84 महादेव परिक्रमा
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65/84 महादेव : श्री ब्रह्मेश्वर महादेव मंदिर
पञ्चपातक संयुक्तों यो मत्तर्यो दुष्टमानस:। सो:पि गच्छेच्छिवं स्थानं दृष्ट्वा बह्मेश्वर शिवम्।। (अर्थात- जो दुष्ट बुद्धि व्यक्ति पञ्चपातकयुक्त हैं, वह भी…
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64/84 महादेव : श्री पशुपतीश्वर महादेव मंदिर
कौमारे यौवने बाल्ये बाद्र्धक्येयदुपार्जितम्। तत्पापविलयंयातिदृष्ट्वापशुपति शिवम्।। (अर्थात- पशुपति लिंग का दर्शन करने से कौमार, यौवन, बाल्य तथा वाद्र्धक्य में कृत…
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63/84 महादेव : श्री धुन: साहस्रेश्वर महादेव मंदिर
तीर्थानां च यथा गड्ग रक्षिता योधसन्तमे:। तथास्यं रक्षको देवो नाम्ना धनु: सहस्रक:।। तत्र गड्गदितीर्थानि विद्यन्ते विविधानि च। सुरहस्यातिपुण्यानि सद्य: पापहराणि…
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61/84 महादेव : श्री सौभाग्येश्वर महादेव मंदिर
नापुत्रा नाधना नारी न दीनानचदु:खिता। जायते दुर्भगा नैव सौभाग्येश्वर दर्शनात्।।५७।। नवैधण्यं नच व्याधिर्नाकालमरणं प्रिये। नपुत्रीभर्तृजं दु:खं जायते लिङ्गदर्शनात।।५६।। लेखक –…
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60/84 महादेव : श्री मतङ्गेश्वर महादेव मंदिर
निर्मर्यादा निराचारा नि:शङ्काश्चातिलोलुपा:। निर्घृणाक्रूरकर्मणो धृष्टा कलियुगे नरा:। दर्शनातस्य लिङ्गस्य तेऽपि यान्ति त्रिविष्टम्।।४७।7 (अर्थात्- मर्यादारहित, आचाररहित, नि:शंक, लालुप, क्रूरकर्मो दुष्टों को…
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59/84 महादेव : श्री सिद्धेश्वर महादेव मंदिर
धर्मार्थकामीसद्धिश्च मोक्षसिद्धिरनुत्तमा। जायतेनात्र सन्देह: श्रीसिद्धेश्वरदश्नित्।। (अर्थात – धर्म, अर्थ, काम सिद्धि तथा मोक्षसिद्धि- ये सब सिद्धेश्वर के दर्शन से प्राप्त…
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58/84 महादेव : श्री प्रयागेश्वर महादेव मंदिर
या गीतर्योगयुक्तस्य सत्वस्थस्य मनीषिण:। माघमासे समेष्यन्ति प्रयागेश्वरदर्शनम्।।४३।। कत्र्तुये मानुषास्तेजामश्वरमेघ: पदे पदे।।४९।। (अर्थात – योगयुक्त योगी की जो गति है, वह…
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57/84 महादेव : श्री घण्टेश्वर महादेव मंदिर
ये पश्यन्ति विशालाक्षि देवं घण्टेश्वरं शिवम्। ते घण्टाभिर्नादितास्त विभानै: सार्वकामिकै: ।।३२।। यारस्यन्तिसुचिंरकालममलोकं सनातनम्। (अर्थात – जो घण्टेश्वर शिव का दर्शन…
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56/84 महादेव : श्री रेवन्तेश्वर महादेव मंदिर
ये मांद्रक्ष्यन्तिरेवन्त भक्तयापरमयायुता:। तेषामश्वा भविष्यन्ति विजयो यश ऊर्जितम्।। ऐश्वर्य दानशक्तिश्च पुत्रपौत्रमन्नतकम्। (अर्थात्- हे रेवन्त! जो यहंा मेरा दर्शन भक्तिभाव से…
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55/84 महादेव :श्री सिंहेश्वर महादेव मंदिर
स्पर्शनादस्य लिङ्गस्यपुनात्यासप्रमंकुलम्।।३०।। मनसा चिन्तितान्कामांस्तांश्च प्राप्नोति पुष्कलान्। तदैव पुरुषों मुक्तो जन्मदु:खजरादिभि:।।३१।। (अर्थात्- इस लिंग का स्पर्श करने से सात कुल पर्यंत…