1 बीघा की लागत 8000, दाम मिल रहा है 3200 रु. क्विंटल

सोया किसान परेशान
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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। पीले सोने की खेती करने वाले उज्जैन के किसानों के लिए फ्लावरिंग के समय हुई अतिवृष्टि भारी मुसीबत लेकर आई है। हाल यह है कि एक बीघा में सोयाबीन की बुवाई से लेकर कटाई तक पर उनका खर्च 8 हजार रुपए हुआ है लेकिन दाम केवल 3200 से 4000 रुपए तक ही मिल रहे हैं।
मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा सोयाबीन उज्जैन के ही किसान बोते हैं।2.65 लाख किसानों ने इस बार 5.04 लाख हेक्टेयर पर सोयाबीन बोई थी। नगदी फसल कही जाने वाली सोयाबीन पर इस बार मौसम की मार पड़ी और दाना नहीं बन पाया। इस वजह से एक बीघा में तीस से लेकर 1 क्विंटल तक ही उत्पादन हुआ है। जबकि हर साल यह कम से कम 4 क्विंटल रहता था। तब लागत आसानी से निकल जाती थी।
सोयाबीन उत्पादन में कहां कितना होता है खर्च
1 बुवाई: एक बीघा बुवाई में करीब 20 किलो बीज लगता है। अच्छे बीज की कीमत 6 हजार रुपए क्विंटल होती है। २० किलो बीज की कीमत 1200 रुपए होती है।
2 खाद: सोयाबीन में यूरिया, एनपीके, डीपीके जैसी खाद डाली जाती हैं। एक बीघा में खाद का खर्च लगभग 1800 रुपए का खर्च आता है।
3 खरपतवार कीटनाशक: सोयाबीन में खरपतवार भी काफी होती है। इसे नष्ट करने के लिए कीटनाशक डाला जाता है। एक बीघा में 700 रुपए का खर्च आता है।
4 इल्ली कीटनाशक- सोयाबीन में इल्लियों का खतरा भी काफी होता है। इन्हें नष्ट करने के लिए इल्ली कीटनाशक डाला जाता है। इस पर भी 700 रुपए खर्च आता है।
5 हार्वेस्टिंग: सोयाबीन की हार्वेस्टिंग का खर्च भी काफी होता है। इस पर 3000 से 4 हजार रुपए तक खर्च आता है।
6 इसमें किसान के परिवार का श्रम जोड़े और इसकी लागत 1 हजार रुपए माने तो कुल खर्च 8400 रुपए तक हो जाता है। इस बार सोयाबीन का दाम मंडी में 3200 से 4 हजार रुपए क्विंटल चल रहा है।
कम प्रोडक्शन से घाटा बढ़ा
अमरपुरा के प्रगतिशील किसान महेंद्रङ्क्षसह सोलंकी बताते हैं कि अच्छे बीज के उपयोग से वह प्रति बीघा 4 से 5 क्विंटल उत्पादन लेते थे। इस बार यह घटकर तीस किलो प्रति बीघा आ गया है। ऐसे में लागत निकालना भी भारी पड़ रहा है। सोलंकी ने 120 बीघा मं सोयाबीन बोई थी और केवल 36 क्विंटल ही उपज हुई है। ऐसे में उनके सामने बड़ा संकट खड़ा है।
कुछ ऐसा ही कहना रूनिजा के तेजराम नागर का है। प्रगतिशील किसान नागर ने 150 बीघा में सोयाबीन बोई थी। हर साल 600 क्विंटल उत्पादन होता था। इस बार यह घटकर 300 क्विंटल ही रह गया है।










