सुरक्षा के लिए लगाई रस्सी और चेतावनी लिखे बोड आधे नदी में डूबे
अक्षरविश्व न्यूज|उज्जैन। इन दिनों रामघाट पर शिप्रा का जलस्तर बढ़ा हुआ है जिससे डूबने का खतरा भी बढ़ गया। पानी का लेबल बढऩे से गुरुवार को नदी में सुरक्षा के लिहाज से लगाई रस्सी और चेतावनी लिखे बोड आधे डूब गए। इसी के कारण गुरुवार को दिल्ली के चाचा-भतीजे और भोपाल की दो बहनों गहराई का अंदाजा नहीं रहा और वह डूबने लगे जिन्हें तैराक और एसडीईआरएफ जवानों ने समय रहते बचा लिया था वरना हादसा बड़ा हो सकता था।
दरअसल, पिछले दिनों शिप्रा के गंदे पानी और बड़ी मात्रा में प्रवाहित पूजन सामग्री और कचरे से ऑक्सीजन की कमी के चलते मछलियों ने दम तोड़ दिया था। पानी के ऊपर तैरती मछलियों के कारण घाट पर बदबू फैल गई थी जिससे श्रद्धालुओं की धामिक भावनाएं आहत हुई थीं। इसके बाद नदी का जलस्तर बढ़ा दिया गया जिसके चलते पिछले तीन दिनों से छोटी रपट पानी में डूबी है। गुरुवार को रपट से करीब डेढ़ फीट पानी ऊपर रहा। इसी के कारण श्रद्धालु डूबने लगे थे।
कई हादसे हो चुके
शिप्रा में श्रद्धालुओं के डूबने का सिलसिला नया नहीं है। सुरक्षा के अभाव में कई लोग अब तक अपनी जिंदगी से हाथ धो चुके हैं। हर बार हादसे के बाद स्थानीय प्रशासन कुछ दिनों तक सख्ती करता नजर आता है लेकिन उसके बाद स्थिति जस की तस हो जाती है। इसी के चलते अब तक इस तरह की घटनाओं पर अंकुश नहीं लग पाया है।
सुरक्षा के इंतजाम नाकाफी
रामघाट, नृसिंह घाट, दत्तअखाड़ा सहित अन्य घाटों पर सुरक्षा के इंतजाम नाकाफी है। सीढिय़ों पर काई जमी है और पानी में डूबे होने के कारण जब श्रद्धालु यहां स्नान के लिए पहुंचते हैं तो उन्हें इसका पता नहीं रहता है और पैर फिसलने से वह गहरे पानी में चले जाते हैं जिससे कई बार उनकी मौत हो जाती है।
एक्सपट व्यू : डेढ़ फीट कम होना चाहिए पानी
अभी रामघाट पर पानी काफी ज्यादा है। इस मौसम में इतना पानी पहली बार देखा है। आमतौर पर गमीü में छोटी रपट से डेढ़ फीट नीचे पानी होना चाहिए लेकिन यह रपट से डेढ़ फीट ऊपर है जिससे चेतावनी लिखे बोडü और सुरक्षा के लिहाज से लगाई गई रस्सी पानी में डूब गई है। अंदर बैरिकेड्स भी डूबे हुए हैं। ऐसे में श्रद्धालु गहराई का अंदाजा नहीं लगा पाते और डूबने लगते हैं। ऐसी घटनाओं को कम करने के लिए पानी का लेवल कम किया जाना बेहद जरूरी है। – ईश्वरलाल चौधरी तैराक प्रभारी, रामघाट