बच्चों के सही विकास के लिए बेहद जरूरी है ‘कैल्शियम’

कैल्शियम हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी है, खासकर बच्चों के लिए। यह उनकी हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाने में मदद करता है। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, उनकी कैल्शियम की जरूरत भी बढ़ जाती है। अगर बच्चों को सही मात्रा में कैल्शियम नहीं मिलता, तो उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर असर पड़ सकता है। आज हम आपको बच्चों में कैल्शियम की कमी के लक्षण और उसे पूरा करने के आसान उपाय बताएंगे, ताकि आपका बच्चा स्वस्थ और खुशहाल रहे।

बच्चों में कैल्शियम की कमी के लक्षण

हड्डियों में दर्द और कमजोरी कैल्शियम की कमी से बच्चों की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। इसके कारण बच्चों को चलने-फिरने में परेशानी हो सकती है और वे दर्द महसूस कर सकते हैं। इससे शिशु को उठने और बैठने में भी मुश्किल हो सकती है।

दांतों की समस्याएं

नवजात शिशुओं में दांतों का देर से आना, दांत कमजोर होना या दांतों में कैविटी की समस्या कैल्शियम की कमी के संकेत हो सकते हैं।

मांसपेशियों में ऐंठन

कैल्शियम की कमी से बच्चों की मांसपेशियों में ऐंठन और दर्द हो सकता है।  यह एक सामान्य लक्षण है जिसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

शारीरिक विकास की धीमी गति

अगर बच्चे की लंबाई और वजन अपेक्षित दर से कम बढ़ रहे हैं, तो यह भी कैल्शियम की कमी का संकेत हो सकता है। डॉक्टर से बच्चों की शारीरिक विकास की ट्रैकिंग के लिए सलाह लें।

चिड़चिड़ापन

बच्चों का चिड़चिड़ा होना सामान्य हो सकता है, लेकिन अगर बच्चा हमेशा चिड़चिड़ा रहता है और छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करता है, तो यह कैल्शियम की कमी का एक संकेत हो सकता है।

बच्चों में कैल्शियम की कमी को दूर करने के उपाय

कैल्शियम युक्त आहार

बच्चों की डाइट में कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करें। दूध, पनीर, दही और छाछ जैसे खाद्य पदार्थ बच्चों के शरीर में कैल्शियम की कमी पूरी कर सकते हैं।

पत्तेदार हरी सब्जियाँ

पालक, केल और कोलार्ड ग्रीन्स जैसी पत्तेदार सब्जियाँ कैल्शियम के बेहतरीन स्रोत हैं। इन सब्ज़ियों में विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट भी भरपूर मात्रा में होते हैं, जो इन्हें किसी भी भोजन में शामिल करने के लिए एक पौष्टिक तत्व बनाते हैं।

रागी

रागी, जिसे फिंगर मिलेट के नाम से भी जाना जाता है, ग्लूटेन-मुक्त अनाज है जो कैल्शियम से भरपूर होता है। कैल्शियम के अलावा, रागी में आहार फाइबर भी भरपूर मात्रा में होता है, जो पाचन में सहायता करता है और बच्चों को लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराता है।

सोयाबीन

सोयाबीन और सोया उत्पाद, जैसे टोफू और सोया दूध, कैल्शियम के बेहतरीन स्रोत हैं। इसके अतिरिक्त, सोया एक उच्च गुणवत्ता वाला पौधा-आधारित प्रोटीन है और इसमें सभी आवश्यक अमीनो एसिड पाए जाते हैं, जो दूध  में पाए जाने वाले अमीनो एसिड के बराबर होते हैं।

बीन्स और दालें

बीन्स और दालें, जैसे कि काली बीन्स, राजमा और मसूर की दालों में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है। इनमें प्रोटीन, फाइबर और अन्य आवश्यक पोषक तत्व भी भरपूर मात्रा में होते हैं।

ड्राई फ्रूट्स का सेवन

बच्चों को रोजाना 4 बादाम और 1 अंजीर खिलाएं। इन दोनों में कैल्शियम और विटामिन्स की भरपूर मात्रा पाई जाती है। बादाम और अंजीर को हमेशा पानी में भिगोकर दें।

विटामिन डी की प्राप्ति

विटामिन डी कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है। बच्चों को सूरज की रोशनी में बैठने के लिए प्रेरित करें। रोजाना कम से कम आधे घंटे के लिए उन्हें धूप में खेलने का समय दें।

नियमित स्वास्थ्य जांच

कैल्शियम की कमी का पता लगाने के लिए बच्चों की नियमित मैडिकल जांच कराना बहुत जरूरी है। डॉक्टर से सलाह लेकर हर 3 महीने में बच्चे का चैकअप करवाएं।

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