सफलता की चाहत हर व्यक्ति के मन में होती है, लेकिन ऐसा हो नहीं पाता । वास्तव में सफलता के लिए मज़बूत बुनियाद ज़रूरी है। और यह बुनियाद है आपका नज़रिया। विजेता देखता है क्या संभव है। पराजित देखता है क्या असंभव है। यदि हम कुछ युक्तियों को समझ लें तो सफलता को सतत् प्रयास से हासिल किया जा सकता है । हम सफलता तो पाना चाहते हैं किन्तु उस रास्ते पर चलना स्विकार नहीं जिस रास्ते पर सफलता मिलती है । आज यहाँ हम उन 5 पड़ावों की बात कर रहे हैं जिनसे गुजर कर सफलता के झंडे गाड़े जा सकते हैं।
1.लक्ष्य बनाएं
सफलता के लिए लक्ष्य बनाना पड़ता है। ज्यादातर लोग लक्ष्य इसलिए नहीं बनाते, या तो वे लक्ष्य का महत्व नहीं समझते या फिर उनमें टालमटोल की आदत होती है। यह तय कीजिए कि एक साल बाद, तीन साल बाद, पांच साल के बाद आप क्या बनना चाहते हैं? फिर इन लक्ष्यों के हिसाब से एक्शन प्लान तैयान करें। हमारे लक्ष्य इतने बड़े होने चाहिए कि हमें प्रेरणा दे सकें, पर इतने बड़े भी नहीं कि हम निराश हो जाएं। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम आज कहां हैं,महत्व इस बात का है कि हम कहाँ पहुंचना चाहते हैं ।
२.व्यवहार कुशल बनें
सफलता की एक शर्त यह है कि आपको व्यवहारकुशल होना चाहिए। अच्छे श्रोता बनें, सच्ची प्रशंसा करें, अपनी गलती मानें, तर्क करें, तकरार न करें। विनम्र बनें। दूसरों को नीचा न दिखाएं। किसी की हंसी न उड़ाएं और हमेशा मुसीबत में लोगों की मदद करें।
3. स्वाभिमान विकसित करें
स्वाभिमानी आदमी में आत्मविश्वास भी होता है और दृढ़ता भी। स्वाभिमानी आदमी में काबिलियत भी होती है और महत्वाकांक्षा भी। कमजोर स्वाभिमान वाले लोग अपनी गअसफलाओं के लिए बहाने बनाते रहते हैं। ऐसे लोग अपनी बढ़ाई खुद करते रहते हैं। कमजोर स्वाभिमान वाले लोग पीठ पीछे बुराई करते हैं और खुद को ऊंचा दिखाने के लिए दूसरों को नीचा दिखाते हैं।
4. सकारात्मक नज़रिया
जिस तरह मजबूत इमारतों के लिए मजबूत बुनियाद ज़रूरी है उसी तरह सफलता के लिए भी एक मज़बूत बुनियाद ज़रूरी है और यह बुनियाद है सकारात्मक नज़रिया । नकारात्मकता को अपने ऊपर बिल्कुल हावी न होने दें । आप इसकी शिकायत कर सकते हैं कि गुलाब में कांटे हैं या फिर इस बात को लेकर खुश हो सकते हैं कि कांटों में गुलाब हैं । अपनी नियामतों को गिनें, मुश्कलों को नहीं । निराशावादी होने के बजाए आशावादी बनें। हर चीज़ में गलतियां ढूंढना मस्तिष्क को छिद्रान्वेषी बना देता है । हम हमेशा दूसरों की बुराई ही क्?यों करते हैं, क्योंकि हमने यह आदत बना ली है । तारीफ कभी-कभी करते हैं इसलिए इसकी आदत नहीं बनीं । डॉ.कलाम कहते हैं आदतें ही आपका भविष्य हैं । सकारात्मक सोच वह पहली सीढ़ी है, जिस पर चढ़कर ही सफलता के शिखर पर पहुंचा जा सकता है। ऊंचे स्वाभिमान वाले लोग सीखना चाहेंगे, कमज़ोर स्वाभिमान वाले समझते हैं कि उन्हें सब मालूम है।
5. कामयाबी के तरीके सीखें
यह जान लें कि बिना कोशिश के कामयाबी नहीं मिलती। हर सफल व्यक्ति देर-सबेर यह बात जान लेता है कि बिना संघर्ष के जीवन में कुछ भी महत्वपूर्ण हासिल नहीं होता। हेनरी फोर्ड की बात याद रखें-जितनी ज्यादा मेहनत करोगे, उतना ही किस्मत साथ देगी। लगातार कोशिश करते रहें, हिम्मत न हारें। हर सफल आदमी के पीछे बहुत-सी असफलताएं होती हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि सफल लोग हर बार उठकर खड़े हो जाते हैं और अपनी असफलताओं से सबक लेते हैं। सफल लोग लगातार सीखते हैं, असफल लोग दूसरों को इल्जाम देते रहते हैं । सफल लोग दिल से और मेहनत से काम करते हैं ।असफल लोग मन मारकर काम करते हैं, असफल लोग दूसरों से मुकाबला करते हैं, सफल लोग खुद से मुकाबला करते हैं।
(रविन्द्र नरवरिया)
(लेखक कैरियर काउंसलर हैं और २०
वर्षों से सिविल सर्विसेज प्रतियोगिता
परीक्षाओं का अध्यापन कार्य कर रहे हैं)
ravindranarwriya@gmail.com