर्मी से बचाव के लिए सुविधा मिलने लगी। यहां तक कि पीने के पानी के लिए वाटर कूलर भी लगवाए गए थे। अब जबकि जिला चिकित्सालय के अधिकांश वार्ड को चरक अस्पताल में पूरी तरह शिफ्ट कर दिया गया है तो जिला चिकित्सालय से लाए गए कूलर वार्डों में क्यों नहीं लगाए जा रहे इसका जवाब किसी अफसर के पास नहीं है।

यह है गंदगी का आलम….
मरीजों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए अच्छे उपचार के साथ साफ और स्वच्छ वातावरण की आवश्यकता भी होती है। चरक अस्पताल में सफाई की स्थिति यह है कि कर्मचारी सुबह वार्ड और परिसर की सफाई करते हैं। इसके बाद अगले दिन सफाई होती है। टायलेट से लेकर परिसर तक गंदगी फैल रही है। परिसर की हालत यह है कि सीवरेज का पानी इमरजेंसी गेट से पुलिस चौकी तक फैलकर बदबू मारता है। हालांकि अस्पताल के अफसरों का तर्क है कि जिला चिकित्सालय के भवनों को तोडक़र बनाए जा रहे मेडिसिटी मेडिकल कॉलेज के ठेकेदार ने पुरानी पाइप लाइन तोड़ दी है इस कारण सीवरेज का पानी आगे नहीं जा रहा। यह पानी परिसर में फैल रहा है। समस्या के समाधान के लिए 45 लाख रुपए का प्लान बनाया है जिसकी स्वीकृति मिलने के बाद काम शुरू होगा। तब तक मरीज, उनके परिजन यहां तक कि अस्पताल का स्टाफ इसी सीवर लाइन के पानी और बदबू से परेशान होता रहेगा कोई विकल्प नहीं तलाशा जा रहा।

मरीजों की परेशानी उन्हीं की जुबानी

बहन को डिलेवरी होना थी। उसे चरक अस्पताल के प्रसूतिगृह में भर्ती कराया। उसने शिशु को जन्म दिया। डॉक्टर ने दो दिन वार्ड में भर्ती रखा। जिस पलंग पर बहन को रखा था वहां बेडशीट नहीं थी न ही ओढऩे के लिए कम्बल दिया गया। घर से बिस्तर लाए थे।
-राजेश राजावत, काजीपुरा

तीन पलंग के बीच एक सीलिंग फैन है। एक पलंग पर हवा आती है। दो पलंग के मरीज गर्मी से परेशान होते हैं। इतनी भीषण गर्मी में अस्पताल प्रबंधन को मरीजों के लिए कूलर का प्रबंध करना चाहिए, लेकिन यहां तो हवा के लिए पंखा भी मरीजों को नसीब नहीं हो रहा। हम घर से पंखा लाए हैं ताकि गर्मी से बच सकें।
-मनीष चौकसे, कानीपुरा रोड

पहली मंजिल से लेकर 6 टी मंजिल तक पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। एक-दो मंजिल पर वाटर कूलर लगे हैं, लेकिन उनमें से गंदा व दूषित पानी आता है। परिसर में एक वाटर कूलर लगा है उससे पानी लेने के लिए लोगों की लाइन लगती है। हम तो बाजार से रुपए में पानी खरीदकर ला रहे हैं।
-गुरमान एहमद, विराट नगर

समस्या का समाधान कराएंगे

मरीजों को बेडशीट, कम्बल नहीं मिल रहे, सफाई व्यवस्था ठीक नहीं है, मरीज के परिजन को घर से पंखे लाना पड़ रहे हैं इसकी जानकारी आपके माध्यम से मिली है। सिविल सर्जन से इस संबंध में चर्चा कर लोगों की समस्या का समाधान कराएंगे। पीने के पानी के लिए प्रत्येक मंजिल पर वाटर कूलर लगे हैं जिन्हें मैंने स्वयं निरीक्षण कर देखा है।
-डॉ. अशोक पटेल, सीएमएचओ

 

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