CM की सादगी: भोपाल तक ट्रेन से सफर

By AV NEWS

नर्मदापुरम में इंजीनियरिंग कॉलेज का ऐलान

सेठानी घाट में पूजन-अभिषेक किया

अक्षरविश्व न्यूज|भोपाल। सीएम यादव नर्मदापुरम में पहुंचे तो हेलिकॉप्टर से थे, लेकिन वे इंटरसिटी ट्रेन से भोपाल रवाना हुए। इस दौरान उन्होंने यात्रियों से बातचीत की। सीएम को अपने बीच पाकर आम यात्री भी उत्साहित दिखे। सीएम ने कहा कि मंत्री-मुख्यमंत्री भले ही बन जाएं, लेकिन आम व्यक्ति की तरह जनता की जड़ों से जुड़े रहना चाहिए। ये परंपरा कायम रहनी चाहिए। इसलिए हमने कहा कि नर्मदा जी के कार्यक्रम में आएंगे, लेकिन ट्रेन से जाएंगे। ये हमारे लिए सौभाग्य की बात है। बदलते दौर में ट्रेनों का भी कितना अच्छा स्वरूप बना है।

नर्मदा जयंती के कार्यक्रम में शामिल होने गए थे सीएम

मंगलवार को नर्मदा जयंती पर नर्मदापुरम में मां नर्मदा का प्रकटोत्सव और शहर का गौरव दिवस एक साथ मनाया गया। सीएम डॉ. मोहन यादव मंगलवार शाम करीब 6 बजे नर्मदापुरम पहुंचे। उन्होंने सेठानी घाट पर आयोजित मुख्य कार्यक्रम में मां नर्मदा का पूजन-अभिषेक किया। उन्होंने मंच से नर्मदापुरम में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने की घोषणा की।

शराबबंदी करने की मांग

नर्मदापुरम विधायक डॉक्टर सीताशरण शर्मा ने सीएम से नर्मदा लोक के दूसरे चरण के लिए 30 करोड़ और शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज, नगर को धार्मिक नगरी में शामिल कर शराबबंदी करने और पर्यटन के क्षेत्र में अधिक काम करने की मांग की। राज्यसभा सांसद माया नारोलिया ने भी धार्मिक नगरी घोषित कर शराब बंद करने की मांग की।

मोहन सरकार की इस ट्रेन यात्रा के मायने…

दिल्ली में मुख्यमंत्री बनने से पहले केजरीवाल ने ट्रेन यात्रा शुरू की थी लेकिन वे वीआईपी ढर्रे पर आ गए थे लेकिन मध्यप्रदेश में मोहन सरकार ने कारों के काफिले की जगह ट्रेन में यात्रा कर एक संदेश दिया है कि राज्य के मुखिया को जनता से जुड़ा रहना चाहिए। नर्मदापुरम में मां नर्मदा जयंती पर कार्यक्रम में सम्मिलित होने के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जबलपुर इंटरसिटी एक्सप्रेस से भोपाल पहुंचे।

ध्यान देने वाली बात यह रही कि मुख्यमंत्री और उनके स्टाफ ने रानी कमलापति रेलवे स्टेशन तक बाकायदा टिकट बुक कराई और टीसी ने उनके टिकट भी चैक किए। अचानक मुख्यमंत्री को अपने बीच पाकर यात्रियों का हैरान होना भी स्वाभाविक था, क्योंकि मुख्यमंत्री भी बिलकुल आम यात्री की तरह बैठे और यात्रियों से घुलमिल गए। उन्होंने बच्चों को टॉफी दी और दुलार किया तो यात्रियों से चर्चा भी की। युवाओं से उनकी शिक्षा और विजन के बारे में सहज बातें की।

यात्रियों ने भी उनके साथ सेल्फी ली। मुख्यमंत्री की यह यात्रा सराहनीय है और उम्मीद की जाना चाहिए कि वे इसी तरह लोकल ट्रेन और दोपहिया वाहनों पर बैठकर कभी कभी उन मार्गों के हाल भी देखें जहां ट्रैफिक जाम से आम लोगों को जूझना पड़ता है। इंदौर के सियागंज और उज्जैन के दौलतगंज में आम लोगों को जो संघर्ष करना पड़ता है, उसे बड़े अधिकारियों को करीब से देखना चाहिए। मुख्यमंत्री की इस ट्रेन यात्रा की इसलिए भी सराहना की जाना चाहिए कि उन्होंने किसी मजबूरी में यह यात्रा नहीं की बल्कि स्वप्रेरणा से की।

वास्तव में ट्रेन यात्रा के दौरान लोगों में जुड़ाव होता है और मुख्यमंत्री या मंत्री जब इस तरह सफर करते हैं तो कई जमीनी समस्याएं भी सामने आती हैं। किसी मुख्यमंत्री को अलग से जनता दरबार लगाने की जरूरत नहीं पड़ती और ट्रेन में सफर के दौरान यह काम सहजता के साथ किया जा सकता है। अधिकारियों को भी यह प्रेरणा मिलती है कि वे भी इस तरह ट्रेन में सफर कर जनता से जुड़े काम कर सकते हैं।

मंत्री और अधिकारी वीआईपी वाहनों से सफर करते हैं तो जनता से जुड़ी कई समस्याओं से दूर हो जाते हैं। इसलिए मुख्यमंत्री डॉ. यादव की यह पहल समय की जरूरत है और प्रेरणा का स्रोत भी। वास्तव में प्रत्येक राज्य सरकार को एक या दो माह में एक बार अचानक इस तरह ट्रेन यात्रा करना चाहिए, जिसमें वीआईपी ट्रीटमेंट से दूर आम लोगों के बीच समय बिताया जा सके और जनता की समस्याओं को करीब से समझा जा सके।

पुराने समय में राजा महाराजा अपना वेश बदलकर लोगों के बीच जाकर सचाई को स्वयं देखते थे, लेकिन समय के साथ यह परंपरा ही खत्म हो गई। इसमें उन चापलूस संत्रियों या अधिकारियों की भूमिका महत्वपूर्ण रही जो राजा या मुख्यमंत्री को जनता से दूर रखना चाहती थी। आज भी ब्यूरोक्रेट्स किसी सीएम को जनता से दूर रखने की पूरी कोशिश करता है, क्योंकि इसमें उनके निजी हित जुड़े होते हैं। नवाचार पसंद करने वाले जननायक डॉ. यादव ने जापान में पत्नी के साथ बुलेट ट्रेन सफर के कुछ दिनों बाद ही भारतीय रेल में बैठ यह संकेत भी दे दिया है कि वे ब्यूरोक्रेट्स के किसी ÓमायाजालÓ में फंसने वाले नहीं हैं, उन्हें तो जन सेवा के सफर को पूरा करना है।

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