84 महादेव परिक्रमा
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82/84 महादेव:श्री कायावरोहणेश्वर महादेव मंदिर
शाठ्ये नपूजितो देव कायावरोहणेश्वर:। ददातिराज्यं भोगांश्च स्वर्गलोकंसनातनम। (अर्थात- जो कोई शठतापूर्वक भी इस देवस्वरूप लिंग की पूजा करता है, उसे…
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81/84 महादेव :श्री पिंगलेश्वर महादेव मंदिर
देवा वश्याभविष्यन्तिस्वर्गस्तेषां न संशय:। भविष्यतिचवशगानगरी चामरावती।। धर्मोधनेनसहित: कुले तेषां न नश्यति। पितृणामक्षया तृप्तिर्भविष्यति न संशय:।। (अर्थात्- इस लिंग के दर्शन…
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80/84 महादेव : श्री स्वप्नेश्वर महादेव मंदिर
ये च पुष्पैर्विचित्रैश्चपूजयन्ति च पर्वसु। ते सर्वकामसम्पन्ना: श्रीबलारोग्यसंयुता:।। दीर्घायुष: शुभाचरा जायन्ते देहिनोऽमला:।। (अर्थात्- जो विविध पुष्पों से लिंग पूजा करेंगे,…
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79/84 महादेव : श्री हनुमत्केश्वर महादेव मंदिर
श्री हनुमत्केश्वर महादेव मंदिर सर्वलोकेषु तस्यैव गतिर्न प्रतिहन्यते। दिव्येनैश्वर्ययोगेन युज्यते नात्र संशय:।। बालसूर्यप्रतिकाशविमानेन सुवर्चसा। वृत: स्त्रीणां सहस्रैस्तु स्वच्छन्दगमनागम:।। (अर्थात् –…
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78/84 महादेव : श्री अविमुक्तेश्वर महादेव मंदिर
श्री पुष्पदंतेश्वर महादेव मंदिरजन्ममृत्युभयं हित्वा स याति परमां गतिम। य:पूजयति भावेन ह्याविमुक्तेश्वरं शिवम। ब््राह्महाऽपि च यो गच्छेदविमुक्तेश्वर यजेत। तस्य लिंगस्य…
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77/84 महादेव:श्री पुष्पदंतेश्वर महादेव मंदिर
नतस्यसन्ततिच्छेदोय: पश्यति दिनेदिने। नियमेन गणाध्यक्षजायतेब्रह्मणोदिनम। (अर्थात- जो प्रतिदिन पुष्पदन्तेश्वर का दर्शन करेगा उसकी वंश परंपरा उच्छिन्न नहीं होगी।) यह मन्दिर…
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76/84 महादेव:श्री अरुणेश्वर महादेव मंदिर
मोदिष्यन्तिकुले: साद्र्धं पितृमातृसमुद्भवै:। कल्पकोटिसहस्रं तुयेपश्यन्ति समाहिता:।। (अर्थात् – जो यहां मेरा दर्शन करेगा, वह माता-पिता के कुल के साथ कोटि…
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75/84 महादेव:श्री बड़लेश्वर महादेव मंदिर
भविष्यति त्रिलोकेषु विख्यातोनेत्रदायक:। पूजयिष्यन्तियेदेवं वडलेश्वरसंज्ञकम। लिंगलोकेषुविख्यातंतेप्राप्स्यन्तिमनोरथम। (अर्थात्- इनके दर्शनमात्र से मानव को नेत्र लाभ होता है। जो इन देव की…
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74/84 महादेव: श्री राजस्थलेश्वर महादेव मंदिर
दृष्टवा राजस्थले देवं योऽत्रयात्रांकरिष्यति। तस्य श्रीर्विजयश्चैवभवत्येव वरोमम। शत्रव: सड्क्षयं यान्तु सम्पद्यन्तां मनोरथा:।। (अर्थात्- जो मानव राजस्थल में देवदर्शन तथा यात्राविधान…
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73/84 महादेव:श्री करभेश्वर महादेव मंदिर
व्याधयो नोपजायन्ते दारिद््रय न कदाचन्। ऐष्वर्यंचातुलंतेषां जायते दर्शनात्सदा।। (अर्थात्- करभेश्वर लिंग के दर्शन के फलस्वरूप मानव को व्याधि तथा दरिद्र…